भारत रत्न कलाम के साथ श्री मोदी का गहरा नाता रहा। अक्सर वो उनसे जुड़े किस्से सुनाते हैं। मोदी जी ने बताया कि एक बार किसी ने कलाम जी से पूछा था कि आपको कैसे याद रखा जाए तो उन्होंने जवाब में कहा था कि मुझे शिक्षक के रूप में याद रखा जाए। उनका मानना था कि आने वाली पीढ़ियों को एक शिक्षक ही तैयार कर सकता है और ये उनके सिर्फ शब्द नहीं थे, बल्कि यथार्थ था। उनके जीवन का अंतिम समय भी एक शिक्षक के तौर पर बीता।
श्री मोदी के मुताबिक दो प्रकार के लोग होते हैं। एक वो होते हैं जो अवसर खोजते हैं, जबकि एक वो होते हैं जो चैलेंज खोजते हैं। कलाम साहब हमेशा चैलेंज की तलाश में रहते थे।