नागालैंड के राजनीतिक मुद्दों पर भारत सरकार और एनएससीएन के बीच सफल वार्ता संपन्न 
भारत सरकार ने अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और आगे बढ़ाया, एनएससीएन के साथ ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर

भारत सरकार और नेशनल सोशलिस्‍ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) ने छ: दशकों से मौजूद नगाओं की राजनीतिक समस्‍याओं पर आधारित वार्ता का सफल समापन करते हुए आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए।



भारत सरकार की ओर से नगा शांति वार्ताओं के लिए नियुक्‍त सरकार के मध्‍यस्‍थ श्री आर एन रवि ने समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। एनएससीएन की ओर से अध्‍यक्ष श्री इसाक चीसी स्‍वू और महासचिव श्री थ. मुईवा ने हस्‍ताक्षर किए। एनएससीएन (आईएम) के सामूहिक नेतृत्‍व से जुड़े सभी सदस्‍यों सहित पूरे शीर्ष नेतृत्‍व ने इस समझौते पर पूरी सहमति व्‍यक्‍त की और इस आयोजन में वे उपस्थित थे।

इस समझौते से देश में मौजूद सबसे पुरानी हिंसक गतिविधि समाप्‍त हो जाएगी। इससे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में शांति स्‍थापित होगी और समृद्धि का मार्ग प्रशस्‍त होगा। इससे उनका जीवन सम्‍मानित होगा और नगाओं की बेजोड़ मेधाविता तथा उनकी संस्‍कृति और परम्‍पराओं के आधार पर उन्‍हें समान अवसर और समानता आधारित आजीविका मिलेगी।



नगा लोगों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ताओं के माध्‍यम से समय-समय पर इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रयास किए गए थे। वर्ष 1997 में एनएससीएन के साथ एक व्‍यापक समाधान की दिशा में एक ताजा प्रयास किया गया था।

मई 2014 में नई सरकार के सत्‍ता में आने पर इसने इस लम्बित समस्‍या को सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के अपने दौरे के समय के साथ-साथ कई अन्‍य अवसरों पर पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सुधार लाने के लिए अपना दृष्टिकोण सामने रखा है और श्री मोदी ने इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, सम्‍पर्कता और आर्थिक विकास को शीर्ष प्राथमिकता दी है। सरकार की विदेश नीति, विशेषकर 'एक्‍ट ईस्‍ट' नीति के केंद्र में भी यह रहा है।



दोनों पक्षों के बीच जारी यह वार्ता समानता, आदर और विश्‍वास की भावना के साथ संचालित हुई और परस्‍पर समझ और आत्‍मविश्‍वास मजबूत होने के साथ-साथ दोनों पक्ष एक समानता आधारित समझौते तक पहुंचने में सक्षम हुए। भारत सरकार ने नगाओं के बेजोड़ इतिहास, उनकी संस्‍कृति और स्थिति के साथ ही उनकी संवेदनशीलताओं और आंकाक्षाओं को काफी महत्‍व दिया। एनएससीएन ने भारतीय राजनीतिक प्रणाली और शासन को समझा और उसकी सराहना की।

सरकारी मध्‍यस्‍थ ने भी नगाओं की पारम्‍परिक जनजातीय संस्‍थाओं, नागरिक समाज, युवा और छात्रों की संस्‍थाओं, महिला समूहों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्‍य हितधारकों सहित विभिन्‍न नगा नेताओं के साथ कई वार्ताएं की। इन वार्ताओं से नगा लोगों की आकांक्षाओं को जानने के साथ-साथ विश्‍वास और समझ का एक स्‍वस्‍थ वातावरण तैयार करने में मदद मिली। समझौते पर हस्‍ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में अपने वक्‍तव्‍य में प्रधानमंत्री ने नगा नेताओं और नागरिक समाज के साहस और बुद्धिमत्‍ता की सराहना करते हुए इस समझौते तक पहुंचने में उनके सहयोग के लिए उन्‍हें धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने इस काम में सहयोग के लिए नगा लोगों की सराहना भी की और लगभग दो दशकों के लिए युद्ध विराम कायम रखने को लेकर एनएससीएन की भी सराहना की जिसके परिणामस्‍वरूप वार्ता सफल हुई। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सुधार के लिए अपने दृष्टिकोण की चर्चा की। उन्‍होंने आत्‍मविश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि यह समझौता नगालैंड के उज्‍जवल भविष्‍य के निर्माण की दिशा में नगा लोगों के लिए एक शानदार नया अध्‍याय तैयार करेगा और राष्‍ट्र का गौरव और आत्‍मविश्‍वास बढ़ाने में भी योगदान करेगा।



एनएससीएन के महासचिव श्री थ. मुईवा ने नगाओं के संघर्ष के इतिहास की चर्चा की और प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और संकल्‍प के लिए उन्‍हें धन्‍यवाद दिया, जिसके बल पर भारत सरकार और एनएससीएन का इस सम्‍मानजनक समझौते तक पहुंचना संभव हुआ।

इस समझौता कार्यक्रम से सम्‍बन्धित विस्‍तृत विवरण और कार्यान्‍वयन योजना को जल्‍द जारी किया जाएगा।


इस अवसर पर गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल और भारत सरकार के अन्‍य शीर्ष गणमान्‍य व्‍यक्ति उपस्थित थे।

एनएससीएन के पूरे सामूहिक नेतृत्‍व और विभिन्‍न नगा जनजातियों के वरिष्‍ठ नेताओं ने इसमें अपना प्रतिनिधित्‍व किया।

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