प्रिय मित्रों,

भारत ने अपना मत दे दिया है.

लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव खत्म ही हुआ है और भारत के लोगों का फैसला इन हजारों इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद है. मतों की गिनती 16 मई को होगी, लेकिन हमें आज ही निर्विवाद रूप से विजेताओं के बारे में पता है और वो है भारत की जनता! एक बार फिर, भारत की जीत हुई है, चुनावी प्रक्रिया की जीत हुई है और लोकतंत्र की भावना उल्लासित है.

मैं इस विशालकाय अभियान को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं. मैं उन अनगिनत चुनावकर्मियों, सुरक्षा जवानों और पुलिसकर्मियों को धन्यवाद देता हूं और सलाम करता हूं,  जिनके बिना कोई भी चुनाव संभव नहीं हैं.

Narendra Modi blogs on the conclusion of 2014 Lok Sabha Elections

ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान हमने कुछ अप्रिय घटनाओं का समाना किया, जिसमें कई जानें गईं. मैं उन सभी लोगों को सलाम करता हूं जो शहीद हुए और उनके परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. ये बहादुर लोग लोकतंत्र के लिए जिए और उसके लिए ही प्राणों को न्योछावर कर दिया. ये सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि उनका बलिदान व्यर्थ न जाए.

इतिहास 2014 के चुनावों को ऐतिहासिक और परंपरागत चुनाव में आमूल-चूल बदलाव के लिए याद रखेगा. आम तौर पर सत्ताधारी दल चुनाव अभियान का एजेंडा तय करता है, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं हुआ. एजेंडा तय करना तो दूर की बात है, सत्ताधारी पार्टी ने न तो सक्रिय पहल की और न ही उत्तरदायित्व को स्वीकार किया. पूरे चुनाव अभियान के दौरान वो केवल हालात के मुताबिक प्रतिक्रिया व्यक्त करती रही. 

मुझे इस तथ्य से बेहद खुशी मिलती है कि एनडीए विकास और सुशासन के अपने एजेंडे पर  दृढ़ बना रहा. हम इतने पर ही नहीं रुके; हमने सफलतापूर्वक इन दोनों मुद्दों को चुनाव अभियान का केंद्र बिंदु बनाया. हां, इन मुद्दों से भटकाने की कोशिशें तो हुईं लेकिन हम दृढ़ बने रहे. इसका नतीजा ये हुआ कि जो लोग हमारे प्रशंसक थे, उन्होंने कहा कि हम अच्छा काम कर रहे हैं और जो हमारी आलोचना करना चाहते थे वो कहते रहे कि 'हम भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले बेहतर कर रहे हैं.' निश्चित रूप से चुनाव सकारात्मक मुद्दों के आधार पर लड़ा जाना चाहिए और मुझे खुशी है कि हम पूरे विमर्श को इस तरह आगे बढ़ाने में कामयाब रहे ताकि लोगों को चुनाव करने में मदद मिले.

2014 लोकसभा चुनावों को बढ़े हुए मतदान के लिए याद किया जाएगा. प्रत्येक चरण का मतदान समाप्त होने के बाद मैं उत्सुकतापूर्वक मतदान के आंकड़ों का इंतजार करता था और मतदान में तेज बढ़ोतरी को देखकर निरपवाद रूप से मेरी खुशी बढ़ जाती. चाहें शहर हो या गांव, वृद्ध हो या युवा, पुरुष हो या महिलाएं, सभी से बढ़चढ़ कर वोट दिया. ज्यादातर स्थानों पर इस समय भीषण गर्मी थी, कुछ स्थानों पर बारिश हो रही थी और पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर ठंड थी, लेकिन इनमें से कुछ भी लोगों के बाहर निकलने और मतदान करने से रोक नहीं सका.

यहां मैं खासतौर से युवाओं के मतदान में हुई बढ़ोतरी का जिक्र करना चाहता हूं. थोड़ा पीछे जाएं तो मतदान के प्रति ज्यादातर नवयुवकों को बहुत अधिक जागरुक नहीं माना जाता था. आज ये बात इतिहास बन चुकी है. आज मतदान को लेकर जागरुकता है और इसे तर्कसंगत माना जाता है. कोई भी मतदान के दिन फेसबुक और ट्विटर को लॉग इन करके देख सकता है कि बड़ी संख्या में मेरे युवा मित्र सेल्फी को शेयर कर रहे हैं. ये बेहद सकारात्मक संकेत है और मुझे उम्मीद है कि ये रुझान आने वाले दिनों में भी जारी रहेंगे.

पूरे चुनाव अभियान के दौरान, मैं स्थानीय लोगों और स्थानीय मसलों से जुड़ सका और ऐसा करके मुझे बहुत अधिक खुशी मिली. इस स्तर पर स्थानीय भावनाओं से जुड़ाव, सोशल मीडिया के बिना संभव नहीं था.

ये पहला चुनाव था जहां, सोशल मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आने वाले वर्षों के दौरान इस माध्यम की भूमिका बढ़ेगी ही. हमारी पार्टी, हमारा अभियान और निजी तौर पर मुझे सोशल मीडिया से बहुत अधिक लाभ मिला. ये सूचनाओं का प्रत्यक्ष साधन बन गया और इससे हमें कई मुद्दों पर किसी पक्षपात के बिना स्थानीय नब्ज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली. कहा जाता है कि किसी संगठन की सफलता इस बात पर निर्भर है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से शीर्ष स्तर को कितनी सटीक और समयबद्ध जानकारी मिल रही है. इसके साथ ही जमीनी स्तर पर काम कर रहे लोगों को स्पष्ट और समयबद्ध दिशानिर्देश मिलने भी उतने ही ज़रूरी हैं. सोशल मीडिया के आगमन से संगठनात्मक कार्यप्रणीली से ये सिद्धान्त और अधिक मजबूत हुए हैं. 

एक अन्य बात जिसके लिए हमें तहेदिल से सोशल मीडिया को धन्यवाद देना चाहिए वो ये है कि एकदम शुरुआती स्तर पर ही तोड़मरोड़ कर तैयार किए गए झूठ और अर्ध-सत्यों को रोकने का काम किया. इससे पहले चुनावों के दौरान हम ऐसे लोगों को देखते थे जिनका झूठ समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंच जाता था. एक ऐसे दौर में जब संचार से साधन कम थे, वो अपने पूरे भाषणों और आधे-अधूरे वादों के सहारे बच सकते थे. सोशल मीडिया ने इसे बदल दिया है!  आज सूचना और सोशल मीडिया के युग में उनके माइक से निकलने वाला झूठ उनके मंचों से आगे नहीं निकल पाता है, फिर दूसरों तक पहुंचना तो बहुत दूर की बात है. आने वाले दिनों में सोशल मीडिया की ताकत और बढ़ेगी. 

मैं चुनाव के प्रत्येक पहलू की खबरें देने के लिए मीडिया के मित्रों को धन्यवाद देता हूं. देश के प्रत्येक हिस्से में मीडिया सक्रिय था और हमें नवीनतम घटनाओं के प्रति सजग बनाए हुए था. मैं हालांकि महसूस करता हूं कि चुनावों को लेकर जारी बहस और विमर्श को बेहतर बनाने असीमित गुंजाइश है. ठीक इसी समय जारी चुनावी हंसी-मजाक और हाजिर जवाबी के चलते हमारे चेहरों पर मुस्कान भी दिखाई दी.

लोकसभा चुनावों के साथ ही उड़ीसा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में विधानसभा के चुनाव भी हुए. आंध्र प्रदेश के दो नवगठित राज्यों ने अपनी विकास यात्रा आरंभ की. लोकसभा अभियान के चलते इन सभी राज्यों के स्थानीय मुद्दों पर उस तरह चर्चा नहीं हुई, जैसी की आर्दश  रूप में होनी चाहिए. मैं देश भर में कहीं भी गया तो मैंने इन चुनावी राज्यों के बारे में अपने अनुभवों का उल्लेख किया.

हां,  ये एक कड़े संघर्ष वाला चुनाव था. इसमें खुशियों भरे छण भी थे और साथ ही तल्खी भरे छण भी आए. अब तल्खी को दूर करने और चुनाव अभियान की धूल को पीछे छोड़ते हुए आने देखने का वक्त है. इस बात की परवाह किए बिना कि 16 तारीख को कौन जीतता है, अरबों भारतीयों के सपनों को कोई आधात नहीं होना चाहिए. ये सही है कि हमारे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की विचारधाराएं अलग-अलग हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य एक है- भारत के लिए काम करना और अपने युवाओं की आकाक्षांओं को पूरा करना.

ये आगे की ओर देखने का सही समय है. ये एक दूसरे से जुड़ने का समय है. आइए राजनीति की जगह लोगों को, निराशा की जगह उम्मीद को, चोट पहुंचाने की जगह मरहम लगाने को, अलगाव की जगह सभी को साथ लेने को और भेदभाव की जगह विकास को तरजीह दें. ये द्विपक्षीय समझौते की भावना के अनुकूल है कि चुनाव अभियान के बीच हम इन बातों से भटक जाएं, लेकिन अब इस पर एक बार फिर लौटने का समय है.

निजी तौर पर ये अभियान एक अनूठी यात्रा रही. कुछ दिनों पहले मैंने अपने एक ब्लॉग में बताया था कि किस तरह ये एक व्यापक, अभिनव और संतुष्टिदायक यात्रा थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जैसा कोई व्यक्ति खुद को आज यहां पाएगा. ये लोकतंत्र की शक्ति है और ये भारत माता की शक्ति है. मैं उन सभी लोगों को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं जो इस यात्रा का हिस्सा बने. आपके समर्थन और आलोचनाओं ने इस यात्रा को अत्यधिक जीवंत बना दिया. मैं खासतौर से उन सुरक्षा बलों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से विभिन्न रैलियों के लिए मेरे साथ या मुझसे पहले यात्रा की. यदि नरेंद्र मोदी इतनी अधिक रैलियों को सम्बोधित कर सका और बड़ी संख्या में लोगों से मिल सका तो इसका बहुत अधिक श्रेय उन्हें जाता है.

मैं अपनी बात भाजपा तथा एनडीए के अपने सभी साथी उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं के प्रति कुछ शब्दों से समाप्त करना चाहूंगा- आपको प्रयासों और साथ के लिए धन्यवाद. मैं आप सभी को 16 मई के दिन सर्वश्रेष्ठ परिणामों के लिए शुभकामनाएं देता हूं. आइए 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की ओर यात्रा प्रारंभ करें और एक ऐसा भारत बनाएं जिस पर हमारे महापुरुषों को गर्व हो.

आपका,

नरेंद्र मोदी

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Kind Words from Honorable Justice Krishna Iyer, former Judge of the Supreme Court
March 19, 2020

Dear Friends,

"Work without expecting the fruits of action"- this message of the Bhagavada Gita is strongly engrained in all of us. At times, even such deeply dedicated lives get inspired when touched by emotions. Amidst the glitter of fame and name flows incessantly a stream of sentiments but it is like river Saraswati just felt underneath. The sweet sounds of these streams find their ways and shake you to the core occasionally.

Sometime back I had been to Kerala where I paid an informal courtesy to one of India’s most renowned judges, Honorable Justice Krishna Iyer (Former Judge, Supreme Court). In a simple house, he sat in a room lit with sunrays peeping through the windows in the midst of heaps of books. It was truly an honour to meet the 90-year old Justice Iyer, whose persona epitomized politeness, kindness and a deep sense of affection! This meeting will be edged in my memory forever.

Friends, the whole of Gujarat is familiar with my passion for girl child education. Everybody has enjoyed the fruits of the Kanya Kelavani initiative across Gujarat! Details about the initiative could be found here (Kanya Kelavani).

I am writing this today to share with you an inspiring letter I received from Justice Iyer a few months ago in which he lauded our efforts for girl child education. The letter is sure to bring great joy to your heart as it did to mine. Joy and enthusiasm are best enjoyed when shared and this collective enthusiasm can further strengthen us to work better.

(His letter and my reply can be viewed here)

Letter 1 :- Honorable Justice Iyer’s letter to Shri Narendra Modi

Letter 2 :- Shri Narendra Modi’s reply to Honorable Justice Krishna Iyer