स्वच्छ काशी के उद्देश्य को प्राप्त करने और भारत की आध्यात्मिक राजधानी को विकसित करने और इसे फिर से जीवंत बनाने के लिए लगातार कदम उठाये जा रहे हैं। काशी और क्योटो के बीच हुआ सिस्टर सिटी समझौता इस क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ है। इस शहर को पहले से ज्यादा स्वच्छ एवं हरित बनाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

हाल ही में, वाराणसी के निवासी, स्वयंसेवक, छात्र और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे परियोजना में अपना सहयोग देने के लिए आगे आये। श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत आंदोलन को एक मिशन के रूप में लिया गया है। गंगा घाट से लेकर संकरी गलियों तक, लोग झाड़ू लेकर संपूर्ण काशी को स्वच्छ बनाने के कार्य में लगे हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ आह्वान से प्रेरित होकर कई स्वयंसेवकों ने भी सफाई अभियान में भाग लिया और घाट पर व्याप्त गंदगी को हटाकर इसे साफ-सुथरा बनाया। नागालैंड के रहने वाले तेमसुतुला इम्सोंग और वाराणसी की दर्शिका शाह ने एक अनूठी पहल शुरू की जो अत्यंत सफ़ल हुआ है।

कुछ सप्ताह पहले वाराणसी के घाटों की सफाई करने के उद्देश्य से ‘मिशन प्रभु घाट’ नामक एक अभियान शुरू किया गया था। इम्सोंग ने शाह और टीम के साथ मिलकर प्रधानमंत्री के सफाई अभियान को अपने हाथों में लेते हुए इसे एक प्रेरणादायक आंदोलन बना दिया जिससे प्रेरित होकर कई युवाओं ने इसमें भाग लिया। अपने आस-पास स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारी संख्या में युवा गलियों एवं सड़कों पर इकट्ठे हुए और लोगों को अपने आस-पास स्वच्छता बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी इसका संज्ञान लेते हुए ट्विटर पर युवा स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने सड़कों, गलियों एवं गंगा घाट को साफ़-सुथरा एवं स्वच्छ बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की।

बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी सड़कों पर निकले और झाडू लेकर सड़कों, घाटों और नदी तक जाने वाली सीढ़ियों की सफाई की। इस स्वच्छता मिशन के तहत कुल 86 घाटों की सफ़ाई की गई जो अब तक का सबसे बड़ा सफाई अभियान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता मिशन में भाग लेने एवं काशी को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की भी प्रशंसा की। एक बार फिर से उन्होंने ट्विटर पर उनके कार्यों की सराहना की।

160 सदस्यों वाली एक विशेष टीम, ख़ासकर गुजरात के सूरत से, ने भी इस स्वच्छ भारत मिशन में भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने शहर भर में मार्च किया और दुर्गाकुंड से सामनेघाट तक की सफ़ाई की। उन्होंने रेलवे स्टेशन और अन्य गंगा घाटों की भी साफ-सफाई की। यह टीम स्थानीय लोगों को सफ़ाई एवं स्वच्छ परिवेश के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए महीने भर ऐसे कई और पहल करेगी।

अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी स्कूल स्तर पर युवाओं को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करने का निर्णय लिया है। बैंक ने अगली पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए एक नए तरीके पर काम किया है। स्कूली बच्चों को ऐसे कार्टून फ़िल्म दिखाये जाएंगे जिसमें उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया जाएगा। शौचालयों को स्वच्छ बनाये रखने, साफ-सफाई एवं अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व को समझते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुलभ इंटरनेशनल के साथ मिलकर 35 प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छता संबंधी समुचित सुविधाओं के निर्माण के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय किया है।

कई सामाजिक संस्थाओं ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान को ध्यान में रखते हुए इस स्वच्छ भारत अभियान में भाग लिया। आईसीएआई जैसे संगठन और कई अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने इस जन आंदोलन का समर्थन किया है और वाराणसी को पुन: जीवंत बनाने में अहम भूमिका निभाई है।