श्री नरेंद्र मोदी एक सीनियर कैमरामैन गोपाल बिश्ट के दाह संस्कार में थे। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की दुर्भाग्यपूर्ण हवाई दुर्घटना में उनके साथ मारे गए पत्रकारों में बिश्ट भी शामिल थे। मोदी दाह संस्कार में ही थे, तभी उन्हें प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई का फोन आया।
अटल जी ने पूछा, “भई कहां हो?”
श्री मोदी ने कहा, “मैं शमशान में हूं।” इस पर अटल जी ने कहा, “तुम शमशान में हो, मैं तुमसे अब क्या बात करूं” लेकिन उन्होंने श्री मोदी को अपने आवास पर मिलने के लिए शाम को बुलाया।
जब श्री मोदी अटल जी से मिले तो प्रधानमंत्री ने कहा, “दिल्ली ने तुम्हें बहुत मोटा बना दिया है! तुम्हें गुजरात वापस जाना चाहिए!”
इस संदेश को श्री मोदी अच्छी तरह समझ गए, हालांकि वो इस निर्णय से आश्चर्यचकित थे। जो कभी विधायक भी न बना हो, उस पर पार्टी इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने का भरोसा कर रही थी। लेकिन जब प्रधानमंत्री खुद इस बात के लिए जोर दे रहे हों, तो कौन इनकार कर सकता था।
इस बारे में श्री मोदी खुद बताते हैं, “मैं कई वर्षों से गुजरात में नहीं था। मैंने पार्टी के अपने साथियों को फोन मिलाया और उनसे कहा – तुम मुझे बुला तो रहे हो, लेकिन मैं रहूंगा कहां, क्योंकि मेरे पास तो घर नहीं है। उन्होंने कहा कि आप चिंता मत कीजिए हम सर्किट हाउस में एक कमरा बुक करवा देंगे, तो मैंने उनसे कहा कि आप कमरा जरूर बुक करवाइए, लेकिन मैं कोई एमएलए नहीं हूं, इसलिए मैं उस कमरे का पूरा किराया दूंगा!”
इस तरह श्री मोदी की गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पारी शुरू हुई। वो राज्य की सबसे अधिक समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री बने और उन्होंने चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ की, जो एक रिकॉर्ड है।