"End financial untouchability for freedom from poverty"
""Vish-chakra se gareebon ki aazadi ka parv" – celebration of liberation of the poor from a poisonous cycle"
"A record unprecedented in economic history – 1.5 crore bank accounts opened in one day"

• गरीबी से आजादी के लिए वित्‍तीय छुआछूत खत्‍म करें।

• “विष-चक्र से गरीबों की आजादी का पर्व।”

• आर्थिक इतिहास में एक अप्रत्‍याशित रिकॉर्ड- 1.5 करोड़ बैंक खाते एक दिन में खोले गए।

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज देश भर में अनुमानित 1.5 करोड़ बैंक खाते खुलने के साथ ही भारत में वित्‍तीय छुआछूत की समाप्‍ति का शुभारंभ होने का ऐलान किया। एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्‍या में बैंक खाते खुलना आर्थिक इतिहास में एक अप्रत्‍याशित रिकॉर्ड है।

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नई दिल्‍ली स्‍थित विज्ञान भवन से देश भर में प्रसारित एक समारोह में प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का औपचारिक रूप से शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने इस अवसर को “विष-चक्र से गरीबों की आजादी का पर्व” करार दिया।

एक ही दिन में कई रिकॉर्ड टूटने पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक खाते खोलने के अभियान को आज मिली राष्‍ट्रव्‍यापी सफलता से न केवल वित्‍तीय सेवा विभाग और बैंकिंग क्षेत्र के अधिकारियों का, बल्‍कि केंद्र सरकार के अधिकारियों का भी इस बात पर भरोसा बढ़ेगा कि वे उन लक्ष्‍यों को सफलतापूर्वक हासिल कर सकते हैं, जिन्‍हें वे खुद के लिए तय करते हैं। उन्‍होंने कहा, “आज से पहले बीमा कंपनियों ने कभी भी एक ही दिन में 1.5 करोड़ दुर्घटना बीमा पॉलिसियां जारी नहीं की होंगी। आर्थिक इतिहास में आज से पहले कभी भी एक ही दिन में 1.5 करोड़ बैंक खाते नहीं खुले होंगे। आज से पहले कभी भी भारत सरकार ने एक ही दिन में 77,000 से भी ज्‍यादा स्‍थानों पर एक जैसा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया है, जिसमें इतने सारे मुख्‍यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सरकारी एवं बैंक अधिकारियों ने शिरकत की।” उन्‍होंने कहा कि यह सफलता नई ऊंचाइयां छूने की दिशा में एक प्रेरणा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो ‘पीएमजेडीवाई’ का आरंभिक लक्ष्‍य एक साल में 7.5 करोड़ बैंक खाते खोलना है, लेकिन हमने संबंधित अधिकारियों से अगले गणतंत्र दिवस से पहले ही इस अहम कार्य को पूरा करने के लिए कहा है।


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‘पीएमजेडीवाई’ के तहत मिलने वाले फायदों को विस्‍तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महज एक बैंक खाता नहीं है क्‍योंकि इसमें अन्‍य लाभ भी हैं, जिनमें एक रुपे डेबिट कार्ड, एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर और अतिरिक्‍त 30,000 रुपए का जीवन बीमा कवर भी शामिल हैं। ये लाभ उन सभी लोगों को मिलेंगे जो 26 जनवरी, 2015 से पहले बैंक खाता खोलेंगे। उन्‍होंने कहा कि इन खातों में होने वाले लेन-देन पर नजर रखी जाएगी तथा ओवरड्राफ्ट सुविधा दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्‍होंने 7.25 लाख बैंक कर्मचारियों को भेजकर उनसे 7.5 करोड़ बैंक खाते खोलने के लक्ष्‍य को पाने और वित्‍तीय छुआछूत से आजादी दिलाने में मदद करने को कहा है।

प्रधानमंत्री ने उन पांच लाभार्थी दम्‍पतियों का जिक्र किया जिन्‍होंने आज विज्ञान भवन में आयोजित समारोह के दौरान खाता खोलने वाली किट हासिल की थी। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं की वेशभूषा किसी समारोह में शामिल होने जैसी थी। उन्‍होंने कहा, ‘वे जानती थीं कि महिलाओं के सशक्‍तीकरण के लिए बैंक खाते खोलने से बड़ा कोई और समारोह नहीं हो सकता।’


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प्रधानमंत्री ने कहा, “जब वर्ष 1969 में बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण किया गया था, तब लोगों को आर्थिक मुख्‍यधारा में शामिल करना लक्ष्‍य था। हालांकि, वह उद्देश्‍य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। आजादी के 68 साल गुजर गए हैं, लेकिन देश की 68 फीसदी आबादी को भी अब तक बैंकिंग सुविधा नसीब नहीं हो पाई है।” उन्‍होंने कहा, “अमीरों को तो आसानी से सस्‍ता लोन मिल जाता है, लेकिन गरीबों को विवश होकर साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है, जिसके लिए उन्‍हें अमीरों के मुकाबले पांच गुना ज्‍यादा ब्‍याज देना पड़ता है। क्‍या यह बैंक उद्योग की जिम्‍मेदारी नहीं है कि वह गरीबों को बैंकिंग सुविधा सुलभ कराए।”

प्रधानमंत्री ने अपनी बात को स्‍पष्‍ट करने के लिए एक उदाहरण दिया जिसमें बचत करने वाली एक ऐसी मां का जिक्र किया गया है, जो इस राशि को अपने घर में कहीं छिपाने पर विवश हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि जिन बैंक अधिकारियों ने इस तरह की मां के लिए खाता खोला है, वे आज खुद को भाग्‍यवान महसूस कर रहे होंगे।

उन्‍होंने कहा कि गरीबी और कर्ज के दुष्‍चक्र से बाहर निकलने के लिए एक बड़े कदम की जरूरत थी, जिसे आज सफलतापूर्वक उठाया गया। उन्‍होंने कहा कि गरीबों की पहुंच मोबाइल फोन तक होने और डेबिट कार्ड तक उनकी पहुंच होने में समानताएं हैं। दोनों ही कदमों से गरीबों का विश्‍वास और गर्व बढ़ेगा।

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प्रधानमंत्री ने इस मौके पर संस्‍कृत भाषा की एक प्राचीन उक्‍ति का जिक्र किया: सूक्ष्‍य मूलम धर्म, धर्मस्‍य मूलम अर्थ, अर्थस्‍य मूलम राज्‍यम। इसके मद्देनजर आर्थिक गतिविधियों में लोगों को शामिल करने की जिम्‍मेदारी सरकार पर है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस सरकार ने यह जिम्‍मेदारी स्‍वीकार कर ली है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों में बचत करने की आदत है और वे अपने बच्‍चों के भविष्‍य को लेकर चिन्‍तित रहते हैं।

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प्रधानमंत्री ने इस योजना के लिए ‘नाम और लोगो प्रतियोगिता’ के विजेताओं को पुरस्‍कार दिए। उन्‍होंने कहा कि प्रतियोगिता में पुरस्‍कार पाने वाले अधिकतर गैर-हिन्‍दी भाषी राज्‍यों से हैं लेकिन उन्‍होंने नाम और लोगो हिन्‍दी में बनाने के लिए पुरस्‍कार जीते हैं। यह राष्‍ट्रीय एकीकरण का एक उदाहरण है।

इस अवसर पर वित्‍त मंत्री ने कहा कि पीएमजेडीवाई को मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा और बैंक से अब तक नहीं जुड़े 7.5 करोड़ परिवारों को बैंकिंग सुविधा सुलभ कराने के प्रथम लक्ष्‍य को 26 जनवरी 2015 तक पूरा कर लिया जाएगा।

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वित्‍त राज्‍यमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएमजेडीवाई में घर की महिला को प्राथमिकता दी गई है। उन्‍होंने कहा कि यह योजना सकारात्‍मक रूप से प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति के जीवन को प्रभावित करेगी।