"India and China have enormous opportunities to not only forge mutually beneficial partnerships, but also serve as catalytic agents of Asian and global prosperity"
"PM suggests opening of a second route for the Kailash Mansarovar Yatra."
"China invites India to APEC meeting in November

प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक और मार्ग शुरू करने का सुझाव दिया

ब्राजील के फोर्टलेजा शहर पहुंचने के कुछ ही समय पश्‍चात प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन की पूर्व संध्‍या पर चीन के राष्‍ट्रपति श्री शी जिनपिंग से मुलाकात की। 80 मिनट तक चली यह मुलाकात प्रधानमंत्री की चीन के साथ पहली शिखर वार्ता है।

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दोनों नेताओं ने माना कि न केवल भारत-चीन के बीच सहयोग की व्‍यापक संभावनाएं है, बल्कि दोनों देश एशिया और विश्‍व की सम्‍पन्‍नता की वृद्धि में एक उत्‍प्रेरक की भूमिका अदा कर सकते हैं। श्री जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों के महत्‍व को रेखांकित किया और कहा कि जब भारत और चीन मिलते हैं तो पूरे विश्‍व की उन पर नज़र रहती है।

श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही सप्‍ताह के अंदर यह भेंट वार्ता होने पर दोनों प्रसन्‍न नज़र आए। दोनों नेताओं ने पिछले कुछ सप्‍ताहों के दौरान भारत के उप-राष्‍ट्रपति श्री हामिद अंसारी की चीन यात्रा और श्री जिंगपिंग के विशेष दूत के तौर पर चीन के विदेश मंत्री श्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान विकसित हुए द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर संतोष जताया।

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दोनों पक्षों ने सीमा विवाद को हल करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सीमा पर परस्‍पर विश्‍वास एवं भरोसे को बढ़ाने और शांति बरकरार रखने पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि अगर भारत और चीन सीमा विवाद को परस्‍पर वार्ता से हल कर लेते हैं तो इससे पूरे विश्‍व के लिए एक उदाहरण प्रस्‍तुत होगा कि किस तरह शांतिपूर्वक तरीके से सीमा विवादों को सुलझाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने श्री जिनपिंग को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए मैदानी क्षेत्रों से जाने वाले तीर्थयात्रियों को होने वाली समस्‍याओं के मद्देनजर एक और मार्ग शुरू करने का सुझाव दिया। श्री जिनपिंग ने इस सुझाव पर विचार करने का आश्‍वासन दिया।

प्रधानमंत्री ने भारत के ढांचागत सेक्‍टर में चीनी निवेश बढ़ाने के साथ दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक असंतुलन समाप्‍त होने की आशा व्‍यक्‍त की। श्री जिनपिंग ने इस पर सहमति‍ जताई कि दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग के लिए व्‍यापारिक संबंधों में संतुलन होना जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि चीन के लिए भारतीय निर्यात बढ़ाकर भी इस समस्‍या का एक समाधान किया जा सकता है।

चीन ने इस वर्ष नवम्‍बर महीने में अपेक (एपीईसी) सम्‍मेलन में शिरकत करने के लिए भारत को आमंत्रित किया है। श्री जिनपिंग ने कहा कि भारत को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में अपनी सक्रियता बढ़ानी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में भारत एससीओ में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है। अगर कोई अतिरिक्‍त जिम्‍मेदारी दी जाती है तो भारत को उसे स्‍वीकार करने में कोई गुरेज नहीं होगा।

श्री मोदी ने मुख्‍यमंत्री के अपने कार्यकाल में चीन यात्रा की याद दिलाई। उन्‍होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि देशों के बीच संबंध वहां की जनता के संबंधों की शक्ति से बनते हैं। उन्‍होंने पर्यटन और अन्‍य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ने की उम्‍मीद जताई।

प्रधानमंत्री ने यह भी आशा व्‍यक्‍त की कि इस वर्ष आयोजित श्री जिनपिंग की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच नए और महत्‍वाकांक्षी कार्यों के लिए द्विपक्षीय सहयोग को बेहतर करने के लिए एक सुअवसर रहा। उन्‍होंने चीन यात्रा के लिए उनको आमंत्रित करने के लिए राष्‍ट्रपति का आभार व्‍यक्‍त किया और आशा जताई कि श्री जिनपिंग शीघ्र भारत यात्रा पर आएंगे।