प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 से 16 मई तक चीन की तीन दिवसीय यात्रा की। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही। इससे भारत और चीन के बीच न सिर्फ़ द्विपक्षीय भागीदारी और आर्थिक सहयोग बढ़ा बल्कि दुनिया के दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच मैत्रीभाव को मजबूत करने में भी इसकी अहम भूमिका रही।

यह पहला मौका था जब चीन के राष्ट्रपति ने आधिकारिक यात्रा पर आये किसी नेता का स्वागत बीजिंग के बाहर किया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने गृह प्रांत शियान में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच मित्रता में एक नया आयाम जुड़ा। राष्ट्रपति जिनपिंग श्री मोदी के साथ बिग वाइल्ड गूज पगोड़ा एवं साउथ सिटी मॉल गये जहाँ श्री मोदी का औपचारिक स्वागत किया गया। श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्‍ट्रपति शी जिंनपिंग को गुजरात के वडनगर में खुदाई से प्राप्त कुछ पुरातात्विक चित्र भी उपहारस्वरूप दिये। महान चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी वडनगर का दौरा किया था।

इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया, प्रतिनिधिमंडल के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की और चीनी के शीर्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बैठक की। प्रधानमंत्री मोदी ने बीजिंग में चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग से भी मुलाकात की। चीन के प्रधानमंत्री के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में सीमा पर शांति और सौहार्द बनाने पर भी विचार-विमर्श किया गया। यहाँ जोर इस बात पर था कि भारत-चीन संबंधों को एक दूसरे के लिए शक्ति का स्रोत बनाया जाए और दोनों देश विश्व की बेहतरी के लिए मिलकर काम कर सके। इसके अलावा, जून तक चालू हो जाएगा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए ‘नथू ला मार्ग’ जून से शुरू हो जाएगा, जो दोनों देशों के लिए ख़ुशी की ख़बर थी।

बीजिंग में आयोजित भारत-चीन राज्य/प्रांतीय नेताओं के फोरम की बैठक में प्रधानमंत्री ने ‘टीम इंडिया’ के अपने सपने को दोहराते हुए पूरे देश के समग्र विकास के लिए केन्द्र और राज्य के बीच आवश्यक समन्वय पर बल दिया। श्री मोदी ने कहा कि ‘भारत-चीन प्रांतीय नेताओं का फोरम’ एक ऐतिहासिक और विशेष कदम है जिसके माध्यम से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध आगे और मजबूत होंगे।

चीन की वाणिज्यिक राजधानी शंघाई में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के व्यापार जगत के शीर्ष अधिकारियों और निवेशकों के साथ बातचीत की और ‘भारत-चीन व्यापार फोरम’ में भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर दिया। उन्होंने एक ऐसे भारत की तस्वीर पेश की जहाँ अब व्यापार करना आसान हो रहा है। उन्होंने आगे कहा, “भारत हमेशा से ही एक ज्ञान आधारित समाज रहा है। आपका समाज नवोन्मेषी समाज है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के दो सबसे विख्यात विश्वविद्यालयों का भी दौरा किया। बीजिंग के शिंगुआ विश्वविद्यालय में श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत-चीन द्विपक्षीय सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी दोनों देशों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने दोनों देशों के लोगों के बीच आपस में संपर्क बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।

फूदान विश्वविद्यालय में गांधीवादी और भारतीय अध्ययन केंद्र का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने तीन दिवसीय दौरे में दो विख्यात विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलने पर अपनी ख़ुशी जताई। शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए श्री मोदी ने गांधी जी  को ‘युग पुरुष’ और ‘विश्व मानव’ की उपाधि दी।

कोई भी गतिविधि हो, चाहे वो टेराकोटा योद्धा संग्रहालय हो या योग-ताइची संयुक्त समारोह हो या चीन के प्रधानमंत्री के साथ अपनी सेल्फी हो, श्री नरेन्द्र मोदी अपने प्रशंसकों को अपनी यात्रा की गतिविधियों के बारे में नवीन जानकारियां देते रहे। उन्होंने यात्रा से जुड़ी कई तस्वीरें भी साझा की।

चीन के लोगों के साथ सीधा एवं बेहतर संपर्क बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो से भी जुड़े। अपनी यात्रा से पहले जैसे ही वे वीबो से जुड़े, चीन के ब्लॉगर्स ने भारतीय प्रधानमंत्री के इस पहल की अत्यंत सराहना की।

शंघाई में भारतीय समुदाय को उनका संबोधन चीन में भारतीयों को एकजुट करने का एक अवसर था। सभी प्रवासी भारतीय भारत के प्रधानमंत्री को सुनने के लिए उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने वहां लोगों के साथ बातचीत भी की। वहां आए हुए सभी लोग उत्साह से लबरेज थे।

उन्होंने चीन यात्रा की समाप्ति पर यह आशा जताई कि आने वाले समय में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली केकियांग और चीन के लोगों को गर्मजोशी से स्वागत करने और आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया।