प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वाराणसी को भारत की विरासत का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बताया और इसकी वैश्विक विशिष्‍ट स्थिति फिर स्‍थापित करने के प्रति अपना संकल्‍प स्‍पष्‍ट किया है। वे वाराणसी में समाज के विभिन्‍न वर्गों के नागरिकों के साथ विचार –विमर्श कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस बारे में काफी लोगों से बातचीत कर रहे है और सुझाव प्राप्‍त कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद लंदन के पुर्नविकास के उदाहरण दिए। पुनर्वास के जरिए इस नगर का मूल स्‍वरूप बरकरार रखा गया और 2001 के भूकंप के बाद गुजरात में भुज में पुर्नविकास किया गया। उन्‍होंने कहा कि काशी को भी इसी प्रकार के नवीनीकरण की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने किसी बड़ी घोषणा से इंकार करते हुए वाराणसी के नवीनीकरण के बारे में अपने दृष्टिकोण के कुछ प्रमुख तत्‍वों का उल्‍लेख किया।

बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय को वाई फाई विश्‍वविद्यालय बनाना; इसका आधुनिकीकरण करना और इसे विश्‍व में सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों की श्रेणी में शामिल करना।

विद्यालयों में बालकों और बालिकाओं के अलग शौचालय।

नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से गंगा की सफाई ।

शुद्ध पेयजल का प्रावधान। महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करते हुए गंगा घाटो का आधुनिकीकरण।

आधुनिक प्रकाश व्‍यवस्‍था के इस्‍तेमाल से गंगा आरती के सामयिक वातावरण और आभास का सृजन।

काशी के लिए विशेष ‘’पैलेस ऑन व्‍हील्‍स’’ रेलगाड़ी चलाना। काशी के लिए बैटरी से चलने वाली छोटी कार चलाना। नगर के लिए ठोस कचरा प्रबंधन।

वाराणसी रेलवे स्‍टेशन पर प्रत्‍येक के लिए बैठने के लिए पर्याप्‍त स्‍थान।

सार्वजनिक स्‍थानों पर आधुनिक विश्राम कक्ष।

सार्वजनिक स्‍थानों पर सौर ऊर्जा से प्रकाश।

ई-कामर्स के इस्‍तेमाल से हथकरघों और हस्‍तकलाओं के लिए वैश्विक बाजार का सृजन।

नि:शुल्‍क आपात एंबुलेंस सेवा।

प्रधानमंत्री ने संपर्क और संवाद के आधुनिक तरीकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि शायद उन्‍हें स्‍वच्‍छता अभियान के लिए महात्‍मा गांधी से भी अधिक समर्थन मिला है। उन्‍होंने कहा कि इस बारे में जागरूकता बढ़ रही है ऐसा वातावरण बन रहा है जिसमें लोग गंदगी से धृणा करना शुरू कर देंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह महीने के अनुभव के आधार पर वह कह सकते है कि कोई ऐसा कारण नहीं कि देश जैसा आज है वैसा ही बना रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि समूचा विश्‍व आज भारत की ओर देख रहा है और अब यह हमारे देश पर है कि हम किस तरह स्थिति से फायदा उठा सकते है।