"PM: India's thrust on Renewable Energy production is an effort to ensure universal energy access for India's poor "
"PM: India is graduating from Megawatts to Gigawatts in Renewable Energy production"
"भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादन पर जोर दिया जाना यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि भारत के सभी निर्धनों की पहुंच ऊर्जा तक कायम की जा सके-प्रधानमंत्री"
"भारत नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादन में धीरे-धीरे मेगावॉट से गीगावॉट की ओर बढ़ रहा है-प्रधानमंत्री"

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादन पर जोर दिया जाना यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि भारत के सभी निर्धनों की पहुंच ऊर्जा तक कायम की जा सके-प्रधानमंत्री। वे आज नई दिल्‍ली में प्रथम नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक निवेशक सम्‍मेलन और प्रदर्शनी, पुन:निवेश 2015 को संबोधित कर रहे थे।

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उन्‍होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादन में धीरे-धीरे मेगावॉट से गीगावॉट की ओर बढ़ रहा है, फिर भी आज लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास ऊर्जा के कनेक्‍शन नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि जब तक अंतिम परिवार तक बिजली नहीं पहुंच जाती, तक तक विकास के लाभ जन साधारण तक नहीं पहुंच सकते। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि वैश्विकरण के इस युग में ऊर्जा उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में भारी बढ़ोतरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा पर बल देने का मकसद विश्व को प्रभावित करना नहीं है, बल्कि अपने लोगों की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करना है।

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श्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर ‘‘ऊर्जा के सात अश्वों’’ की भी बात की। उन्होंने कहा कि अभी तक भारत ने ताप, गैस और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया है। परंतु, अब हमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस ऊर्जा को इसमें जोड़ने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ऐसे 50 देशों का संघ विकसित करने के लिए काम कर रहा है, जिनमें सौर विकिरण प्रचुर मात्रा में होता है। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना, देश के निर्धनतम व्यक्तियों की ऊर्जा पहुंच में सुधार लाना और सुदूरतम स्थानों तक ऊर्जा पहुंचाना है।

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श्री नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया कि सौर और पवन ऊर्जा का एकसाथ अधिकतम लाभ उठाने के लिए संकर ऊर्जा उद्यानों की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने जल निकायों पर सौर पैनल संस्थापित करने को प्रोत्साहित करने की भी बात कही ताकि सौर ऊर्जा का दोहन किया जा सके और धरती से होने वाले वाष्पीकरण में कमी लाई जा सके। उन्होंने छतों पर सौर ऊर्जा के दोहन की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की लागत में कमी लाने के लिए सौर पम्पों की आवश्यकता बताई। श्री मोदी ने जल संरक्षण और किसानों की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उन्होंने इस दिशा में कई राज्य सरकारों के प्रयासों का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे सामूहिक प्रयासों से देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निश्चित रूप से ‘‘मेगावॉट से गीगावॉट’’ तक पहुंच सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति से प्रेम करना और प्रकृति के साथ सामंजस्य से रहना भारत के डीएनए का एक हिस्सा है। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि आगे बढ़ने के लिए हम केवल अपनी संस्कृति और परंपराओं पर ही निर्भर नहीं रहे सकते बल्कि इस दिशा में बड़ी छलांग लगाने के लिए सतत प्रयासों की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यदि कोई देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम है, तो वह भारत है।

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प्रधानमंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में स्थिर प्रौद्योगिकी अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए विनिर्माण के उपकरण देश में बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमन और केंद्रीय बिजली, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल भी उपस्थित थे।