"प्रधानमंत्री ने हरिणाया के पानीपत में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की शुरुआत की"
"हमें बेटियों को मारने का हक नहीं है :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी"
"हमारा मंत्र होना चाहिए- ‘बेटा बेटी, एक समान’ :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी"
"बेटी के जन्म की खुशी मनानी चाहिए: केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी"
"हम चांद पर पहुंच गए हैं और हम मंगल पर पहुंच गए हैं, लेकिन दुख की बात है कि कुछ लोग अभी भी अपनी बेटियों को बोझ की तरह देखते हैं: सुविख्यात फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने"

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के लोगों ने एक भावनात्मक अपील करते

हुए कहा कि वो “बेटियों के जीवन की भीख मांगने के लिए एक भिक्षुक के रूप में

आया हूं।” उन्होंने राष्ट्रीय कार्यक्रम “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” की शुरुआत के

अवसर पर हरियाणा के पानीपत में एक विशाल जनसभा, जिसमें अधिकांश

महिलाएं थीं, को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी

मानसिकता 18वीं सदी की है, हमें खुद को 21वीं सदी का नागरिक कहने का कोई

अधिकार नहीं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने बेटे और बेटियों के बीच भेदभाव को

खत्म करने का आह्वान किया। ऐसा करके ही कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा

सकता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे खत्म करने की हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है,

वर्ना हम न सिर्फ मौजूदा पीढ़ी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों

के लिए “भयानक संकट” को भी आमंत्रित कर रहे हैं।

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कन्या भ्रूण हत्या में योगदान करने वाले डॉक्टरों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि

उनकी मेडिकल शिक्षा का उद्देश्य जीवन को बचाना था, न कि बेटियों की हत्या

करना।

उन्होंने कहा कि हालांकि इस कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के पानीपत में किया

गया, लेकिन इसका संदेश पूरे देश में प्रासंगिक हैं। प्रधानमंत्री ने पूछा कि अगर

बेटियां पैदा नहीं होंगी तो बहुएं कहां से लाएंगे? उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हैं जो

पढ़ी लिखी बहुएं चाहते हैं, लेकिन वो अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं

हैं। उन्होंने कहा कि ये भेदभाव खत्म होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने पानीपत के सुविख्यात उर्दू विद्वान अल्ताफ हुसैन हाली को उद्धत

किया, “ओ माताओं, बहनों, बेटियों - दुनिया की जन्नत तुमसे है, मुर्दों की बस्ती हो तुम,

कौमों की इज्जत तुमसे हो।” उन्हें बेटियों को दिए गए महत्व को रेखांकित करने के

लिए अन्य प्राचीन शास्त्रों को भी उद्धत किया।

प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला को स्मरण किया, जो मूलत:

हरियाणा की थीं, और बताया कि किस तरह बेटियां नाम रोशन कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि आज लड़कियां खेल में, शिक्षा में और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी

अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, और यहां तक कि वो कृषि में अत्यंत महत्वपूर्ण

योगदान कर रही हैं।

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प्रधानमंत्री ने सुविख्यात अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को धन्यवाद दिया, जिन्होंने

अपनी माँ के अस्वस्थ होने के बावजूद इस कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने कहा

कि इससे इस कार्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है, और हमारे

समाज में लैंगिक असंतुलन को दूर करने के लिए ऐसी ही प्रतिबद्धता की जरूरत

होगी।

प्रधानमंत्री ने वाराणसी के जयापुर गांव का उदाहरण दिया। उनकी सलाह पर इस

गांव में बेटी होने पर आनंदोत्सव मनाया जाता है, और ऐसे प्रत्येक अवसर पर

पांच पेड़ लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में लोगों को इस उदाहरण को

अपनाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने बालिकाओं के लाभ के लिए ‘सुकन्या संमृद्धि खाता’ का शुभारंभ

किया। उन्होंने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” थीम पर टिकट भी जारी किया और

“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” की शपथ भी दिलाई।

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The Governor of Haryana Prof. Kaptan Singh Solanki, the Chief

इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी, हरियाणा के

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी, श्री रवि शंकर

प्रसाद, श्रीमती स्मृति ईरानी, डॉक्टर हर्षवर्धन, और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री

जयंत सिन्हा भी उपस्थित थे।

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