President Mukherjee's life will always remain a great source of inspiration for the entire nation: PM Modi
President Mukherjee has penned several books, held many positions in his political career: PM
Pranab Da has held many portfolios, be it commerce, defence, finance or foreign ministry: PM Modi
We must study our history. It gives detailed insights about our society: PM Modi
Fortunate to work with President Mukherjee as the Prime Minister: Narendra Modi

आदरणीय राष्‍ट्रपति जी, उपस्‍थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव हमारे शास्‍त्रों में सहत्र ग्रंथ दर्शन है जिसका एक विशेष महत्‍व है। 50 साल, 75 साल इससे भी बढ़ करके 80वीं जन्‍म जयंती सहत्र चंद्र दर्शन के रूप में मनायी जाती हैं और उसका तात्‍पर्य यह होता है कि जब व्‍यक्‍ति 80 वर्ष का होता है तब तक उसने एक हजार बार पूर्ण चंद्र के दर्शन किए होते हैं अपने जीवन काल में। हमारे बीच राष्‍ट्रपति महोदय सहत्र चंद्र दर्शन के बाद उस शीतलता की अनुभुति सारे राष्‍ट्र को करा रहे हैं। मैं आज हृदय से उनको अभिनंदन करता हूँ, उनको बधाई देता हूँ। और मुझे विश्‍वास है उनका दीर्घकालीन जीवन आने वाले अनेक वर्षों तक राष्‍ट्र के लिए एक बहुत बड़ी अमानत के रूप में काम आता रहेगा, प्रेरणा देता रहेगा और राष्‍ट्र को विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जाने के हम सब के जो सपने हैं, उन सपनों को पूरा करने में उनके आशीर्वाद बने रहेंगे। मैं उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ।

आज यहाँ दो ग्रंथों का लोकार्पण हुआ है। एक तो वो वैचारिक यात्रा है जिस यात्रा का प्रसाद समय-समय पर राष्‍ट्र को प्राप्‍त होता रहा है। आदरणीय राष्‍ट्रपति जी के द्वारा भिन्‍न- भिन्‍न विषयों पर जो बातें बताई गईं, अलग-अलग समय पर बताई गईं, एक प्रकार से विचार सम्पुट है, एक प्रकार से ये शासन व्यवस्था और समाज व्यवस्था के बीच एक दर्शन है, जो उस तत्कालीन अवस्था का भी परिचय देता है और वह आगे की सोच के लिए खिड़की भी खोलता है और उस अर्थ में ये जो उनकी विचार यात्रा का सम्पुट है जो व्‍याखानों के द्वारा समय-समय पर प्रकट हुआ है। वो आने वाले दिनों में अवश्य उपकारक होगा।

कभी-कभी मैं पत्रकारिता के विद्यार्थ्‍िायों से बात करता हूँ तो एक कमी महसूस ज़रुर करता हूँ कि उनकी जो Text books होती हैं कि वो एक निश्चित विचारों से बधे हुए लोगों के articles हैं उनका एक compilation होता है और वही उनको पढ़ाया जाता है। अच्‍छा होगा अगर इस प्रकार के ग्रंथों का पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए एक Project के रूप में अगर काम दिया जाए तो बहुत सारे विचारों की पार्श्‍वभूमि को समझने, घटनाओं की पार्श्‍वभूमि को समझने का उनको अवसर मिलता है। कोई भी निर्णय अचानक नहीं होता है एक बहुत बड़ी वैचारिक पार्श्‍वभूमि होती है, बहुत लंबी प्रक्रियाएं होती हैं। जब विरष्‍ठ पद पर बैठे हुए व्‍यक्‍ति के विचारों को उसके मूल स्‍वरूप में देखते हैं तब उन चीजों को समझने की सुविधा बनती है। और उस अर्थ में इस प्रकार का संकलन, इस प्रकार का संपादन आने वाले दिनों में नई पीढ़ी को बहुत बड़ी प्रेरणा दे सकता है। एक और भी ग्रंथ का विमोचन करने का सौभाग्‍य मिला और एक प्रकार से हमारे धरोहर की पहचान है। किसी न किसी कारण से हम इस बात के दोषी हैं एक समाज के रूप में we are not a history conscious Society और उसके कारण जो हमारी बहुमूल्‍य चीजें हैं उसका जो गौरव करना चाहिए उसकी जो हिफाजत करनी चाहिए, उसको संभालना, संवारना और नई पीढ़ी को संक्रमित करना, ये कुल मिला करके हमारा एक बहुत बड़ा देाष रहा है। हो सकता है ये मूल चिंतन ‘आत्‍मवत्‍सव भूतेषु’ का होने के कारण शायद माहात्‍मय नहीं लगा होगा। लेकिन जब देखते हैं दुनियां के सारे लोगों की तुलना में, तो हमारे पास क्‍या कुछ नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में हर कोई पत्‍थर के पास अपना एक इतिहास है, हर पत्‍थर को कहने के लिए बहुत कुछ बातें हैं। लेकिन न उसे कोई सुनने वाला रहा, न उसे कोई समझने वाला रहा और न ही उसे कोई शब्‍दों में जड़ने वाला रहा। और उसके कारण इतना बड़ा इतिहास पत्‍थर बन कर रह गया। समय की मांग होती है कि इस पत्‍थ्‍ार को फिर से एक बार जिंदा कर दिया जाए। ‘शिला से अहिल्‍या' की घटना रामायण में किस रूप में है मैं नहीं जानता हूँ लेकिन मैं इतना समझता हूँ कि भारत के हर कोने में पत्‍थरों में जकड़ा हुआ इतिहास अपने आप में एक बहुत बड़ी हमारी विरासत है। फिर से उसको एक बार हम जीवित कर सकते हैं। इस धरोहर पर जो ग्रंथ हैं उनमें वो प्रयास हैं कि हमारी ये व्‍यवस्‍थाएं, हमारी ये इमारतें किस परीप्रेक्ष्‍य में बनी ? कैसे बनी ? क्‍या निर्णय हुए ? क्‍या-क्‍या उसका पहलु है और ये सब दूर है। मैं समझता हूँ कि ....... विशेषकरके Omita जी की इस विषय में बड़ी रूचि रहती है, उन्‍होंने एक अच्‍छा काम किया है। मैं उनको विषेश रूप से बधाई देता हूँ। जिस टीम ने इस काम को किया है मैं उनको भी बधाई देता हूँ।

प्रणव दा! वो भाग्‍यवान व्‍यक्‍ति हैं जिनको माता सरस्‍वती के भी आशीर्वाद हैं और मां सरस्‍वती के आशीर्वाद होने के कारण वे कलम के भी धनी हैं। उन्‍होंने जो कुछ भी लिखा है, उनकी काफी किताबें हैं, उन किताबों में वो जो sharpness है, परिस्‍थ्‍िात का मूल्‍यांकन करने की कम शब्‍दों में, जो ताकत है वो अपने आप में एक बहुत बड़ी शकसीयत का परिचय करवाती है। सार्वजनिक जीवन इतना लंबा...... और वो भी उच्‍च पदों पर रहा हुआ सार्वजनिक जीवन। इतने साल संसद में रहना, भिन्‍न-भिन्‍न्‍ा पदों पर ....... शायद जितने प्रकार के Portfolios प्रणव दा ने संभाले हैं, शायद हिंदुस्‍तान के इतिहास में कोई एक व्‍यक्‍ति ने इतनी विविधता वाले Portfolios संभाले होंगे। ऐसा शायद कोई नहीं होगा। जिसने commerce भी देखा हो और Defence भी देखा हो, इधर Finance भी किया हो और Foreign Ministry भी की हो। ऐसा शायद ही ...... मैं नहीं मानता हूँ कि कहीं इस प्रकार का कोई व्‍यक्‍तित्‍व हमें मिल सकता है। यानि कितना गहरा अनुभव ! कितना व्‍यापक अनुभव ! और कितनी विविधताओं से भरा अनुभव। ये अपने आप में ....... और मेरे जैसे व्‍यक्‍ति को तो स्‍वाभाविक गौरव होता कि ऐसे महापुरूष के साथ मुझे काम करने का अवसर मिला है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ा गर्व होता है, तो ये नसीब मुझे प्राप्‍त हुआ है मैं अपने आप में एक बहुत बड़ा गौरव अनुभव करता हूँ और आप में सब ने अनुभव किया होगा कि उनको कभी भी किसी चीज का Reference ढ़ूढ़ना नहीं पड़ता। वो इमारत के लिए कहेंगे तब भी उतनी बारीकी से कहेंगे, समय की चर्चा करेंगे तो भी उतनी बारीकी से करेंगे, व्‍यक्‍ति की चर्चा भी करेंगे तो भी उतनी बारीकी से करेंगे और पेड़ पौधे और संगीत की चर्चा करेंगे तो भी उतनी ही बारीकी से करते हैं। ये एक गहराई, ये व्‍यापकता ये अपने आप में तब संभव होती है, जो जीना जानता है। जीते तो सब लोग हैं, पद तो सब लोग संभालते हैं पद को शोभा भी देते हैं, बहुत लोग हैं, लेकिन जो जीना जानता है वो हर पल को अपने आप में समेटता है, हर ज्ञान को पचाता है, उसको अनुभव की कसौटी पर कसता है और तब जा करके वो अमृत धारा निरंतर बहती रहती है जो सहत्र चंद्र दर्शन के समय भी तेजोमय होती है और एक शीतलता भी देती है, प्रकाश भी देती है और वो आज हमारे राष्‍ट्रपति जी के द्वारा प्राप्‍त हो रही है। मैं उनको बहुत-बहुत वंदन करता हूँ प्रणाम करता हूँ और उनका अभिनंदन करता हूँ। और मुझे आज आने का अवसर मिला मेरा सौभाग्‍य है, बहुत-बहुत धन्‍यवाद !

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Economic Benefits for Middle Class
March 14, 2019

It is the middle class that contributes greatly to the country through their role as honest taxpayers. However, their contribution needs to be recognised and their tax burden eased. For this, the Modi government took a historic decision. That there is zero tax liability on a net taxable annual income of Rs. 5 lakh now, is a huge boost to the savings of the middle class. However, this is not a one-off move. The Modi government has consistently been taking steps to reduce the tax burden on the taxpayers. Here is how union budget has put more money into the hands of the middle class through the years...