- • भगवान सोमनाथ का भक्तिभाव से किया दर्शन-पूजा-जलाभिषेक
- • स्वर्णिम कार्य का शिवार्पण
- • सोमनाथ माहेश्वरी समाज अतिथिगृह का लोकार्पण
- • दाताओं का सम्मान
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सोमनाथ तीर्थ में यात्रियों की सुविधा के लिए निर्मित अतिथिगृह का उद्घाटन करते हुए बेलाग-लपेट कहा कि यदि सरदार पटेल का सामर्थ्यवान नेतृत्व न होता तो सोमनाथ मंदिर हिन्दुस्तान में न रहा होता और उसकी पुनःप्रतिष्ठा न हुई होती।
भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्वप्रथम सोमनाथ पवित्र यात्रा तीर्थ में आज श्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान सोमनाथ का भक्तिभाव से दर्शन-पूजा कर जलाभिषेक किया।
सोमनाथ मंदिर के शिखर-कलश, गर्भगृह और त्रिशुल के स्वर्णकार्य की विधि के रूप में मुख्यमंत्री ने स्वर्णकार्य का शिवार्पण किया।
सोमनाथ मंदिर की यात्रा पर आने वाले यात्रियों, भाविकों के लिए सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से दाताओं के सहयोग और जनभागीदारी के स्तर पर निर्मित सोमनाथ माहेश्वरी समाज के अतिथिगृह का लोकार्पण मुख्यमंत्री के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ।
श्री मोदी ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर परिसर में स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए।
मुख्यमंत्री, जो सोमनाथ मंदिर के ट्रस्टी भी हैं, उन्होंने स्वर्णदान और अतिथिगृह के दाता परिवारों का सम्मान किया।
गिर सोमनाथ के रूप में नवगठित जिले की विकेन्द्रीत प्रशासन व्यवस्था के कारण समुद्री तट के इस क्षेत्र का सर्वदेशिक, सर्वस्पर्शी और सर्वहितैषी विकास और भी तेजी से होने की भूमिका मुख्यमंत्री ने पेश की।
भारत के आर्थिक विकास में पर्यटन और यात्रा क्षेत्र के तेजी से विकसित होने की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक परंपरा में यात्रा की महिमा सदियों से है। आधुनिक युग में यात्राधामों में श्रद्धालुओं की आस्था की महिमा को बरकरार रखते हुए यात्रियों की व्यवस्था में विकास होना चाहिए। इस दिशा में पहल करते हुए गुजरात सरकार ने जनभागीदारी के जरिए तीर्थक्षेत्रों के विकास का सुआयोजन किया है। माहेश्वरी समाज ने इस अतिथिगृह के निर्माण में उदार सहयोग देकर समाजशक्ति को प्रेरणा दी है।
उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल नहीं होते तो आज सोमनाथ हमारे हिन्दुस्तान की विरासत नहीं होता और न ही सोमनाथ मंदिर का इतना भव्य पुनः प्रतिष्ठित परिसर होता। श्री मोदी ने कहा कि जूनागढ़ नवाब के कब्जे में रहा सोमनाथ पाकिस्तान में चला जाता लेकिन सरदार पटेल का फौलादी नेतृत्व और सामर्थ्यवान राजनैतिक इच्छाशक्ति तथा कन्हैयालाल मुन्शी का संकल्प साकार हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की नाराजगी के बावजूद तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा की थी और भारत की आध्यात्मिक विरासत की प्रतिष्ठा का जतन किया।
सरदार साहेब की राजनैतिक फौलादी इच्छाशक्ति की बदौलत ही सोमनाथ तीर्थ की आध्यात्मिक विरासत हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि श्रद्धालुओं के लिए बरकरार रही है।
भारतीय समुद्र तटरक्षक बल की आज ३७वीं वर्षगांठ पर श्री मोदी ने गुजरात सरकार द्वारा १६०० किमी लंबे समुद्री तट का सुआयोजित विकास करने और उसके चलते समुद्र तट के विश्व व्यापार का प्रवेशद्वार बनने की भूमिका पेश की। एक जमाने में यह सागरतट भारत की रक्षा के लिए संकट बन गया था, गुजरात सरकार ने कोस्टल सिक्योरिटी का नेटवर्क खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि गुजरात के समुद्री तट पर बसने वाले जोशीले सागरखेड़ु समाजों के ६० लाख परिवारों के सशक्तिकरण के लिए ११,००० करोड़ रुपये की सागरखेड़ु विकास योजना के पांच वर्ष के अमल के दौरान निर्मित ४१ आईटीआई और ६१ कौशलवर्द्धन केन्द्र से युवाओं का रोजगार के लिए सशक्तिकरण हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ४५ करोड़ रुपये की लागत से समग्र सागरतट में नई विद्युत आपूर्ति लाइन और खंभे डाले गए, जो कि समुद्री क्षार की वजह से बरसों से जर्जरित हो गए थे। शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाकर सागरखेड़ु समाजों के लिए विकास और समृद्धि के नये द्वार खोल दिए हैं। मछुआरा परिवार की बहनों-महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सी-विड (समुद्री शैवाल) की खेती का प्रोजेक्ट मिशन मंगलम के तहत शुरू किया गया है।
पाकिस्तान द्वारा गुजरात के मछुआरों को आएदिन बोट के साथ पकड़कर जेल में धकेले जाने और इन मछुआरा परिवारों की व्यथा-पीड़ा से बेपरवाह केन्द्र सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत के मछुआरों की मुक्ति और बोट की रक्षा के लिए केन्द्र सरकार पाकिस्तान के साथ परिणामोन्मुखी नीति अपनाए।
मुख्यमंत्री ने जूनागढ़, गिर और सोमनाथ के पर्यटन विकास को जनभागीदारी के जरिए नई ऊंचाई पर ले जाने की मंशा जताई।
पूर्व मुख्यमंत्री और सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री केशूभाई पटेल ने नवगठित गिर सोमनाथ जिले में अनोखी पहल के रूप में दाताओं के १६ करोड़ रुपये के उदार सहयोग की भावना की सराहना की। सोमनाथ मंदिर के गर्भगृह और शिखर के अब स्वर्ण आभा से चमचमाने पर उन्होंने खुशी व्यक्त की। कृषि मंत्री बाबूभाई बोखीरिया ने कहा कि सोमनाथ मंदिर का स्वर्णिम भूतकाल अब वापस आ रहा है।
इस अवसर पर कोडिनार के विधायक जेठाभाई सोलंकी, पद्म भूषण श्री राजश्री बिरला, पद्मश्री बंशीलाल राठी, जिला पंचायत अध्यक्ष दीविबेन बारैया, माहेश्वरी समाज के संयोजक गेंडालाल सोमाणी, दाता किशनदास दोलाराम, ट्रस्टी पी.के. लहरी, सांस्कृतिक सचिव भाग्येश झा, विधायकगण राजेश चूड़ास्मा, अरविंद लाडाणी, महिला सुरक्षा समिति की उपाध्यक्ष ज्योतिबेन वाछाणी, अग्रणी झवेरीभाई ठकरार, चुनीभाई गोहिल, समाज के अग्रणी, सोमनाथ ट्रस्ट के पदाधिकारी तथा विशाल संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।