राजस्थान ने भले ही अपने बाघ खो दिए हों लेकिन गुजरात में एशियाई सिंहों की संख्या में लगातार वृद्धि होती रही है। राज्य के वृहत्तर गिर क्षेत्र में पिछले दिनों हुई गणना में सिंहों की संख्या बढ़कर 411 हो गई है। वर्ष 2005 के 359 सिंह में 52 सिंहों का इजाफा हुआ है । पिछली पांच गणना में आम तौर पर 5से 7 प्रतिशत की बढोतरी हुई थी लेकिन इस गणना में लगभग 13 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृघ्दि हुई है । गीर फाउंडेशन में रविवार में सिंहों की गणना की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 411 सिंहों में 16 2 मादा व 97 नर हैं। एक वर्ष से कम आयु के शावकों की संख्या 77 तथा एक से तीन वर्ष तक के किशोर शावकों की संख्या 75 है।

शावक-मादा की संख्या में वृद्धि सिंहों की संख्या में वृद्धि को स्वर्णिम गुजरात का उपहार बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि इस बार शावकों की संख्या बढ़ी है। सिंहों की कुल संख्या में शावक 40 फीसदी हैं। मादा सिंहों की संख्या भी बढ़ी है।

नर सिंह की अपेक्षा मादा सिंह की संख्या में बढोत्तरी को लेकर उन्होंने कहा कि जब गुजरात के साथ-साथ देश में स्त्री-पुरूष अनुपात में असमानता है वहीं सिंह के मामले में यह अनुपात 1: 1.6 7 है। इससे असमानता को दूर करने की नई सीख मिलती है। शावकों की संख्या में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी को उन्होंने देश में 40 फीसदी युवा से तुलना की।

तीस वर्षो में संख्या दुगनी मुख्यमंत्री के अनुसार पिछले तीस वर्षो में सिंहों की संख्या दुगनी हो गई है। वर्ष 1979 की गणना में यह संख्या 205 थी। उन्होंने कहा कि 1970 तक सिंहों की संख्या कम होती जा रही थी लेकिन इसके बाद इनकी संख्या बढ़ती गई। इस बार सिंह की संख्या में 13 फीसदी से ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले पांच गणनाओं में इनकी संख्या में पांच से सात प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उन्होंने कहा कि बाघ तो अब खोज का विषय बन गए हैं वहीं गुजरात में वन्य जीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

गिर विश्व का सबसे संरक्षित क्षेत्र मुख्यमंत्री के अनुसार गिर पिछले तीस वर्षो में देश के साथ-साथ विश्व का सबसे संरक्षित क्षेत्र है। इस बार की गणना में सबसे ज्यादा 297 सिंह गिर राष्ट्रीय पार्क व अभ्यारण्य में पाए गए हैं। जूनागढ जिले में सर्वाधिक 270 सिंह हैं।

सिंह हमारा गहना मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे विश्व को एशियाई शेरों को लेकर गर्व है। भारत के लिए गीर का सिंह गौरव है। गिर का सिंह हमारा गहना है। इस बार के सिंहों की गणना नई संस्था के रूप में उभरी है। यह व्यवस्था काम में आने वाली है। गणना का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बार पहली बार अधिक मात्रा में तकनीक का उपयोग किया गया। गणना में स्थानीय ज्ञान का अनुभव, उचित संख्या में प्रशिक्षित लोग तथा आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया। नौ महीने तक गणना के लिए प्रशिक्षण का काम चला।