गरिमापूर्वक मनाया शिक्षक दिवस
राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के हाथों ३४ श्रेष्ठ शिक्षकों का सम्मान
मुख्यमंत्री ने किया राज्य की स्कूलों में अध्ययनरत डेढ़ करोड़ विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप, सैटेलाइट से हुआ सीधा प्रसारण
नई पीढ़ी के भविष्य के निर्माता हैं शिक्षकः डॉ. श्रीमती कमला
बाल मित्र बनें शिक्षकः श्री मोदी
गुजरात की राज्यपाल डॉ. श्रीमती कमला एवं मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षक दिवस के गरिमापूर्ण अवसर पर गुरुवार को गुजरात के ३४ शिक्षकों को श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक से नवाजा।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर आज गांधीनगर में राज्यस्तरीय शिक्षक दिवस समारोह के तहत श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार और राज्य की स्कूलों में अध्ययनरत डेढ़ करोड़ विद्यार्थियों के साथ सैटेलाइट तकनीक के जरिए मुख्यमंत्री का शैक्षणिक वार्तालाप सहित विद्यार्थियों के साथ सवाल-जवाब के अभिनव कार्यक्रम आयोजित हुए। इससे पूर्व राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने गुजरात राज्य शिक्षक कल्याण निधि में योगदान देकर शिक्षकों के प्रति आदरभाव व्यक्त किया।
राज्यपाल
राज्यपाल डॉ. श्रीमती कमला जी ने शिक्षकों के उत्तम योगदान की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षक हमारी नई पीढ़ी के भविष्य के निर्माता हैं। जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए विद्यार्थियों को समर्थ बनाने का उदात्त कार्य करने वाले शिक्षक समाज और देश की बहुमूल्य सेवा कर रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि नैतिक मूल्यों के निर्माण के लिए शिक्षक ही एकमात्र सबल माध्यम है, जिसके जरिए समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। एक सच्चा शिक्षक उसकी कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में से महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसी अनेक महान विभूतियों के निर्माण की क्षमता रखता है। अपने विद्यार्थियों के लिए शिक्षक आदर्श के समान होता है। यदि शिक्षक अपने जीवन में अनुशासन, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों का पालन करता है तो विद्यार्थी भी उनके सद्गुणों को आत्मसात कर जीवन में वैसा ही आचरण करेंगे।
उन्होंने कहा कि बदलते समय को ध्यान में रखते हुए शिक्षक को नई दृष्टि से विचार करना होगा और विद्या-अभ्यास में संशोधन, प्रयोगशीलता तथा नवोन्मेषण के जरिए क्षमता एवं उत्कृष्टता में मुसलसल वृद्धि करनी पड़ेगी।
राज्यपाल ने शिक्षा के विकास में महिलाओं की भूमिका पर विशेष जोर देते हुए कहा कि एक शिक्षित महिला अपने परिवार और समाज में ज्ञान के माध्यम से जागृति का संचार कर सकती है और आर्थिक तथा सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण सहयोगी बन सकती है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने शिक्षक का आदर-सम्मान करें और उनके बताए मार्ग पर आगे बढ़कर राष्ट्र को विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध बनें।
राज्यपाल ने आज सम्मानित किए गए सभी गुरुजनों को हार्दिक अभिनंदन दिया और उनके मंगलमय भविष्य की कामना व्यक्त की।
मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य स्तर पर दिए जाने वाले श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार योजना का दायरा बढ़ाने और पारितोषिक सम्मान में गुणात्मक परिवर्तन लाने की मंशा जतायी। इस सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि पहले प्रांत स्तर पर उसके बाद जिला स्तर और अंत में राज्य स्तर के श्रेष्ठ शिक्षकों का सम्मान करने की वैज्ञानिक मापदंडों वाली श्रेष्ठता की चयन प्रक्रिया में गुणात्मक बदलाव लाकर नए सिरे से समग्र श्रेष्ठतम शिक्षकों के मान-सम्मान की प्रतिष्ठा बढ़े इसके लिए वे प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के सार्वत्रिक दायरे के लिए भौतिक बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने में मिली सफलता के बाद गुजरात सरकार ने गुणवत्तायुक्त शिक्षा को प्राथमिकता दी है। इसके लिए सरकार, शिक्षक जगत और समग्र समाज का सामूहिक पुरुषार्थ अनिवार्य है।
श्री मोदी ने श्रेष्ठ शिक्षकों के सम्मान को समाज का गुरुजनों के प्रति ऋण स्वीकार का अवसर करार देते हुए शिक्षकों को अभिनंदन दिया। उन्होंने कहा कि हमारे हिन्दुस्तान में कई ऐसे राष्ट्रीय व्यक्तित्व हैं जो सदियों तक प्रेरणादायी रहेंगे। इनमें डॉ. राधाकृष्णन उत्तम शिक्षक के तौर पर विशेष रूप से याद आते हैं। शिक्षक दिवस हमें अवसर प्रदान करता है कि हम हमारे देश की शिक्षा, शिक्षा संस्थाएं, शिक्षा की दिशा, भावी पीढ़ी को शिक्षा देने के विषय में चिंतन करें।
उन्होंने कहा कि शिक्षक का सम्मान और शिक्षक दिवस राज्य के लिए गौरव और प्रतिष्ठा का अवसर बने ऐसी महिमा इस सरकार ने बारह वर्षों से प्रस्थापित की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज युग बदल चुका है। बच्चा स्वयं जानकारी से कहीं आगे है, लिहाजा शिक्षक को इस बाल-कौशल के लिए तैयार होना पड़ेगा। आज बच्चे इतने होशियार बन गए हैं कि शिक्षक को उनकी कसौटी को पार करना होगा। इस कसौटी को पार करने के लिए शिक्षक के भीतर का विद्यार्थी निरंतर जिंदा रहना चाहिए।
शिक्षक के बाल मित्र होने की भूमिका पेश करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज के जमाने में परिवार में माता-पिता अनेक जिम्मेदारियों से घिरे हुए हैं, ऐसे में शिक्षक की समाज के प्रति, नई पीढ़ी के निर्माण की जवाबदारी विशेष बन गई है। अब जमाना टीचिंग प्रोसेस का नहीं बल्कि लर्निंग प्रोसेस का है। शिक्षा की प्रक्रिया में इससे आमूल परिवर्तन आ रहा है। शिक्षक को इसके लिए तैयार होना ही होगा। शिक्षा ही प्रत्येक समस्या के निराकरण का माध्यम है।
शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूडास्मा ने शिक्षक-गुरुजनों को सम्मानित करने के इस अवसर को पवित्र करार देते हुए स्वागत भाषण दिया। उन्होंने गुणवत्ता सुधार के साथ संस्कार संवर्द्धन के जरिए राष्ट्र निर्माण में भावी पीढ़ी के प्रबल योगदान के लिए संवाहक बनने का शिक्षकों से अनुरोध किया। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे महज डिग्रीधारी युवाओं का नहीं बल्कि देश के सामर्थ्यवान नागरिक का निर्माण करने वाली शिक्षा-संस्कार प्रदान करें।
इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती वसुबेन त्रिवेदी, महापौर महेन्द्रसिंह राणा, विधायक अशोकभाई, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ए.एम. तिवारी, प्राथमिक शिक्षा निदेशक आर.सी. रावल तथा शिक्षाविद, अधिकारी, पारितोषिक प्राप्त शिक्षकों के परिजन सहित स्कूल संचालक, विद्यार्थीगण तथा बड़ी संख्या में अग्रणी मौजूद थे।