प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी निवास का दर्जा(पीआरएस) देने को मंजूरी प्रदान की। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) नीति के तहत संबंद्ध शर्तों को अधिसूचित किया जाता रहेगा।
उम्मीद है कि इस योजना से विदेशी निवेशक भारत की तरफ आकर्षित होंगे और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। योजना के अंतर्गत विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी निवास का दर्जा देने के लिए वीजा मैनुअल में उपयुक्त प्रावधान किए जाएंगे।
पीआरएस एकाधिक प्रवेश के साथ 10 साल की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा। यदि विदेशी निवेशक को लेकर कोई प्रतिकूल चीज नहीं मिली तो पीआरएस को और 10 साल देने के लिए समीक्षा की जाएगी। इस योजना के तहत केवल वहीं लोग योग्य होंगे जो विदेशी निवेशक होने की निर्धारित योग्यता को पूरा करते हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए विदेशी निवेशकों को भारत में 18 महीने में न्यूनतम 10 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा या 36 महीनों में 25 करोड़ रुपये निवेश करना होगा। इसकी एक अन्य शर्त यह होगी कि विदेशी निवेश से प्रत्येक वित्त वर्ष में कम से कम 20 भारतीय नागगिकों को रोजगार मिले।
शुरुआत में विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी निवास का दर्जा एकाधिक प्रवेश के साथ 10 साल के लिए दिया जाएगा। इसे अगले 10 वर्षों के लिए नवीकृत किया जाएगा। बिना किसी शर्त के पीआरएस के लिए एक बहु प्रवेश वीजा जारी किया जाएगा और पीआरएस को पंजीकरण से छूट प्राप्त होगी। पीआरएस दर्जा होसिल करने वाले व्यक्ति को रहने के लिए संपत्ति खरीदने की अनुमति होगी। पीआरएस के पति/ पत्नी या आश्रित को निजी क्षेत्र में नौकरी(रोजगार वीजा के लिए नियमों छूट दी जाएगी) करने या पढ़ाई करने की इजाजत होगी।