कंस्ट्रक्शन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी
सरकार की पहल कंस्ट्रक्शन सेक्टर को करेंगी पुनर्जीवित ताकि इंडस्ट्री में तेजी लाई जा सके और रोज़गार सृजन किया जा सके
सरकार का निर्णय कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ऋण की रिकवरी की अनुमति प्रदान करने वाला और ऑन गोइंग प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन में तेजी लाने वाला

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दबाव झेल रहे निर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए विभिन्न पहलों को मंजूरी दी।

नीति आयोग द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों को सीसीईए ने मंजूरी दी है। पंचाट निर्णय को चुनौती दिए जाने के मामलों में सरकारी एजेंसियां मार्जिन मुक्त बैंक गारंटी के एवज में 75 प्रतिशत पंचाट रकम का भुगतान निलंब खाते में करेंगी।

निलंब खाते का इस्तेमाल बैंक ऋण के पुनर्भुगतान अथवा जारी परियोजना की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे बैंकों को ऋण वसूली करने और निर्माण कंपनियों को परियोजनाओं के निष्पादन में तेजी लाने में मदद मिलेगी। इससे नए ठेकों के लिए बोली लगाने की निर्माण कंपनियों की क्षमता में भी वृद्धि होगी और इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जो सार्वजनिक कार्यों की लागत के लिहाज से फायदेमंद साबित होगा। इस पहल से निर्माण उद्योग और रोजगार को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

सरकारी विभागों और पीएसयू को निर्देश दिए गए हैं कि मध्यस्थता कानून के तहत मामलों को ठेकेदारों की सहमति के साथ संशोधित मध्यस्थता कानून के तहत हस्तांतरित किए जाएं ताकि प्रक्रियाओं में तेजी लाई जा सके। दीर्घावधि में कई अन्य कदम भी उठाए जाएंगे जिसमें बोली दस्तावेजों एवं माॅडल अनुबंधों में बदलाव और सुलह के उपयोग में वृद्धि शामिल हैं। नीति आयोग निजी क्षेत्र के निवेशकों द्वारा वित्त पोषित रकम को दावे के साथ ले जाने की व्यवस्था पर भी विचार कर रहा है। जबकि वित्तीय सेवा विभाग निर्माण क्षेत्र में डूबते बैंक ऋण की समस्या से निपटने के लिए एक उपयुक्त योजना को भी परखेगा।

पृष्ठभूमि

निर्माण क्षेत्र को बीमार करने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए लघु अवधि और दीर्घावधि में कदम उठाए जाने की जरूरत के मद्देनजर यह पहल की गई है। आर्थिक गतिविधियों में निर्माण क्षेत्र का प्रमुख योगदान है जो जीडीपी का करीब 8 प्रतिशत के बराबर है। यह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर सबसे अधिक रोजगार सृजन करने वाला क्षेत्र है जहां करीब 4 करोड़ लोग कार्यरत हैं। यह अत्यधिक रोजगार सृजन वाला क्षेत्र है जो प्रत्येक 1 लाख रुपये के निवेश पर अप्रत्यक्ष तौर पर 2.7 नए रोजगार सृजित करता है। रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचा और विनिर्माण से इसका फाॅरवार्ड लिंकेज है जबकि इस्पात, सीमेंट आदि क्षेत्र से बैकवॉर्ड लिंकेज। इस प्रकार, रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिहाज से यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है।

हाल के वर्षों में निर्माण क्षेत्र को कई बड़ी परियोजनाओं के ठहराव की समस्या से प्रभावित होना पड़ा है। वर्ष 2011 और 2014 के बीच इस प्रकार की कई परियोजनाओं में ठहराव देखा गया। बैंकिंग क्षेत्र का भी निर्माण क्षेत्र में काफी पूंजी लगी है जो करीब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। इस क्षेत्र में करीब 45 प्रतिशत बैंक ऋण दबाव में है।

अध्ययन से पता चला है कि निर्माण क्षेत्र की समस्याओं की मुख्य वजह सरकारी निकायों से दावों के लंबित होना है। करीब 70,000 करोड़ रुपये मध्यस्थता प्रक्रिया में अटके पड़े हैं। सरकारी निकायों के खिलाफ किए गए 85 प्रतिशत दावे अभी भी लंबित पड़े हैं जिनमें 11 प्रतिशत दावे सरकारी एजेंसियों के पास, 64 प्रतिशत दावे पंचाटों में और 8.5 प्रतिशत दावे अदालतों में लंबित पड़े हैं। दावों के निपटान का औसत समय 7 वर्ष से भी अधिक है। पंचाटों के अधिकांश निर्णय सरकारी एजेंसियों के खिलाफ गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मामले में कुल 347 पंचाट निर्णयों में 38 प्राधिकरण के पक्ष में गए जबकि 309 निर्णय ठेकेदारों/रियायतग्राहियों के पक्ष में गए। एनएचएआई मामलों में पंचाट निर्णयों के अलावा 90 प्रतिशत से अधिक सर्वसम्मत निर्णय लिए गए जिनमें एनएचएआई द्वारा नियुक्त मध्यस्थ सहित सभी मध्यस्थों द्वारा निर्णय लिए गए। कई मामलों में पंचाट के फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जाती हैं जबकि अधिकांश मामलों में पंचाट के फैसलों को अदालत भी बरकरार रखती है।

हालांकि, निर्माण क्षेत्र हाल तक तमाम चुनौतियों से जूझता रहा है जिससे कुल मिलाकर निवेश और वृद्धि में गिरावट आई है। निर्माण क्षेत्र को बीमार करने वाले मुद्दों पर निर्माण कंपनियों, बैंकों, एनएचएआई, संबंधित विभागों/मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की गई। विस्तृत चर्चा, व्यापक आर्थिक महत्व एवं मुद्दों की बहु-क्षेत्रीय प्रकृति के आधार पर नीति आयोग ने एक प्रस्ताव दिया है जिसमें निर्माण उद्योग की समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न पहल करने का सुझाव दिया गया है।