प्रिय मित्रों,
नवरात्री के इस पावन पर्व पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। नवरात्री से हमारे यहां त्यौहारों का मौसम जमेगा और आने वाले नौ दिनों के दौरान भारतभर के लोग, खास तौर पर गुजरात के लोग यह खास महत्वपूर्ण त्यौहार मनाने में व्यस्त रहेंगे।
नवरात्री गुजरातियों की सांस्कृतिक पहचान का त्यौहार है। रास गरबा की प्रथा का उल्लेख भगवान श्रीकृष्ण के समय से होता रहा है। नृत्य की यह प्रणाली गुजरातियों की सांस्कृतिक विरासत है। आने वाले दिनों में आप गुजरात में जहां भी जाएं, आपको बालक से लेकर वृद्ध तक हर कोई लोक संगीत की ताल पर झूमता हुआ और नवरात्री मनाता हुआ दिखाई देगा।
नवरात्री में हम जगत जननी मां के समक्ष शीश झुकाकर उनके आशीर्वाद लेते हैं। दुनियाभर की संस्कृतियों में ईश्वरीय शक्ति की कल्पना पुरुष स्वरूप में की गई है, जबकि भारतीय संस्कृति एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो ईश्वरीय तत्व की पूजा जगत जननी मां जगदम्बा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के विभिन्न नारी स्वरूपों में करती है।
11 वर्ष पहले जब मैंने मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार सम्भाला, तब मुझे अचरज होता था कि यह पर्व सिर्फ गुजरात तक ही सीमित क्यों है। इस त्यौहार की धूमधाम मात्र गुजरात तक ही सीमित ना रहकर दुनियाभर के लोगों को इस राज्य की ओर क्यों नहीं खींच सकती ? इस विचार को ध्यान में रखते हुए हमने प्रति वर्ष वाईब्रेंट नवरात्री महोत्सव का आयोजन किया। इन नौ दिनों के दौरान देश और दुनिया के पर्यटक गुजरात आ रहे हैं, यह बात अत्यंत उत्साहवर्धक है। वास्तव में गरबे की लोकप्रियता अब गुजरात की सीमाएं लांघ चुकी है। दुनियाभर में ऐसे 500 शहर हैं जहां यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्री जैसे त्यौहार अब पर्यटन को प्रबल गति प्रदान कर रहे हैं, खास तौर पर गरीबतम व्यक्ति के लिए इसके द्वारा आजीविका के नये स्त्रोत पैदा हो रहे हैं। गुजरात में ज्यादा तादाद में पर्यटक आ रहे हैं। वह हमारी सांस्कृतिक विरासत से प्रभावित हो रहे हैं , इसके परिणाम स्वरूप हमारे कलाकार भाईयों को बेहतर प्रतिसाद और आय हासिल हो रही है। हॉस्पिटलिटी के व्यवसाय के साथ जुड़े ट्रांस्पोर्ट ऑपरेटर्स सहित कई लोगों की आय में वृद्धि हुई है और उनके घरों में समृद्धि का प्रकाश फैला है।
आप में से कई लोग इन नौ दिनों के दौरान उपवास रखेंगे। मुझे याद है, दो वर्ष पूर्व शिक्षक दिवस महोत्सव पर एक छोटी सी बालिका ने नवरात्री के मेरे उपवास के बारे में मुझसे पूछा था। हां, मैं पिछले 35 वर्षों से नवरात्री के उपवास रखता हूं। इन उपवास का मकसद कुछ हासिल करना नहीं बल्कि आत्मशुद्धि करना है। यह चीज कई वर्षों से मुझे बल, सामर्थ्य और प्रेरणा का स्त्रोत प्रदान करती है।
मां जगदम्बा को वन्दन करता मेरे द्वारा लिखित एक छोटा सा गरबा और कविता मैं यहां प्रस्तुत कर रहा हूं, आशा है आपको पसन्द आएगा।
फिर से एक बार आप सभी को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं।
नरेन्द्र मोदी