"Gujarat CM writes letter to Prime Minister to rectify the new UPSC exam rules "
"Narendra Modi describes changes in UPSC Exam Rules, disallowing writing answer in Gujarati, as ‘language bias’ towards Gujarati "

मुख्यमंत्री ने भेजा प्रधानमंत्री को पत्र : प्रशासनिक सेवाओं के नियमों में परिवर्तन का किया विरोध

गुजराती भाषा में परीक्षा देने के प्रति पूर्वाग्रहयुक्त व्यवहार पर जताया आक्रोष

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह को आज शाम पत्र भेजकर यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं के नियमों में हाल ही में किए गए बदलाव का सख्त विरोध किया है। श्री मोदी ने कहा कि सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन में गुजराती भाषा में परीक्षा देने की व्यवस्था रद्द करने से गुजरात के हजारों युवाओं के सपने टूट गये हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह से इस मामले में तत्काल दखल देने का अनुरोध करते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुजराती भाषा में सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन देने की पूर्व की युपीएससी की व्यवस्था में मेरिट के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रश्नपत्र में जो नम्बर्स दिए जाते थे, उनकी गणना मेरिट में नहीं की जाती थी। मगर इस नई व्यवस्था के मुताबिक इन परीक्षाओं में अंग्रेजी कम्प्रिहेंसन और अंग्रेजी प्रेसिस को मिले मार्क्स की गणना फाइनल मेरिट में की जाएगी। इसके कारण गुजरात के विद्यार्थी गुजराती में निबन्ध नहीं लिख सकेंगे और उनको सिर्फ अंग्रेजी या हिन्दी में ही निबन्ध लिखना पड़ेगा।

सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन में प्रादेशिक भाषा गुजराती में स्नातक हुए विद्यार्थियों के लिए पेपर-2 (अंग्रेजी कम्प्रिहेंसन) के सिवाय अगर उनकी संख्या 25 से कम होगी तो प्रादेशिक भाषा (गुजराती) का सिविल सर्विसेज में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इस लेंग्वेज बायस ( गुजराती भाषा के प्रति का पूर्वाग्रह) के कारण जिन लोगों ने माध्यमिक शालाओं में प्रादेशिक माध्यम में अध्ययन किया हो और कॉलेज में अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देते हों तो भी उनके पास अंग्रेजी लेंग्वेज की प्रोफिसियंसी का लेवल मातृभाषा में जैसा दे सकते हों वैसा नहीं दे सकते।

श्री मोदी ने कहा कि गुजरात के गरीब, पिछड़े, दलित और आदिवासी विद्यार्थियों के कैरियर पर इसका बहुत विपरीत असर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मामले में तत्काल दखल देने का अनुरोध किया है।