प्रिय मित्रों,
सिविल सर्विस डे के अवसर पर सभी लोक सेवकों को शुभकामनाएं देता हूं। आजाद भारत में फेडरल सिविल सर्विसेज स्थापित करने का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है। उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए फेडरल सिविल सर्विसेज का गठन करने की हिमायत की थी। उनके समय में राष्ट्र की प्रशासनिक व्यवस्था में एकसूत्रता लाने की खास जरूरत थी। हालांकि सिविल सर्वेन्ट (लोक सेवक) शब्द की व्याख्या के मुताबिक लोक सेवकों को समाज की सेवा की भूमिका भी अदा करनी होती है। देश को अखंड बनाने का कार्य तो सरदार पटेल ने एक ही झटके में कर दिया। सिविल सर्विसेज द्वारा इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण निभाई गई। ऑल इंडिया सर्विसेज के माध्यम से समग्र देश में राष्ट्रीय प्रशासनिक व्यवस्था का एकसूत्रीय ढांचा अस्तित्व में आया।
हालांकि, सरदार पटेल का स्वप्न इन सेवाओं को संघीय स्वरूप प्रदान करने का था, जो मूर्त रूप नहीं ले सका। इसकी मुख्य वजह यह थी कि बाद में देश के शासक इन सेवाओं पर अपना नियंत्रण रखना चाहते थे और इस राष्ट्रीय प्रशासनिक व्यवस्था को अपनी मनमर्जी के मुताबिक चलाना चाहते थे। इस वक्त यूपीए सरकार के शासन में यह समस्या बेकाबू हो चली है। हमें याद रखना चाहिए कि ब्रिटिश काल की सिविल सर्विसेज और गणतंत्र भारत की सिविल सर्विसेज के बीच अंतर है।
ब्रिटिशरों ने भारत में अपनी सत्ता को बनाए रखने तथा उसे मजबूती देने के लिए इंडियन सिविल सर्विसेज की स्थापना की थी। जबकि आजाद भारत में जिस सिविल सर्विसेज की स्थापना की गई उसका उद्देश्य प्रशासन के लोकतांत्रिक ढांचे में रहकर लोगों की सेवा करने का है। लिहाजा यह जरूरी है कि हमारी सिविल सर्विस देश के संविधान के प्रति वफादार रहते हुए कार्य करे न कि वर्तमान सरकार के प्रति। इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि हमारी सिविल सर्विस को उनके द्वारा किये जाने वाले सार्वजनिक कार्यों की जवाबदारी लेनी चाहिए। दुर्भाग्य से राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक एकीकरण के लिए सिविल सर्विसेज को नया स्वरूप देने का समय सरदार पटेल को नहीं मिला।
हालांकि सिविल सर्विस ने उसे सौंपी गई भूमिका को काफी हद तक निभाया है, लेकिन यह काम अभी भी शेष रह गया है। देश की सुरक्षा और अखंडता का मुद्दा भी उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन असरकारक रूप से विकासलक्ष्यी प्रशासन हो यह समय की मुख्य मांग है। लोक सेवकों को याद रखना चाहिए कि वे मात्र अपनी नौकरी ही नहीं कर रहे। यह एक सेवा है, आम आदमी की सेवा। लोग अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए लोक सेवकों के पास से अपेक्षाएं रखते हैं। बहुत से कार्य ऐसे होते हैं, जिनके परिणामों को हम माप सकते हैं। इसी तरह लोक सेवक भी अपने कार्यों के आउटपुट और आउटकम के लिए जवाबदार होने चाहिएं।
गुजरात में मेरे अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि यदि सच्ची राजनीतिक इच्छा शक्ति, दिशा और दखल का वातावरण हो तो यही सिविल सर्विस सार्वजनिक सेवा के मामले में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर बताती है। लोक सेवकों को मेरी शुभकामनाएं हैं कि वे राष्ट्र के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी और वैश्विक नवीन अभिगमों का विनियोग कर सकें क्योंकि देश की अखंडता के लिए आज यही बातें अत्यंत आवश्यक बन गई हैं।
मैं अपने लोक सेवकों को शुभकामनाएं देता हूं कि वे देश एवं देशवासियों की उत्तम सेवा कर सकें।
आपका,
नरेन्द्र मोदी