"Gujarat to seek Central assistance for rescue and relief operation due to natural calamity"
"“Disaster Management System in place saved Gujarat from worst fury of heavy rains and floods pounding since last week” – Narendra Modi"

व्यापक एवं अचानक आई बाढ़-अतिवृष्टि के बावजूद जनहानि और माल-सामान की बर्बादी से बचा गुजरात 

राज्य सरकार के समय पर उठाए गए कदमों और प्रो-एक्टिव आपदा प्रबंधन तंत्र की पूरी ताकत से आपदाग्रस्त इलाकों में युद्ध स्तर पर कार्य 

 

CM reviews situation in the wake of heavy rainfall in Gujarat 

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में अतिवृष्टि और बाढ़ की प्राकृतिक आपदा की परिस्थिति और प्रशासनिक तंत्र द्वारा उठाए गए राहत एवं बचाव के कदमों की आज सर्वग्राही समीक्षा की। वायुमंडल में अचानक सृजित हुए दबाव के परिणामस्वरूप दक्षिण गुजरात, मध्य गुजरात, पूर्व-मध्य गुजरात और सौराष्ट्र-कच्छ व्यापक आपदा का शिकार बनें। लेकिन राज्य सरकार द्वारा समय पर आपदा प्रबंधन के कदम उठाने और जिला प्रशासन तंत्रों के प्रो-एक्टिव अभिगम तथा तत्काल राहत और बचाव के सर्वव्यापक कदम उठाने के कारण जान-माल की हानि से गुजरात बच गया।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में राजस्व मंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल और ऊर्जा मंत्री सौरभभाई पटेल, मुख्य सचिव डॉ. वरेश सिन्हा और संबंधित सभी विभागों के वरिष्ठ सचिवों ने २१ सितंबर से अब तक अतिवृष्टि और नदियों में आई बाढ़ से असरग्रस्त जिलों में आपदाग्रस्तों के मदद के लिए समय पर पहुंचे जिला प्रशासन तंत्र ने जो तत्काल राहत एवं बचाव के कदम उठाए उसकी भूमिका पेश की। गुजरात में अतिवृष्टि की संभावना की जानकारी मिलते ही आपदा प्रबंधन से संबंधित राज्य के मंत्रियों के कार्यकारी समूह ने परिस्थिति से मुकाबले के लिए जिला प्रशासन तंत्रों को जरूरी योग्य निर्णय लेकर आदेश एवं मार्गदर्शक सुझाव दिए थे। वहीं, मुख्य सचिव ने प्रभारी सचिवों और जिला कलक्टरों सहित आपदाग्रस्त इलाकों में तत्काल राहत एवं बचाव कार्यों के लिए तंत्र को सावधान कर दिया था। राज्य सरकार द्वारा समय पर उठाए गए कदमों की वजह से व्यापक एवं अचानक आई आफत के बावजूद गुजरात एक बड़ी त्रासदी में से बच गया।

राज्य सरकार ने आपदाग्रस्तों को दी जाने वाली सहायता के विविध स्तरों में भी सुधार कर संवेदनशील सरकार की प्रतीति कराई है। जिला तंत्र की मदद के लिए और राहत-बचाव के फौरी निर्णय लेकर उस पर अमल कराने के लिए प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव निरंतर एक-दूसरे के संपर्क में थे।

मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक आपदा के समय राज्य सरकार के तत्काल राहत-बचाव के असरदार कार्य के साथ ही भविष्य में दीर्घकालिक व्यूहरचना को लेकर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात में आपदा प्रबंधन के लिए जनशक्ति को सक्रिय, प्रशिक्षित तथा प्रेरित करने हेतु संसाधनों का महत्तम उपयोग किया जाना चाहिए।

CM reviews situation in the wake of heavy rainfall in Gujarat

बैठक में तय किया गया कि अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर आवेदन पत्र के जरिए केन्द्रीय सहायता की मांग रखी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने वायुमंडल के दबाव की संभावना को लेकर ज्यादा सावधानी रखने का मार्गदर्शन देने के साथ पूर्वतैयारियों की समीक्षा की। पिछले सात दिनों में ही २४४ मिमी. बारिश हुई है फलस्वरूप जलाशयों की जल संग्रह की शक्ति बढ़ी है, जो भूजलस्तर और जलसंचय के लिए फायदेमंद साबित होगी। कच्छ की जलाशय शक्ति में १३ फीसदी में से २३ फीसदी और सौराष्ट्र में ४५ फीसदी जलसंग्रह में से ८८ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस क्षेत्र में स्थित १३५ बांधों में से ८८ छलक उठे हैं।

राहत आयुक्त पी.के. परमार ने कहा कि तत्काल राहत एवं बचाव के कदम उठाने की वजह से जनहानि को रोका जा सका है और १.१० लाख लोगों का अस्थायी स्थानांतरण किया गया है। राहत शिविरों में मानवता के चलते जनशक्ति ने भी जिला प्रशासन तंत्र के कार्यों में प्रेरक समर्थन दिया है। स्वास्थ्य विभाग की ४७८ से ज्यादा मेडिकल टीमें कार्यरत हैं। बिजली आपूर्ति को पुनःप्रस्थापित किया गया है और मात्र १०६ मार्गों में ट्रैफिक को कामचलाऊ स्तर पर रोका गया है, जो कुछ समय में पूर्ववत हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने बारिश में महामारी की संभावना को रोकने के लिए समग्र गुजरात के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में स्थानीय निकाय की संस्थाओं को जल्द ही सर्वग्राही सफाई अभियान चलाने तथा स्वच्छता अभियान को पूरी गंभीरता से लेने और इसमें कहीं कमी रह जाए तो जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ जरूरी कार्यवाही करने का आदेश दिया। उन्होंने नवरात्रि से पहले समग्र गुजरात में सफाई अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया।

दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन की व्यूहरचना के तहत मुख्यमंत्री ने बांधों और जलसंग्रह स्थलों के अलर्ट मॉनिटरिंग-चेकिंग की सुनिश्चित व्यवस्था करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने सूरत व वड़ोदरा में तापी तथा विश्वामित्री नदियों के जल की संग्रह शक्ति बढ़ाने, बाढ़ संरक्षण के स्थायी उपाय के विकल्पों का अभ्यास करने तथा आपदा प्रबंधन कानून के परिणामलक्षी अमल के लिए जरूरी सुझाव भी दिए। तैराकों, बोट्स, फायर ब्रिगेड के आधुनिक संसाधनों आदि की जांच और जनशिक्षा पर भी उन्होंने अपने सुझाव दिए।