मैं बड़ी उम्मीदों के साथ म्यामांर, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के दौरे पर कल रवाना हो रहा हूं। मैं म्यामांर की राजधानी ने पई ताव में 12-13 नवम्बर को होने वाले भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन, ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय दौरे और फिजी द्वीप के दौरे की अहमियत से पूरी तरह वाकिफ हूं, जहां मुझे प्रशांत द्वीपों के नेताओं से मिलने का भी अवसर मिलेगा।
इन शिखर सम्मेलनों और अपने द्विपक्षीय दौरों के दरम्यान मैं एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों के 40 से भी ज्यादा नेताओं के साथ-साथ अनेक बहुपक्षीय संस्थानों के प्रमुखों से भी मिलूंगा। ये बैठकें ऐसे समय में हो रही हैं जब विश्व को अनेक चुनौतियों से दो-चार होना पड़ रहा है। मैं एक ऐसा वैश्विक माहौल बनाए जाने की उम्मीद कर रहा हूं जिससे आर्थिक विकास और शांतिपूर्ण विश्व की हमारी अपेक्षाओं को संबल मिलेगा।
दस सदस्यीय आसियान में तीसरी सर्वाधिक आबादी रहती है। यह इस शताब्दी में दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सर्वाधिक तेजी से विकसित होने वाला तीसरा आर्थिक निकाय बन जाएगा। यह गतिशील क्षेत्र हमारा महाद्वीपीय और सामुद्रिक पड़ोसी है, जिसके साथ हमारे रिश्ते सदियों पुराने हैं। आसियान हमारी ‘एक्ट एशिया’ नीति के मूल में और एक एशियाई शताब्दी के हमारे सपने के केन्द्र में है, जहां सहयोग और एकीकरण साफ तौर पर नजर आएंगे। मैं आसियान के नेताओं से विचार-विमर्श करने के लिए उत्सुक हूं ताकि यह जान सकूं कि हमारे रिश्ते को नई ऊंचाई पर कैसे पहुंचाया जा सकता है। यह हर सदस्य के साथ हमारे गहराते द्वीपक्षीय रिश्तों के लिए पूरक के तौर पर काम करेगा।
दुनिया के किसी भी क्षेत्र में इतनी गतिशीलता नहीं है या उसे इतनी सारी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है जितने से हिंद महासागर, महाद्वीपीय एशिया और प्रशांत महासागर के दायरे में आने वाले क्षेत्र को जूझना पड़ रहा है। इसी तरह शायद किसी भी अन्य फोरम में इस क्षेत्र और दुनिया के भविष्य को आकार देने की क्षमता नहीं है जितनी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में है। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में मैं आसियान और सात वैश्विक नेताओं के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करने को उत्सुक हूं कि हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए किस तरह से क्षेत्रीय संस्थानों, अंतर्राष्ट्रीय मानकों और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत कर सकते हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन उन सदस्य देशों के लिए एक बड़ा ही अहम फोरम है जो अपनी गतिविधियों में तालमेल बैठाने और वैश्विक आर्थिक विकास एवं स्थिरता को सहारा देने, स्थिर वित्तीय बाजार, वैश्विक व्यापारिक व्यवस्था और रोजगार सृजन को सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक कदम उठाने के पक्षधर हैं। जी-20 में वे देश शामिल हैं जिनके पास विश्व के कुल आर्थिक उत्पादन का 85 फीसदी है। मैं इन मुद्दों पर भी चर्चा करने का इरादा रखता हूं कि हम किस तरह से अगली पीढ़ी के ढांचे के निर्माण में तेजी ला सकते हैं, जिसमें डिजिटल ढांचा भी शामिल होगा और जो स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करेगा। मेरे लिए एक अहम मुद्दा काले धन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अहमियत पर प्रकाश डालना होगा।