"We must together build an economic agenda for the India of our dreams that translates into improved standards of living, increased human well being and assured social justice: Shri Modi at the India Economic Convention 2014 in Delhi"
"Stating that democracy, demography and demand were India’s biggest strengths, Shri Modi emphasized on the need to tap the immense potential in each of these domains"
"It is believed that tailor made solutions will work everywhere. This thought is the biggest mistake: Shri Modi"

विकास का जन आन्दोलन चलाएं: श्री मोदी

  • भारत में नये विकास का परिवर्तन कैसा होना चाहिए?
  • देश की अर्थव्यवस्था को निराशाजनक स्थिति में से बाहर लाया जा सकता है
  • लोकतंत्र- जनशक्ति और भारत का मार्केट डिमांड का सामर्थ्य निराशा से बाहर ला सकता है
  • राजनीति में जनहित में कठोर फैसले करने पड़ते हैं

पांच डेफीसिट कौनसे हैं?

  • फिजिकल डेफिसिट
  • गवर्नेंस डेफिसिट
  • ईज डेफिसिट
  • मोरल डेफिसिट
  • ट्रस्ट डेफिसिट

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नयी दिल्ली में इंडियन इकोनॉमिक कन्वेंशन में भारत की वर्तमान आर्थिक व्यवस्था के निराशाजनक वातावरण को बदलने के लिए विकास के आयामों में गुणात्मक बदलाव लाने का चिंतन पेश किया।

इंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कन्वेंशन में श्री मोदी ने कहा कि भारत की आर्थिक व्यवस्था में गुणात्मक बदलाव के लिए देश में वर्तमान पांच प्रकार के डेफिसिट का उपाय आवश्यक है।

हमारा देश पहले से ही गरीब है, देश के वर्तमान नेतृत्व की यह सोच ठीक नहीं है। इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था? किसलिए यहां पर आततायी आक्रमण किया करते थे? इसकी वजह यह है कि भारत सदियों से समृद्ध था।

Shri Narendra Modi addressed the India Economic Conclave 2014

गुलामीकाल में हम बहुत कुछ लुटा बैठे हैं मगर 21 वीं सदी में भी भारत ने ऐतिहासिक अवसरों को खो दिया है।

दुनिया में हम सब तेज गति से विकास को आगे बढ़ाने का सामर्थ्य रखते हैं क्योंकि हमारे पास लोकतंत्र, विराट जनशक्ति और बाजार की मांग है। यह तीन बातें अन्य देशों में नहीं है। अटलजी के शासन में 21 वीं सदी की शुरुआत में BRICS के देशों में स्थान बनाया था मगर युपीए सरकार का यह दशक ऐसा बीता कि हमारा देश अलग थलग रह गया। अब फिर से हमें NDA के सुपरपावर के मार्ग पर आगे बढ़ना है।

वर्तमान अर्थव्यव्स्था की चिंताजनक हालत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अभी मात्र करंट अकाउंट डेफिसिट का संकट ही नहीं है, बल्कि मोरल डेफिसिट, ट्रस्ट डेफिसिट ईज डेफिसिट, फिजिकल डेफिसिट और गवर्नेंस डेफिसिट का भी संकट है। हमारा सामर्थ्य है कि भरोसा हो तो आगे बढ़ा जा सकता है मगर आज भरोसा टूट गया है। कमी है तो सिर्फ दिशा की, प्रतिबद्धता की और निष्ठा की। इनकी पूर्ति कौन करेगा?

विकास का जन आन्दोलन शुरु करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधीजी ने आजादी का जन आन्दोलन पैदा किया था, आज विकास के जन आन्दोलन की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि मात्र नीति ही नहीं, उसके साथ सुशासन की विश्वसनीयता भी होनी चाहिए। आज देश संकटों से गुजर रहा है, ऐसे में मूलभूत चिंतन कैसा होना चाहिए, इसकी श्री मोदी ने रूपरेखा पेश की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के युवाओं, नागरिकों को सम्मान और गौरव से जीने के लिए, गुणात्मक जीवन सुधार के लिए, गौरवपूर्ण रोजगार का हमारा सपना क्यों ना हो? जो व्यक्ति अंतिम कतार में बैठा है ऐसे गरीब की Absolute पावर्टी का निराकरण करने के लिए अंत्योदय क्यों ना हो? प्रत्येक नागरिक को चयन का अधिकार होना चाहिए। राष्ट्रीय सम्पदा का सर्वाधिक उपयोग होना चाहिए जो हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

मानवश्रम की गरीमा के लिए उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहनों को यूनिफॉर्म देने का उदाहरण दिया।

गरीबी और अमीरी के बीच की खाई और गांव-शहर के बीच के अंतर की विसंगतता को को दूर करने की रणनीति उन्होंने गुजरात के सफल उदाहरण देकर बतलाई। उन्होंने कहा कि बिजली उपलब्ध होने के बाद ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी तक गांवों की विकासयात्रा सफल हो सकती है।

श्री मोदी ने कहा कि GDP ग्रोथ अटलजी ने 8.4 प्रतिशत पर छोड़ी थी मगर युपीए के एक दशक के बाद यह 4.8 प्रतिशत रहा है इसलिए हमें ग्रोथ के बारे में नये बदलाव पर फिर से सोचना होगा। गुणात्मक सुधार और परिवर्तन के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में हमें मूल मकसद को प्राथमिकता देनी होगी। गांधीजी की 150 वीं जन्मजयंती के लिए सच्ची श्रद्धांजलि स्वच्छता की है, इसे प्राप्त करने के साथ ही स्वास्थ्य कल्याण की दिशाएं खुल जाएंगी। शिक्षा में सुधार लाने के लिए उत्तम शिक्षकों के निर्माण की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने टेक्नोलॉजी के सार्वत्रिक प्रभाव में आईटी पर बायोटेक्नोलॉजी और एंवायर्नमेंट टेक्नोलॉजी पर ध्यान केन्द्रित करने का अनुरोध करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की अर्थव्यव्स्था के संतुलित विकास के लिए मेन्युफेक्चरिंग, उद्योग, कृषि और सर्विस सेक्टर्स के समुचित समान हिस्से के उपयोग की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पूंजीनिवेश मात्र उद्योगों में ही नहीं, कृषि,जल,बिजली, सड़क जैसे अनेक ढांचागत क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फैलाना जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर और रिसर्च पर बल देना समय की मांग है। श्री मोदी ने देश के राष्ट्रीय संतुलित विकास के लिए तमाम राज्यों की विकास की लचिली व्यूहरचना, तमाम वर्गों और क्षेत्रों के विकास की शक्तियों को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने सुझाव दिए।

देश में राजनैतिक कारणों से टकराव, तनाव का माहौल बन गया है, ऐसे में आर्थिक विकास में सौहार्द- HARMONY IN ECONOMIC DEVLOPMENT की जरूरत है। देश में ट्रेड एंड कॉमर्स प्राइम एजेंडा बन गया है, ऐसे में पॉलिटिकल डिप्लोमेसी के साथ विदेशनीति में आमूल बदलाव की आवश्यकता तथा महिलाओं की शक्ति को प्रोत्साहक वातावरण उपलब्ध करवाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक व्यव्स्थापन का मेरा ज्ञान मात्र पोस्टल स्टेम्प में लिखा जा सके इतना भी नहीं! मेरे पास तो पोस्टल स्टाम्प के पीछे लिखा जा सके ऐसा एक ही ट्रस्टी का गांधीजी का प्रेरित सिद्धांत का ज्ञान है।

राजनीति में कठोर फैसले करने ही पड़ते हैं, मगर यह जनहित और राष्ट्रहित में होने चाहिए।