सद्भावना मिशन : भरुच

वोट बैंक के रहनुमाओं को नेस्तनाबूद करने का अभियान : मुख्यमंत्री

भरुच जिले के विकास कार्यों के लिए 1675 करोड़ का ऐलान

वनबंधु और सागरखेड़ु परिवारों सहित 12 हजार लोगों ने किया स्वेच्छा से उपवास

अहमदाबाद, रविवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सद्भावना मिशन के जिला अभियान के अंतर्गत रविवार को भरुच में केन्द्र सरकार को गुजरात जैसे छोटे राज्य के साथ विकास की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने की सीधी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि, सद्भावना मिशन का यह अभियान चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि वोट बैंक की राजनीति के जरिए मतपेटियों को मौत की पेटियों में तब्दील करने वाले रहनुमाओं को नेस्तनाबूद करने के लिए है।

मुख्यमंत्री ने भरुच जिले के विकास को और भी गति प्रदान करने के लिए नए विकास कार्यों के लिए 1675 करोड़ रुपयों के आवंटन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गुजरात में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाले दो जिलों भरुच और कच्छ ने आर्थिक विकास की नई ऊंचाइयां तय की हैं।

सद्भावना मिशन को लेकर अनर्गल प्रलाप करने वाले गुजरात विरोधियों से केन्द्र सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का हिसाब पूछते हुए मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि, विकास के नाम पर किए गए कितने वचनों का पालन केन्द्र ने किया? केन्द्र सरकार को चुनौती देते हुए श्री मोदी ने कहा कि, अरबों-खरबों रुपये के वित्तीय संसाधन और अपार सत्ता होने के बावजूद केन्द्र गुजरात के साथ विकास की स्पर्धा की चुनौती क्यों नहीं स्वीकार करता।

 

 

सद्भावना मिशन के तहत 33 उपवास के संकल्प का श्री मोदी का रविवार को भरुच में 18वां पड़ाव था। भरुच शहर और जिले की आठों तहसीलों में से सभी समाज-समुदायों, वनवासी, सागरखेड़ु जनसमूह, नारी-मातृशक्ति, युवावर्ग, बच्चे और बुजुर्गों सहित अपार जनसैलाब आज सद्भावना मिशन में उमड़ पड़ा। करीब 12 हजार नागरिकों ने स्वेच्छा से उपवास की तपस्या की।

जनता के प्रेम और भावनाओं का अभिवंदन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, सद्भावना मिशन के जिला कार्यक्रमों में उमड़ रहे अपार जनसमूहों के चलते व्यवस्थापन की पूर्व तैयारी भी गलत साबित हो रही है, और यही गुजरात की समाजशक्ति, युवाशक्ति और नारीशक्ति की वास्तविक तासीर का सबूत है। उन्होंने कहा कि, देश के किसी राजनेता को कभी न मिला हो ऐसा स्नेह गुजरात की जनता ने उन्हें दिया है। यह भरोसा, यह विश्वास इस सरकार पर है।

 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि, पहले कभी विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़े गए, वायदा बाजार जैसे चुनावी वचनों का बोलबाला था। लेकिन उनकी सरकार ने हिन्दुस्तान की राजनीति की समूची परिपाटी और पैरामीटर्स को बदल कर रख दिया। पिछले दस वर्ष में विकास का साक्षात्कार कर गुजरात ने ऐसी स्थिति का निर्माण कर दिया है कि, देश के सभी कोनों में विकास की राजनीति को अपनाना समय की मांग बन गया। च्च्विकास का पैमाना यानी गुजरातज्ज् का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि, जिन्हें गुजरात पसन्द है उनके विकास का पैमाना गुजरात है और जिन्हें गुजरात नापसन्द है उन्हें भी विकास को लेकर गुजरात की तुलना करनी पड़ती है।

उन्होंने केन्द्र की समझ पर तरस खाते हुए कहा कि, केन्द्र सरकार ने युवाओं को अंधकारमय भविष्य की ओर धकेला जबकि गुजरात में युवाओं का रोशनी से साक्षात्कार हुआ। नतीजतन गुजरात को युवाओं का स्नेह मिला। उन्होंने कहा कि यह गुजरात का ही सामथ्र्य है कि, देश के कुल रोजगार का 72 फीसदी अवसर गुजरात ने उपलब्ध कराया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने वनबंधु कल्याण योजना के जरिए आदिवासियों को विकास की कतार में खड़ा करने की सामाजिक चेतना जगाई है। आदिवासियों के घरों में नलों के कनेक्शन प्रदान किए। उन्होंने कहा कि, आरक्षण के नाम पर आदिवासियों को असहाय रखने वाले और विकास के मॉडल से कोसों दूर रहने वाले लोग क्या विकास कर पाएंगे।

उन्होंने कहा कि, दस वर्ष में गुजरात ने एकता, शांति और भाईचारे के जरिए विकास का सच्चा मार्ग अपनाया है। श्री मोदी ने जातिवाद और सांप्रदायिकता के जहर से बचने की हिमायत करते हुए कहा कि विकास तो गुजरात के मार्ग पर चलने से ही होगा।