संघीय ढांचे पर कुठाराघात को लेकर श्री मोदी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जताया आक्रोश .

बीएसएफ द्वारा देश में किसी भी व्यक्ति की जांच और गिरफ्तारी के प्रस्तावित कानून सुधार पर गुजरात के मुख्यमंत्री ने जताया कड़ा ऐतराज

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर देश के संघीय ढांचे की संवैधानिक भावनाओं पर कुठाराघात समान और राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप करने वाले केन्द्र सरकार के एक और प्रस्तावित कानून सुधार को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) एक्ट में सुधार के जरिए केन्द्र सरकार बीएसएफ को देश में किसी भी व्यक्ति की जांच और गिरफ्तारी का अधिकार देने की मंशा रखती है। इस सन्दर्भ में दिल्ली में 16 अप्रैल को आंतरिक सुरक्षा मामलों से संबंधित मुख्यमंत्रियों की राष्ट्रीय परिषद के एजेंडे में इस मुद्दे का समावेश किए जाने को लेकर भी मुख्यमंत्री ने नाराजगी जतायी है।

डॉ. सिंह को लिखे पत्र में श्री मोदी ने खास तौर पर जिक्र किया कि हाल ही में नेशनल काउंटर टेररिजम सेंटर (एनसीटीसी) स्थापित करने के एकतरफा केन्द्रीय निर्णय को लेकर उन्होंने राज्यों के अधिकारों के व्यापक हित में विरोध व्यक्त किया था। इसी तरह रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) को पुलिस के अधिकार दिये जाने के केन्द्रीय कानून का भी उन्होंने विरोध किया था। इसके बावजूद, केन्द्र सरकार ऐसे कानूनी सुधारों के सन्दर्भ में राज्यों की स्वायत्तता पर हस्तक्षेप करने का सुनियोजित प्रयास कर रही है। इससे जाहिर होता है कि केन्द्र की वर्तमान सरकार संघीय ढांचे को कमजोर को लेकर प्रतिबद्घ है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कहा कि आंतरिक सुरक्षा को लेकर आयोजित राष्ट्रीय परिषद की कार्यसूची में केन्द्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि, बीएसएफ न सिर्फ सीमावर्ती इलाकों में बल्कि देश के किसी भी हिस्से में अपनी जवाबदारी निभाने के लिए किसी भी व्यक्ति की तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार प्राप्त कर सकेगी। उसमें यह भी दर्शाया गया है कि इंडो-तिबेटियन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सीआरपीएफ जैसे केन्द्रीय सुरक्षा बलों के सन्दर्भ में यह प्रावधान पहले ही लागू हैं।

अपने प्रस्तावित सुधार के समर्थन में केन्द्र सरकार का यह भी कहना है कि बीएसएफ को भी ऐसे ही अधिकार हासिल हों इसे लेकर कई राज्य सरकारें भी सहमत हैं। इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि, च्च्जहां तक मैं समझता हूं बीएसएफ का गठन हमारी सरहदों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है और उसे योग्य सत्ता अधिकार भी दिये गए हैं। बीएसएफ के पास क्रिमिनल प्रोसिजर कोड के प्रावधान के तहत निर्दिष्ट किए हुए सरहदी इलाकों की सीमा में किसी के अपराध करने पर उसकी जांच करने का अधिकार वर्तमान में है। अर्ध सैनिक बलों और सैन्य बल को देश के राज्यों में नागरिक सत्ता तंत्र को प्राकृतिक आपदा या अन्य आपात स्थिति के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष प्रावधान के तहत बुलाया जाता है। अब तक की परंपरा के मुताबिक सैन्य बल अपना कर्तव्य अदा करने में कामयाब रहे हैंइतना ही नहीं, स्टेट रिजर्व पुलिस (एसआरपी) जो राज्य पुलिस के अर्धसैनिक बल के रूप में ही कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से मददगार होते हैं, उसे भी सामान्य ड्युटी के दौरान किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी या तलाशी के अधिकार हासिल नहीं है। ऐसे में बीएसएफ को देश में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी या जांच करने का विशेष अधिकार देना पड़े ऐसी कोई विशेष वजह नजर नहीं आती।ज्ज् प्रधानमंत्री को स्पष्ट तौर पर आगाह करते हुए मुख्यमंत्री ने इस सन्दर्भ में कहा कि बीएसएफ को ऐसा अधिकार देने का केन्द्र सरकार का कदम राज्य के अंदर च्च्दूसरा राज्यज्ज् (क्रिएटिंग स्टेट विदिन स्टेट) का खौफनाक दृष्टांत है।

उन्होंने कहा कि एक ओर तो केन्द्र सरकार गुप्तचर सूचनाएं इकट्ठी करने वाली एजेंसियों और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए कार्यरत बलों के बीच उत्तम संकलन रखने के लिए सहयोग की अपेक्षा रखती है, दूसरी ओर राज्यों के अधिकार छिनकर राज्य की पुलिस के प्रति अविश्वास जताते हुए उनका नैतिक मनोबल तोडऩे की मंशा रखती है, यह किसी भी हालात में उचित नहीं कहा जा सकता। मुख्यमंत्री ने राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप करने वाले केन्द्रीय कानून लाने की मानसिकता के खिलाफ अपना उग्र विरोध इस पत्र में प्रधानमंत्री के समक्ष व्यक्त किया है।