"Economic Freedom of the State of India 2013 report lauds development in Gujarat"
"Gujarat, which was ranked at 5th position in the first report in 2005 with a score of 0.46, has been ranked at 1st position in the 2013 report with a score of 0.65."
"The report on Economic Freedom reaffirms the fact that the Gujarat model of development is based on global best practices and is robust, sustainable and all inclusive."
"Major successes in agriculture, social welfare programmes and water resource management has been achieved in Gujarat without an inordinate increase in the size of the government: Report"

हाल की भारत के राज्यों की आर्थिक स्वतंत्रता, 2013 की रिपोर्ट के अनुसार  गुजरात आर्थिक स्वतंत्रता देने वाले राज्यों में शीर्ष पर है।

भारत के राज्यों की आर्थिक स्वतंत्रता (EFSI ) , 2013  विश्व की आर्थिक स्वतंत्रता के फ्रेजर संस्थान की (EFW ) वार्षिक रिपोर्ट से ली गई एक पद्धति का उपयोग करके देश के 20 सबसे बड़े राज्यों में आर्थिक स्वतंत्रता का अनुमान लगाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात ने 0.65 (0 से 1.0 के पैमाने पर) के स्कोर के साथ ही आर्थिक स्वतंत्रता तालिका के शीर्ष पर रहकर अपनी बढ़त को और भी ज्यादा कर लिया है। गुजरात, जिसे 0.46 के स्कोर के साथ 2005 की पहली रिपोर्ट में 5 वां स्थान  मिला था उसी गुजरात को 2013 की रिपोर्ट में 0.65 के स्कोर के साथ पहला स्थान दिया गया है।

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प्रख्यात अर्थशास्त्री श्री बिबेक देबरॉय (प्रोफेसर, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च), श्री लवीश भंडारी (1996 में भारत के एक्जिम बैंक द्वारा सबसे अच्छा थीसिस पुरस्कार के प्राप्तकर्ता ) और श्री स्वामीनाथन एस. अंकलेसरिया अय्यर (केटो इंस्टीट्यूट में रिसर्च फैलो) द्वारा तैयार इस  रिपोर्ट को फ्रेडरिक-नौमानस्टिफुंग, केटो संसंथान  और एकेडेमिक फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त प्रयास से प्रकाशित किया गया।  रिपोर्ट विशाल , विविध भारत में आर्थिक स्वतंत्रता के स्तर को मापने का प्रयास करती है, और इस साल इसने  बेहतर आर्थिक और सामाजिक परिणाम देने वाली राज्य स्तरीय नीति  द्वारा सुधार और प्रयोग के महत्व पर प्रकाश डाला गया है .

आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 3 मानकों पर आधारित है। 1. सरकार का आकार (व्यय , करों और उद्यम) 2 . कानूनी ढांचा  और संपदा अधिकारों की सुरक्षा और 3. श्रम और व्यापार का विनियमन। प्रत्येक राज्य को तीन मानकों के आधार पर स्कोर दिए जाते हैं और फिर एक समग्र स्कोर और रैंक दिया जाता है।

सरकार के के आकार के पहलू का विश्लेषण करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है, " गुजरात की पूरे 2000 के दशक की  सफलता की एक जानी-मानी कहानी है। इसके अलावा इसने कृषि , समाज कल्याण कार्यक्रमों और जल संसाधन प्रबंधन में काफी सफलता प्राप्त की है। इतना सब सरकार के आकार में बेतहाशा वृद्धि के बिना ही हासिल किया गया है।” "यह उल्लेखनीय बात है रिपोर्ट के लेखकों द्वारा उल्लेख की गई पूरी अवधि के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी ही   राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।

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गुजरात ने अपने सूचकांक मूल्यों में भी महत्वपूर्ण सुधार देखा है और ' श्रम और व्यापार का विनियमन’ में अपनी पूर्व प्रतिष्ठा को बरकरार रखे हुए है। रिपोर्ट के अनुसार " गुजरात लगातार इस क्षेत्र में सबसे अच्छा राज्य रहा है। वर्ष 2011 के बाद से सूचकांक स्कोर में अधिकतम सुधार दर्ज किया गया है, और 0.87 के अपने स्कोर के साथ यह  दूसरे राज्यों से काफी आगे है और दूसरे स्थान पर है। गुजरात की सतत सुधार के लिए कई कारकों का योगदान रहा है। हड़तालों और तालाबंदी के कारण कम हुए मानव-दिवसों में तेज गिरावट, न्यूनतम मजदूरी दर की तुलना में ऊँची बाजार मजदूरी दर और मामलों के लम्बित होने में आने वाली गिरावट कुछ प्रमुख कारक हैं।

वर्ष 2005-11 के दौरान गुजरात ने जीएसडीपी में 12 % की औसत वृद्धि दर दर्ज की गई थी, जो बड़े राज्यों में सबसे अधिक है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम से कम सात राज्यों को 2011 की तुलना में 2013 में आर्थिक स्वतंत्रता मूल्यांकन में गिरावट का सामना करना पड़ा है।

एक मजबूत विज़न, एक निर्धारित मिशन: विकास और प्रंशसा के योग्य हैं

यूएसए कांग्रेसनल थिंक टैंक (USA Congressional Think Tanks),  ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट (Brookings Institutions),  फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times), वॉल स्ट्रीट जर्नल (Wall Street Journal),  नीतिनिर्धारक संगठन लेगाटम इंस्टीट्यूट से लेकर टाइम पत्रिका, तक औरके लिए और भारत के एसोचैम (ASSOCHAM) और इंडिया टुडे (India Today) सहित कई अन्य संगठनों और समूहों के बीच से  गुजरात के विकास की सर्वत्र प्रशंसा हुई है।

प्रगति के इन शानदार ऊंचाइयों को एक मजबूत प्रोत्साहन देना एक ठोस विज़न है, गुजरात का हर नागरिक  राज्य के विकास यात्रा में जुङा हुआ है यह सुनिश्चित करना एक मिशन है। यह राज्य के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता है जिसने पिछले 13 वर्षों में राज्य को विकास का एक मजबूत इंजन बना दिया है।

जहां तक ​​आर्थिक स्वतंत्रता का संबंध है, श्री नरेन्द्र मोदी  का एक बहुत स्पष्ट विज़न है जिसकी दूर-दराज तक व्यापक सराहना की गई है।  इकानॉमिक टाइम्स (the Economic Times) को दिए गए पिछले एक साक्षात्कार में  हुए श्री मोदी ने  साफ कहा कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। वह सरकार की भूमिका की कल्पना हर संभव तरीके से विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करने, और एक सुविधा प्रदाता के रूप में करते है। श्री मोदी यह भी बताया कि कैसे गुजरात में नौकरशाहों और राजनेताओं के हाथ गर्म करने का व्यापार नहीं होता है- यहाँ नीतियों में सुसंगतता है जो कि पर्याप्त है।

उन्होंने अपने रुख को छोटी सी बात में समझाया - "कोई लालफीताशाही नहीं, निवेशकों के प्रति मेरी नीति केवल लाल कालीन (रेड-कारपेट) बिछाने की है। "

आज  जब मित्रवादी पूंजीवाद और नीतियों की अशक्तता ने राष्ट्र की गति को रोक रखा है उस समय  गुजरात ताजा हवा के एक झोंके के रूप में सामने आता है। श्री मोदी ने कई अवसरों पर खुद कहा कि उनके कोई बेटा या दामाद तो है नहीं तो वह पैसा किसके लिए जमा करेंगे? उसकी चौकन्नी निगाहों के तहत  पहले जो पैसा मुट्ठीभर बिचौलियों की जेब को समृद्ध बनाने में इस्तेमाल होता था वही पैसा अब राज्य के विकास के लिए उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार जहाँ एक ओर विकास करने और कुछ नया करने की स्वतंत्रता है, वहीं दूसरी और विकास का फल गुजरात के आम लोगों तक पहुंच रहा है। 

गुजरात के विकास का बल - गुजरात के 6 करोड़ लोग !

कई अवसरों पर श्री मोदी ने यह सवाल पूछा है कि गुजरात में विकास का जिम्मेदार किसे ठहराया जा सकता है और  हर बार वह स्वंय तुरंत जवाब देते हैं - गुजरात के 6 करोड़ लोग! राज्य में पिछले 13 वर्षों में देखा गया  विकास 6 करोड़ गुजरातियों की मेहनत और पसीने की खुश्बू लिए हुए है। राज्य के लोगों ने राज्य को हर एक पल प्रगति की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए अद्भुत दृढ़ संकल्प , उत्साह और प्रतिबद्धता दिखाई है।

हाल ही में, एशिया की प्रमुख ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए ने गुजरात को भारत में सबसे तेजी से बढ़ता राज्य कहा है और इसके विकास के मॉडल को अद्वितीय बताया है। इसने  कृषि और उद्योग के क्षेत्र में गुजरात की सफलता की सराहना की है और विशेष रूप से राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार की नीतियों की प्रशंसा की है।

सीएलएसए  ने इस बात का उल्लेख किया है कि गुजरात के विकास की विशेषता इसकी केंद्रीय फंड पर कम निर्भरता है। यह तथ्य श्री मोदी की उस बात को सत्य साबित करता है कि- गुजरात का विकास गुजरात के लोगों की वजह से है कि, कोई और राज्य के विकास का काल्पनिक श्रेय नहीं ले सकता है।

गुजरात के विकास के बारे में ऐसे प्रोत्साहनपूर्ण शब्दों को सुनना अच्छा लगता है। इससे लोगों को कड़ी मेहनत कर प्रगति की अभूतपूर्ण ऊंचाइयों को छूने की प्रेरणा मिलेगी, जिसका मूलमंत्र होगा ‘सबका साथ, सबका विकास (सामूहिक प्रयास, समावेशी विकास)'।