श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में एएनआई के साथ साक्षात्कार में ‘अपराध मुक्ती राजनीति’ की जरूरत पर बल दिया जो कि विकास-प्रेरित हो। राजनीति के आपराधिकरण, जिसने देश को तहस-नहस कर दिया है, पर गहरी चिंता जताते हुए श्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश में राजनीति का आपराधिकरण गंभीर मुद्दा है। यह सभी पार्टियों और नेताओं के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। शुरुआत में देश का नेतृत्व आजादी के लिए क्रांति से उपजा लेकिन बाद में यह सामाजिक कल्याण और उसके बाद जाति पर केंद्रित होकर रह गया। हालांकि धीरे-धीरे इसने आपराधिकरण का रूप ले लिया और उसके बाद नेतृत्व का उदय बंदूक की नौक पर हुआ। इस तरह स्थिति उलट गयी और राजनीतिक दलों के अपराधियों से मदद लेने के बजाय, जैसा कि पहले होता था, अब कमान अपराधियों ने ही संभाल ली। भले ही यह 2 से 3 प्रतिशत हो लेकिन फिर भी यह गंभीर चिंता का विषय है।’’
श्री मोदी ने इस चिंताजनक विषय का व्य्वहारिक और क्रांतिकारी हल बताते हुए कहा कि इस तरह के नेताओं को टिकिट देने से समस्या का हल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद किसी भी दल से संबंध रखने वाले आपराधिक पृष्ठोभूमि के सांसद या विधायक का विशेष अदालतों में मुकदमा चलाया जायेगा और मामले का निपटारा सालभर के भीतर किया जायेगा। श्री मोदी ने कहा कि वह बदले की राजनीति में भरोसा नहीं रखते। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह अगर कोई व्यक्ति दोषी करार दिया जाता है और उसकी सीट खाली हो जाती है तो एक गैर आपराधिक छवि वाला व्यक्ति उसकी जगह ले सकता है।’’
अन्या व्यवहारिक विचारों पर चर्चा करने की बात कहते हुए श्री मोदी ने कहा कि विशेष अदालतों के संबंध में उनके झुकाव को राजनीतिक संदर्भ में लोगों को जेल भेजने के अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि इसका आशय उन लोगों को सजा देना है जिन्होंने गलत काम किया है। श्री मोदी ने कहा, ‘‘मैं जो कुछ कह रहा हूं उसमें बदले का भाव जरा भी नहीं है। ऐसा नहीं है कि हम कुछ नेताओं की पुरानी फाइलें खोलेंगे या सीबीआई जांच करायेंगे। मैं यह अपराध नहीं करना चाहता। मैं भारतीय संस्थाओं की साख और संवैधानिक संगठनों का सम्मान बढ़ाना चाहता हूं। देश अगर संवैधानिक संस्थाओं के बहुस्तंभों पर खड़ा होगा तो यह मजबूत होकर उभरेगा।’’