"‘Chai Pe Charcha’ on India’s agriculture sector held, Shri Modi interacts with farmers from over 1500 places"
"Narendra Modi shares his vision on the development of India’s agriculture sector"
"India needs a farmer friendly and agriculture friendly government that will address the concerns of the farmers: Narendra Modi"
"Through agriculture we need to increase purchasing power of farmers and people in villages. This will drive economic growth: Narendra Modi"
"Narendra Modi interacts with farmers from over 1500 locations, hears their ideas and solutions"

गुरुवार 20 मार्च 2014 की शाम को श्री नरेन्द्र मोदी महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में ' चाय पे चर्चा ' में लोगों के साथ जुङे। उन्होंने दभाङी गांव में चर्चा में भाग लिया और देश भर के किसानों के साथ बातचीत की। श्री मोदी ने महाराष्ट्र , कर्नाटक , आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल , बिहार , ओडिशा , उत्तर प्रदेश , पंजाब और हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश के साथ ही अन्य स्थानों के किसानों से बातचीत की। सवालों के जवाब में श्री मोदी ने कृषि के लिए अपने विज़न की रूपरेखा को और भारत की विकास यात्रा में इसके बढ़ते हुए महत्व को सामने रखा । श्री मोद ने कहा कि राष्ट्र को दिल्ली में ऐसी सरकार की जरूरत है जो किसान अनुकूल हो और कृषि अनुकूल हो और किसानों के हितों का ध्यान रखे। उन्होंने गांवों में कृषि के माध्यम से किसानों और अन्य लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने की बात की।

कपास और सोयाबीन में उत्पादन बढ़ाने के एक सवाल का जवाब देते हुए श्री मोदी ने कहा कि सोयाबीन पोषण गुणवत्ता बहुत उच्च है और इसका इस्तेमाल कुपोषण से लड़ने के लिए किया जा सकता है। कपास के बारे श्री मोदी इसकी गुणवत्ता संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया।

किसानो मोदी जी से सुनने के लिए उत्सुक थे कि वे कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में सुधार की दिशा में क्या करेंगे जिससे फसल के नुकसान को रोका जा सकता है। श्री मोदी ने इशारा किया कि यह एक बहुत ही वैध चिंता का विषय है और उनका मत था कि यह बहुत दुख की बात है कि एक तरफ भूख है, जबकि दूसरी तरफ खाद्यान्न बर्बाद हो रहा है।उन्होंने कहा कि हमारे पास धान्य उत्पादन का वास्तविक समय का आँकङा होना चाहिए। अगर यह होता है तो हम धान्य को उन भागों में भेज सकते हैं जहाँ इसकी जरूरत है। कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेलवे को विशेष सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। ट्रकों में अण्डे ले जाना उतना फायदेमन्द नहीं होगा जितना ट्रेनों में ले जाना।

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बातचीत के दौरान श्री मोदी ने कृषि आधारभूत ढांचे, कृषि में विकेंद्रीकरण और किसानों को लोन एवं छूट देने के महत्व पर बात की। किसानों के साहूकारों के पास जाने के प्रश्न का जबाब देते हुए श्री मोदी ने कहा कि जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था तब हमें बताया गया था कि ये बैंक गरीबों की मदद करेंगे पर दुख की बात है कि ग्रामीण इलाकों के किसानों को ज्यादा कर्ज नहीं मिल रहा है। इसमें बदलाव होना चाहिए। अटलजी ने किसान क्रेडिट कार्ड की शुरूआत की थी और अब वैसे इसकी गति धीमी है पर इसने सफलता प्राप्त की है। हमें कई तरह के खतरों के देखते हुए उसके हिसाब से जोनों को निर्धारण करना चाहिए और फिर किसानों को बीमा योजनाएँ देनी चाहिए।

बिहार तथा झारखण्ड के किसान भूमि सुधारों के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे। इस मुद्दे पर बोलते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है हम कृषि करते हुए जमीन की प्रकृति के बारे में नहीं सोचते है। हम केवल जमीन की लंबाई और चौङाई देखते हैं पर हमें इसके आगे भी सोचना होगा। हमें हर दो साल में अपनी मिट्टी की दशा का परीक्षण कराना चाहिए। क्या पोषक तत्व आदि चाहिए। हमने गुजरात में मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड को शुरू किया है। हमें सैटेलाइट तकनीक के माध्यम से पहले जमीन की उचित माप करनी चाहिए और फिर इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।

श्री मोदी ने किसानों से सिंचाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आग्रह किया और किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने में मध्य प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने खेती के लिए वर्षा जल पर निर्भरता से आगे बढ़ने का आह्वान किया। बुंदेलखंड के एक किसान के सवाल का जवाब देते हुए श्री मोदी बुंदेलखण्ड में पाँच नदियाँ है फिर भी किसान की हालत खराब है। सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां ड्रिप सिंचाई को अपनाने की जरूरत पर भी बल दिया।

श्री मोदी ने कृषि के क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी का स्वागत किया। श्री मोदी ने उन कई लोगों के साथ बातचीत की जिन्होंने अपने उऩ रिश्तेदारों को खो दिया था, जिन्होंने आत्महत्या कर ली थी। श्री मोदी ने स्पष्ट किया कि आत्महत्या किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है और सभी को एकसाथ होकर किसानों की समस्याओं का समाधान करना होगा। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की भी सराहना की।

जीएम बीज पर श्री मोदी ने यह स्वीकार किया कि इस मुद्दे पर कई अलग-अलग विचार हैं लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसानों का हित सर्वोपरि है। उन्होंने पुष्टि की कि इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार रहे हैं। जीएम बीज ने गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मदद की है। हाँ हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए पर जहाँ किसान मर रहे हैं वहाँ यह नहीं चलना चाहिए। "

श्री मोदी ने बिचौलियों के प्रभाव को कम करने के लिए एपीएमसी को और अधिक सक्रिय बनाने और किसानों को शिक्षित करने के लिए मॉडल फार्मों की स्थापना करके का भी सुझाव दिया।

‘Chai Pe Charcha’ on India’s agriculture sector held, Shri Modi interacts with farmers from over 1500 places

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