प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी आधिकारिक अमेरिका यात्रा के दौरान आज व्हाइट हाउस में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा से मुलाकात की। अपने तीसरे प्रमुख द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के बीच गहरी होती जा रही सामरिक भागीदारी की समीक्षा की, जो स्वतंत्रता के साझा मूल्यों, लोकतंत्र, सार्वभौमिक मानवाधिकार, सहिष्णुता एवं बहुलवाद, सभी नागरिकों के लिए समान अवसर और कानून के शासन में निहित है। दोनों नेताओं ने  आर्थिक विकास और सतत विकास के नए अवसरों को आगे बढ़ाने, अपने यहां व दुनिया भर में शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने,  समावेशी, लोकतांत्रिक शासन को मजबूत बनाने तथा सार्वभौमिक मानवाधिकारों का सम्मान करने और साझा हित के मुद्दों पर वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की वचनबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री मोदी के सितम्बर, 2014 के अमेरिका दौरे और जनवरी 2015 में राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा के दौरान जारी किए गए संयुक्त घोषणापत्र में तय किए गए रोडमैप के अनुसार, दोनों नेताओं ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने अपने सामरिक दृष्टिकोण में बढ़ रहे अभिसरण (कनवर्जन्स) की पुष्टि की और एक दूसरे की सुरक्षा एवं समृद्धि से करीब से जुड़े रहने की आवश्यकता पर बल दिया।

जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा में अमेरिका-भारत का वैश्विक नेतृत्व

अमेरिका-भारत संपर्क समूह के माध्यम से पिछले दो वर्षों में दोनों सरकारों ने जो कदम उठाए हैं, उनमें अन्य बातों के  अतिरिक्त परमाणु दायित्व के मुद्दे पर ध्यान देना, परमाणु क्षति के लिए पूरक मुआवजे पर भारत के माध्यम से कन्वेंशन का सत्यापन शामिल है, इसने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी की एक मजबूत नींव रखी है।

असैन्य परमाणु मुद्दों पर एक दशक से बनी साझेदारी के शिखर पर, दोनों नेताओं ने भारत में वेस्टिंगहाउस द्वारा बनाए जाने वाले छह एपी 1000 संयंत्रों के प्रारंभिक कार्य की शुरुआत का स्वागत किया और भारत के इरादों का उल्लेख किया। इस परियोजना के लिए प्रतिस्पर्धी वित्तीय पैकेज उपलब्ध कराने की खातिर अमेरिका का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक साथ में काम कर रहा है। एक बार पूरी होने के बाद यह परियोजना अपनी तरह की सबसे बड़ी परियोजना होगी। यह भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के वादे को पूरा करेगी। भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाएगी, जबकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी घटाएगी। दोनों पक्षों ने भारतीय परमाणु विद्युत निगम और वेस्टिंगहाउस द्वारा की गई उस घोषणा का स्वागत किया जिसके अनुसार, इंजीनियरिंग एवं साइट डिजाइन का काम तुरंत शुरू हो जाएगा और दोनों पक्ष जून 2017 तक संविदात्मक व्यवस्था को अंतिम रूप देने की दिशा में काम करेंगे।

भारत और अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा के सार्वजनिक हितों को साझा करते हैं और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में करीबी सहयोगी हैं। दोनों देशों के नेतृत्व ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित किया और पिछले साल दिसम्बर में ऐतिहासिक पेरिस समझौते पर पहुंचने में मदद की। दोनों देश पेरिस समझौते के पूर्ण कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर तथा दूसरों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न तात्कालिक खतरों से निपटा जा सके। भारत और अमेरिका जलवायु परिवर्तन के तकाजे को समझते हैं और जितनी जल्दी संभव हो सके पेरिस समझौते को अमल में लाने का लक्ष्य साझा करते हैं। अमेरिका ने जितनी जल्द संभव हो सकेगा इस साल समझौते में शामिल होने की तस्दीक की है। भारत ने इस साझे लक्ष्य की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। दोनों नेताओं ने 2020 से पहले न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीति तैयार करने और लंबी अवधि की न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीति विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इसके अलावा, दोनों देशों ने 2016 में दाता देशों की ओर से कार्यान्वयन के साथ विकासशील देशों की मदद के लिए बहुपक्षीय कोष में वित्तीय सहायता बढ़ाकर एक एचएफसी संशोधन को अपनाने की दिशा में काम करने और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुबई पाथवे के अनुरूप एक महत्वकांक्षी फेजडाउन शिड्यूल का संकल्प जताया है। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय विमानन से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के मुद्दे से निपटने के लिए आगामी अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन असेंबली में एक सफल परिणाम तक पहुंचने के लिए एक साथ काम करने का संकल्प जताया है। इसके अलावा,  दोनों देश जी-20 के नेतृत्व में आने वाले सशक्त नतीजों के तहत अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुसार भारी वाहन मानकों और दक्षता में सुधार को बढ़ावा देने का काम आगे बढ़ाएंगे।

दोनों नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन और गैस हाइड्रेट में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।

विकास के लिए अत्यावश्यक वन्यजीव संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के परिप्रेक्ष्य में दोनों नेताओं ने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने और वन्यजीव तस्करी से निपटने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का भी स्वागत किया।

स्वच्छ ऊर्जा वित्त

अमेरिका भारत सरकार के 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य का समर्थन करता है। इसमें से 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा से जुटाया जाना है। अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की शुरुआत किए जाने का स्वागत  किया है। उसने आईएसए की अहम भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि यह सौर ऊर्जा के विकास और उसके विस्तार में अहम भूमिका निभा सकता है। अमेरिका आईएसए की सदस्यता का इच्छुक है। आईएसए को मिलकर मजबूत करने के लिए सितम्बर, 2016 में भारत में होने वाले स्थापना सम्मेलन में अमेरिका और भारत आईएसए की तीसरी पहल की संयुक्त रूप से शुरुआत करेंगे, जिसका फोकस ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा उपलब्धता पर रहेगा।

अमेरिका अन्य विकसित देशों के साथ संयुक्त रूप से वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष  100 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है, ताकि सार्थक शमन और अनुकूलन कार्रवाई के संदर्भ में विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

अमेरिका अपनी तकनीकी क्षमता, संसाधनों और निजी क्षेत्र को साथ लाने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश को प्रेरित करने के लिए संयुक्त रूप से नए प्रयास कर रहा है। इसमें ऐसे प्रयास शामिल हैं, जो आईएसए के अन्य सदस्य देशों के लिए एक मॉडल बनें। भारत और अमेरिका ने विशेष रूप से आज 20 मिलियन डॉलर के भारत स्वच्छ ऊर्जा कोष (यूएसआईसीईएफ) की पहल की घोषणा की। इसे भारत और अमेरिका समान रूप से समर्थन दे रहे हैं। इसके तहत 2020 तक एक लाख परिवारों तक स्वच्छ एवं अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली पहुंचाने के लिए 400 मिलियन डॉलर जुटाए जाने की उम्मीद है। यह उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके तहत अमेरिका और भारत को स्वच्छ ऊर्जा का हब बनाया जाना है। इसमें समन्वय तंत्र अग्रणी वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी करते हुए अमेरिकी सरकार के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करेगा। जिससे भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी। 40 मिलियन डॉलर का अमेरिका-भारत उत्प्रेरक सौर कोष कार्यक्रम, भारत और अमेरिका द्वारा समान रूप से समर्थित है। यह छोटे पैमाने पर अक्षय ऊर्जा निवेश को जरूरी तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करेगा। विशेष रूप से ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों और गरीबों के बीच, जो ग्रिड से जुड़े हुए नहीं हैं। यह एक बिलियन डॉलर तक की परियोजनाओं को गति प्रदान कर सकता है। इसमें भारतीय जरूरतों के अनुसार हाउसहोल्डिंग सपोर्ट का विस्तार किया जाना है। इसमें छत पर सौर पैनल लगाने को बढ़ावा देना और "ग्रीनिंग द ग्रिड" के लिए यूएसएड के साथ सफल सहयोग को जारी रखना है।

अमेरिका और भारत मिशन इनोवेशन के उन लक्ष्यों को लेकर भी प्रतिबद्ध हैं, जिसे उन्होंने पेरिस में सीओपी-21 के दौरान संयुक्त रूप से लांच किया था। इसके तहत दोनों देश अगले पांच साल में स्वच्छ ऊर्जा के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश को दोगुना करेंगे। दोनों नेताओं ने अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए अपनी वचनबद्धता दोहराई है। इसमें स्मार्ट ग्रिड और ग्रिड भंडारण में 30 मिलियन डॉलर के सार्वजनिक-निजी अनुसंधान की घोषणा की गई है।

वैश्विक अप्रसार को मजबूत बनाना

राष्ट्रपति ने वाशिंगटन डीसी में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन 2016 के दौरान मौलिक योगदान और सक्रिय भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया  और 2018 में सामूहिक विनाश के हथियार एवं आतंकवाद पर एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के प्रस्ताव का स्वागत किया। भारत और अमेरिका रासायनिक, जैविक, परमाणु और रेडियोलॉजिकल सामग्री के उपयोग से जुड़े आतंकी खतरे का संयुक्त रूप से मुकाबला करेंगे।

दोनों नेताओं ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके प्रसार को रोकने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को याद किया। अब दोनों को भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में प्रवेश करने का इंतजार है। राष्ट्रपति ओबामा ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया। उन्होंने इस बात की फिर पुष्टि की है कि भारत इसकी सदस्यता के लिए तैयार है। अमेरिका ने एनएसजी में शामिल सभी देशों से इस महीने के अंत में होने वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के पूर्ण सत्र (प्लीनरी) में भारत के आवेदन का समर्थन करने के लिए कहा है। अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया ग्रुप एंड वासेनार अरेंजमेंट’ में भी भारत की प्रारंभिक सदस्यता के लिए अपने समर्थन को दोहराया है।

डोमेन की सुरक्षाः भूमि,  समुद्र,  हवा, अंतरिक्ष  और साइबर

दोनों नेताओं ने एशिया प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए अमेरिका-भारत संयुक्त सामरिक विजन 2015 के तहत सहयोग की एक रूपरेखा के पूरा होने की सराहना की। यह आने वाले वर्षों में सहयोग के लिए एक गाइड के रूप में काम करेगा। दोनों इस बात पर दृढ़ हैं कि अमेरिका और भारत को एशिया प्रशांत एवं हिंद महासागर क्षेत्र में प्राथमिकता वाले भागीदार के रूप में एक-दूसरे को देखना चाहिए।

उन्होंने समुद्री सुरक्षा वार्ता की उद्घाटन बैठक का स्वागत किया। समुद्री सुरक्षा और समुद्री अधिकार क्षेत्र को लेकर जागरुकता के कारण,  समुद्री "व्हाइट शिपिंग" सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तकनीकी व्यवस्था बनाए जाने का दोनों नेताओं ने स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका-भारत के सहयोग की पुष्टि की। दोनों ने नेवीगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, ओवरफ्लाइट (ऊपर से उड़ान भरने), अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार संसाधनों के दोहन, जिसमें समुद्र के नियमों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन शामिल है, की बात दोहराई। साथ ही क्षेत्रीय विवादों का निपटान शांतिपूर्ण तरीके से करने की बात कही।

उन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग, विशेष रूप से संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचए/डीआर) को बढ़ावा दिए जाने की सराहना की। दोनों नेताओं ने ऐसे समझौतों का पता लगाए जाने की इच्छा व्यक्त की जो व्यावहारिक तरीके से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और विस्तार देने में मददगार हों। इस संबंध में ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (एलईएमओए) के पाठ को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत किया।

इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए कि अमेरिका एवं भारत के बीच रक्षा संबंध स्थिरता का भरोसा दिला सकते हैं और रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है, अमेरिका भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार मानता है। इस तरह :

अमेरिका भारत के साथ प्रौद्योगिकी को सुविधाजनक ढंग से साझा करने का क्रम उस स्‍तर तक जारी रखेगा, जो उसके निकटतम सहयोगियों एवं भागीदारों के अनुरूप होगा। दोनों नेताओं के बीच हुई सहमति के तहत भारत की लाइसेंस मुक्‍त पहुंच अब दोहरे उपयोग वाली अनेक तकनीकों तक संभव हो पाएगी। भारत ने अपने निर्यात नियंत्रण उद्देश्‍यों को आगे बढ़ाने के लिए जो कदम उठाने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है उसी के अनुरूप यह संभव होगा। 

भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ-साथ मजबूत रक्षा उद्योगों के विकास एवं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ इसके एकीकरण को अपना समर्थन व्‍यक्‍त करते हुए अमेरिका अपने कानून के अनुरूप उन परियोजनाओं, कार्यक्रमों एवं संयुक्‍त उद्यमों के लिए वस्‍तुओं एवं तकनीकों के निर्यात को सुविधाजनक बनाने का सिलसिला आगे भी जारी रखेगा, जो आधिकारिक अमेरिका–भारत रक्षा सहयोग के अंतर्गत आते हैं।

दोनों नेताओं ने भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के समर्थन में आपसी सहयोग बढ़ाने और रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्‍यापार पहल (डीटीटीआई) के तहत प्रौद्योगिकियों के सह-विकास एवं सह-उत्‍पादन के विस्‍ता‍रीकरण के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने नौसेना प्रणालियों, हवाई प्रणालियों और अन्‍य हथियार प्रणालियों को कवर करने वाली सहमति प्राप्‍त वस्‍तुओं को शामिल करने के लिए नये डीटीटीआई कार्य दलों के गठन का स्‍वागत किया। दोनों नेताओं ने विमान वाहक प्रौद्योगिकी सहयोग पर गठित संयुक्‍त कार्यदल के तहत एक सूचना आदान-प्रदान अनुलग्‍नक के मूल पाठ को अंतिम रूप देने की घोषणा की।

राष्‍ट्रपति ओबामा ने भारत में रक्षा पीओडब्‍ल्‍यू/एमआईए लेखांकन एजेंसी (डीपीएए) से जुड़े मिशनों को भारत सरकार द्वारा दिए गए समर्थन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का धन्‍यवाद किया, जिसमें एक रिकवरी मिशन भी शामिल है, जिसके फलस्‍वरूप द्वितीय विश्‍व युद्ध से ही लापता अमेरिकी सैन्‍य सेवा के सदस्‍यों के अवशेषों को हाल ही में स्‍वदेश वापस भेजा गया है। दोनों नेताओं ने भावी डीपीएए मिशनों के लिए अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की।

अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राष्‍ट्रों के रूप में भारत और अमेरिका ने यह बात स्‍वीकार की कि बाह्य अंतरिक्ष को मानव प्रयासों का एक ऐसा सीमांत होना चाहिए जो सदा ही विस्तारशील हो। उन्‍होंने पृथ्वी अवलोकन, मंगल ग्रह की खोज, अंतरिक्ष शिक्षा और मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ने की उम्‍मीद जताई। दोनों नेताओं ने सूर्य की भौतिकी पर इसरो-नासा कार्यदल के गठन के साथ-साथ पृथ्‍वी अवलोकन उपग्रह संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए एक सहमति पत्र को अंतिम रूप दिए जाने की दिशा में हुई प्रगति का स्‍वागत किया।

दोनों नेताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि साइबरस्‍पेस की बदौलत आर्थिक विकास एवं प्रगति संभव है। उन्‍होंने इंटरनेट गवर्नेंस से जुड़े बहु-हितधारक मॉडल के तहत एक स्‍पष्‍ट, अंतरप्रचालनीय, सुरक्षित एवं विश्‍वसनीय इंटरनेट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्‍होंने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की और निकट भविष्‍य में अमेरिका-भारत साइबर संबंधों की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए हुई आपसी सहमति का स्‍वागत किया। उन्‍होंने महत्‍वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास, साइबर अपराध, सरकारी एवं गैर-सरकारी तत्‍वों द्वारा दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों पर अंकुश लगाने, क्षमता सृजन और साइबर सुरक्षा से जुड़े अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में साइबर सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। इसके साथ ही उन्‍होंने बाजार पहुंच सहित प्रौद्योगिकी एवं उससे संबंधित सेवाओं के व्‍यापार के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श जारी रखने की बात कही। उन्‍होंने इंटरनेट गवर्नेंस से जुड़े फोरम में आपसी विचार-विमर्श और भागीदारी को जारी रखने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की, जिनमें आईसीएएनएन, आईजीएफ और अन्‍य फोरम भी शामिल हैं। उन्‍होंने इन सभी फोरम में दोनों देशों के हितधारकों की सक्रिय भागीदारी को अपना समर्थन देने की बात कही। दोनों नेताओं ने संयुक्‍त राष्‍ट्र चार्टर सहित अंतर्राष्‍ट्रीय कानून को लागू किये जाने के आधार पर साइबरस्‍पेस में स्थिरता को बढ़ावा देने, शांतिकाल में राष्‍ट्रों के उत्‍तरदायी से जुड़े व्‍यवहार के स्‍वैच्छिक मानकों को बढ़ावा देने और राष्‍ट्रों के बीच विश्‍वास वृद्धि के व्‍यावहारिक उपायों के विकास एवं क्रियान्‍वयन के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जताई।

इस संदर्भ में उन्‍होंने इन स्‍वैच्छिक मानकों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की कि किसी भी राष्‍ट्र को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए अथवा ऐसी ऑनलाइन गतिविधि को जानबूझकर बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जिससे महत्‍वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता हो अथवा आम जनता को सेवाएं मुहैया कराने के मार्ग में बाधाएं उत्‍पन्‍न होती हों; किसी भी राष्‍ट्र को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए अथवा जानबूझकर ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जिससे राष्‍ट्रीय कम्‍प्‍यूटर सुरक्षा संबंधी घटनाओं पर आवश्‍यक कदम उठाने वालों के सामने मुश्किलें पैदा हों या उन्‍हें अपने ऐसे दलों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जो नुकसान पहुंचाने के मकसद से किसी ऑनलाइन गतिविधि को अंजाम देते हों; हर राष्‍ट्र को अपने घरेलू कानून और अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप सहयोग करना चाहिए, अपने क्षेत्र से होने वाली किसी दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि को रोकने के लिए अन्‍य राष्‍ट्रों से मदद हेतु अनुरोध करना चाहिए; किसी भी राष्‍ट्र को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए अथवा व्‍यापार से जुड़ी गोपनीय सूचनाओं अथवा अन्‍य गोपनीय व्‍यावसायिक सूचनाओं सहित बौद्धिक संपदा की आईसीटी आधारित चोरी के लिए जानबूझकर किये जाने वाले ऐसे कार्यों में अपनी ओर से सहयोग नहीं देना चाहिए, जिसका उद्देश्‍य अपनी कंपनियों अथवा वाणिज्यिक क्षेत्रों को प्रतिस्‍पर्धा के लिहाज से बढ़त प्रदान करना हो।

आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के खिलाफ एक साथ खड़े होने का संकल्प

दोनों नेताओं ने मानव सभ्यता के खिलाफ बढ़ रहे आतंकवाद को बड़ी चुनौती मानते हुए हाल ही में घटी आतंकवादी घटनाओं की निंदा की। उन्होंने पेरिस से पठानकोट, ब्रुसेल्स से काबुल में हुए हमलों की निंदा की।की। उन्होंने अपने प्रयासों में और तेजी लाने का संकल्प लिया।दोनों नेताओं ने कहा कि हम जैसे अन्य देश मिलकर आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करेंगे। विश्व में कहीं भी जो इसकी संरचना को पनपने का मौका दे रहा है या फिर उसे सहायता देने का काम कर रहा है।

जनवरी 2015 में भारत-अमेरिका के साझा बयान में लिए गए संकल्प के अनुसार 21 वीं शताब्दी में आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत और अमेरिका के रिश्तों को परिभाषित करना है, ठीक वैसा ही सितंबर2015 में दोनों देशों के साझा बयान में घोषणा की गई कि दोनों देश आतंकवाद को परास्त करने के लिए अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे।

नेताओं ने विश्व समुदाय के खिलाफ बड़ी चुनौती बन चुके आतंकवादी संगठन जैसे अल कायदा,जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा, डी कंपनी और इनके सहयोगी संगठन के खिलाफ आपसी सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इस संदर्भ में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आतंकवाद प्रतिरोध को लेकर होने वाली भारत-अमेरिका की संयुक्त कार्यसमूह की बैठक में उन क्षेत्रों को भी चिन्हित करें जहां और भी सहयोग किया जा सकता है।

भारत-अमेरिका की आतंकवाद प्रतिरोध पर साझा प्रयासों को दोनों नेताओं ने सराहा, आतंकवाद से जुड़ी जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान पर सहमति बन जाने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने पाकिस्तान से 2008 में मुंबई हमलों और 2016 में पठानकोट हमलों के दोषियों पर कार्रवाई के लिए कहा

दोनों नेताओं ने अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की व्यापक सभा को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। यह संगठन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग के ढांचे को मजबूत बनाता है।

आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करना 

दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के मजबूत और विस्तार लेते आर्थिक संबंधों का उल्लेख किया। साथ ही आर्थिक विकास के लिए सतत समर्थन और ग्राहकों की मांग व नई नौकरियों का सजन, कौशल विकास और अपने अपने देशों में नई खोज को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाना है।

द्पक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए  सामान और सेवा के निर्बाध प्रवाह के लिए  नए अवसरों को खोजने की बात कही। दोनों अर्थव्यवस्थाओं में नई नौकरियों और संपन्नता को बढ़ाने के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रंखला में एक होकर काम करने की बात कही। भारत में इस साल के अंत में होनेवाली दूसरी वार्षिक रणनीतिक और वाणिज्यिकी वार्ता में इस संबंध में उठाये जाने वाले ठोस कदमों की जानकारी पर भी चर्चा की।

उन्होंने व्यापार नीति फोरम (टीपीएफ) के तहत व्यापार और निवेश के मुद्दों पर हुई वृद्धि की सराहना की और बाद में इस वर्ष होनेवाली अगली TPF के लिए ठोस परिणामों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत की स्मार्ट सिटी कार्यक्रम में अमेरिका की निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी का स्वागत किया।

नेताओं ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के 1.5 अरब लोगों के बीच मजबूत दोस्ती की सराहना की और समृद्ध द्विपक्षीय भागीदारी के लिए अमेरिका ने ठोस नींव प्रदान की है। ध्यान देने योग्य बात है कि पर्यटन,व्यापार, और शिक्षा के लिए दो-जिस तरह से अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई, 2015 में भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका में दस लाख से अधिक यात्री, और ठीक इतनी ही संख्या में अमेरिकाल से भारत के लिए लोगों ने यात्राएं की। दोनों नेताओं ने देशों के बीच पेशेवरों, निवेशकों और व्यापार यात्रियों, छात्रों, के अधिक से अधिक आवाजाही की सुविधा के लिए कईमुद्दों को सुलझाया। आवाजाही को आसान करने के लिए उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय शीघ्र यात्री पहल ( जिसे ग्लोबल प्रवेश कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है) पर समझौता किया और अगले तीन महीनों में भारत के वैश्विक प्रविष्टि कार्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रक्रियाओं को पूरा करने के समझौता पर हस्ताक्षर किया जाएगा।

दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका टोटलाइजेशन समझौते को अगस्त 2015 और जून 2016 में दोनों देशों में फलदाई आदान प्रदान के तत्व को मान्यता दी, इस साल भी यह जारी रहेगी। नई खोज के लिए एक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने और उद्यमियों को सशक्त बनाने के महत्व को स्वीकार करते हुए अमेरिका ने 2017 में ग्लोबल उद्यमिता शिखर सम्मेलन में भारत की मेजबानी का स्वागत किया।

नेताओं ने बौद्धिक संपदा पर उच्च स्तरीय कार्य समूह के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार पर सहयोग का स्वागत किया और क्षेत्र में नई खोज और रचनात्मकता के द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए काम करके बौद्धिक संपदा अधिकार के मुद्दों पर ठोस प्रगति करने के लिए दोनों देशों ने अपनी प्रतिबद्धता की बात कही।

अमेरिका ने एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच में भारत की शामिल होने की  इच्छा का स्वागत किया। भारत एशियाई अर्थव्यवस्था का एक गतिशील हिस्सा है

विज्ञान, तकनीक और स्वास्थय के क्षेत्र में सहयोग

नेताओं ने  विज्ञान के सबसे मौलिक सिद्धांतों की खोज में अपने देशों के आपसी सहयोग की बात कही। भविष्य में भारत में एक लेजर गुरुत्वीय तरंग वेधशाला (LIGO) के निर्माण पर सहयोग करने के लिए सहमति जताई। धन और परियोजना के निरीक्षण के लिए भारत और अमेरिका की संयुक्त निगरानी दल बनाने की योजना का स्वागत किया।

नेताओं ने सितंबर 2016 में वाशिंगटन डी.सी. में होनेवाले हमारे महासागर सम्मेलन में भारत की भागीदारी की बात कही, इस सम्मेलन में भारत पहली बार शामिल हो रहा है। महासागर वार्ता से समुद्री विज्ञान, समुद्र ऊर्जा,प्रबंध और रक्षा सागर जैव विविधता, समुद्री प्रदूषण, और सागर संसाधनों के सतत उपयोग में सहयोग को मजबूत करने की दिशा में मजबूती मिलेगी।

नेताओं ने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंडा और इसके उद्देश्यों के समय पर क्रियान्वयन के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री ने संचालन समूह पर भारत की भूमिका समझी, माइक्रोबियल प्रतिरोध और टीकाकरण के क्षेत्र में अपने नेतृत्व का उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने अमेरिका के समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई , और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एक संयुक्त बाह्य मूल्यांकन साझा करने के लिए प्रतिबद्धता का उल्लेख किया।

नेताओं ने माना कि वैश्विक खतरा बहु दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर-टीबी) से वैश्विक खतरा है, टीबी के क्षेत्र में सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और संबंधित प्रथाओं को साझा करने के लिए भी प्रतिबद्धता प्रकट की।

वैश्विक नेतृत्व

नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र की क्षमता को अधिक प्रभावी ढंग से वैश्विक विकास और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने संकल्प को दोहराया। सितंबर 2015 में सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के ऐतिहासिक एजेंडे और अपनी सार्वभौमिकता को पहचानने के साथ, नेताओं ने इस महत्वाकांक्षी एजेंडा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर को लागू करने और सतत विकास लक्ष्यों के प्रभावी उपलब्धि के लिए एक सहयोगात्मक साझेदारी में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। 

नेताओं ने संशोधित संयुक्त सुरक्षा परिषद के लिए भारत के स्थायी सदस्य के रूप में अपने समर्थन की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद यूएन चार्टर के अनुरूप प्रभावी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) सुरक्षा परिषद सुधार पर अपने प्रयासों की प्रतिबद्धता जताई।

नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पर नेताओं की शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन का स्वागत किया और तीसरे देशों में संयुक्त राष्ट्र शांति क्षमता निर्माण के प्रयासों को मजबूत बनाने के लिए इस वर्ष प्रतिभागियों के लिए नई दिल्ली में में आयोजन किया जाएगा। अफ्रीका के दस देशों से अफ्रीकी भागीदारों के लिए सह आयोजन पहली बार संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोर्स के तहत किया जा रहा है। नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों को मजबूत बनाने के लिए चल रहे सुधार के प्रयासों के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

अफ्रीका के साथ हुए अपने-अपने द्विपक्षीय समझौतों जैसे कि अमेरिकी-अफ्रीकी नेता शिखर सम्‍मेलन और भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्‍मेलन को ध्‍यान में रखते हुए दोनों नेताओं ने यह बात रेखांकित की कि अमेरिका और भारत इस महाद्वीप में समृद्धि एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अफ्रीका में भागीदारों के साथ काम करने में साझा रुचि रखते हैं। दोनों नेताओं ने विभिन्‍न क्षेत्रों में अफ्रीकी भागीदारों के साथ त्रिपक्षीय सहयोग का स्‍वागत किया, जिनमें कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य, ऊर्जा, महिलाओं का सशक्तिकरण और वैश्विक विकास के लिए त्रिपक्षीय सहयोग पर मार्गदर्शक सिद्धांतों के वक्‍तव्‍य के तहत स्‍वच्‍छता भी शामिल हैं। दोनों नेताओं ने अफ्रीका के साथ-साथ एशिया के अलावा अन्‍य क्षेत्रों में भी अमेरिका-भारत वैश्विक विकास सहयोग को बढ़ाने के अवसर मिलने की उम्‍मीद जताई।


दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाना 

दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के देश में अतिरिक्‍त वाणिज्‍य दूतावास खोलने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। भारत सिएटल में एक नया वाणिज्‍य दूतावास खोलेगा। इसी तरह अमेरिका भारत में आपसी सहमति वाले स्‍थान पर एक नया वाणिज्‍य दूतावास खोलेगा।

दोनों नेताओं ने घोषणा की कि अमेरिका और भारत वर्ष् 2017 के लिए यात्रा एवं पर्यटन भागीदार देश होंगे और उन्‍होंने एक-दूसरे के नागरिकों के लिए वीजा को सुविधाजनक बनाने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की।

दोनों देशों के बीच मजबूत शैक्षणिक एवं सांस्‍कृतिक संबंधों का उल्‍लेख करते हुए दोनों नेताओं ने अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीय विद्यार्थियों की बढ़ती संख्‍या का स्‍वागत किया, जो वर्ष 2014-15 में 29 प्रतिशत बढ़कर तकरीबन 133,000 विद्यार्थियों के स्‍तर पर पहुंच गई। दोनों नेताओं ने भारत में पढ़ाई के लिए अमेरिकीविद्यार्थियों को कहीं ज्‍यादा अवसर मिलने की उम्‍मीद जताई। दोनों नेताओं ने वैश्‍वि‍क जलवायु परिवर्तन की साझा चुनौती से निपटने के लिए जलवायु विशेषज्ञों का एक समूह विकसित करने हेतु फुलब्राइट-कलाम जलवायु फेलोशिप के माध्यम से अपनी-अपनी सरकारों के संयुक्त प्रयासों की भी सराहना की। दोनों देशों के ज्‍यादा-से-ज्‍यादा लोगों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के अपने आपसी लक्ष्य का उल्‍लेख करते हुए दोनों नेताओं ने दोनों देशों के नागरिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सुलझाने के लिए नए सिरे से अपने प्रयासों को तेज करने का इरादा व्‍यक्‍त किया जो कानूनी प्रणालियों के दृष्टिकोण में अंतर के कारण उभर कर सामने आते हैं। इनमें सीमा पार विवाह, तलाक और बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत की प्राचीनकालीन वस्‍तुओं को स्वदेश वापस भेजे जाने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने सांस्‍कृतिक वस्‍तुओं की चोरी एवं तस्‍करी की समस्‍या से निपटने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने की भी प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने शालीन निमंत्रण और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए राष्‍ट्रपति ओबामा का धन्‍यवाद किया। उन्‍होंने राष्‍ट्रपति ओबामा को अपनी सुविधानुसार भारत आने का निमंत्रण दिया।

भारत और अमेरिका के साइबर संबंध की रूपरेखा पर तथ्‍य पत्र

भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध में साइबर मुद्दों पर सहयोग एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा है। दोनों देशों के बीच सामरिक साइबर संबंध हैं जिसमें दोनों देशों के साझा मूल्‍य, समान दृष्टिकोण और साइबर स्‍पेस के लिए साझा सिद्धांत प्रतिबिंबित होते हैं। दोनों पक्ष व्‍यापक स्‍तर पर सहयोग को साइबर क्षेत्र में बढ़ाने तथा इसे सांस्‍थनिक बनाने के मूल्‍यों को मानते हैं। इस संदर्भ में दोनों पक्ष निम्‍नलिखित साझा सिद्धांतों के आधार पर एक ढांचे को पूरा करने का इरादा रखते हैं।

भारत-अमेरिका साइबर संबंध के साझा सिद्धांतों में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

• स्‍पष्‍ट, अंत:प्रचालनीय,सुरक्षित और विश्‍वसनीय साइबरस्‍पेस माहौल के लिए वचनबद्धता

• व्‍यापार , वाणिज्‍य और आर्थिक विकास तथा नवाचार के लिए इंटरनेट को इंजन के रूप में बढ़ावा देने की वचनबद्धता

• स्‍वतंत्र सूचना प्रवाह को बढ़ावा देने की वचनबद्धता

• साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध के मामले में निजी तथा सरकारी अधिकारियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की वचनबद्धता

• साइबर खतरों से मुकाबला करने तथा साइबर सुरक्षा को प्रोत्‍साहन देने के महत्‍व और द्विपक्षीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग को मान्‍यता प्रदान करना

• सांस्‍कृतिक एवं भाषाई विविधता का आदर करना

• एक ऐसी रूपरेखा के माध्‍यम से अंतर्राष्‍ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने की वचनबद्धता जो साइबरस्‍पेस के क्षेत्र में किसी राष्‍ट्र के आचरण और साइबरस्‍पेस के क्षेत्र में उसके उत्‍तरदायी व्‍यवहार के स्‍वैच्छिक मानदंडों को बढ़ावा देने पर अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनों खासकर संयुक्‍त राष्‍ट्र चार्टर के अमल को मान्‍यता देती हो

• इंटरनेट संचालन के बहु हितधारकों वाले मॉडल के प्रति वचनबद्धता जो अपने हितधारकों तथा सरकार सहित, सिविल सोसाइटी और निजी क्षेत्र के प्रति पारदर्शी और उत्‍तरदायी हो तथा इनके बीच सहयोग को प्रोत्‍साहित करे

राष्‍ट्रीय सुरक्षा से संबंधित साइबर सुरक्षा मामलों में सरकार की प्रमुख भूमिका को मान्‍यता

• साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण सहयोग तथा शोध एवं विकास के महत्‍व को मान्‍यता देना तथा महत्‍व के प्रति साझा वचनबद्धता

• दोनों देशों के बीच साइबर अपराध से मुकाबले के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच गहरे सहयोग को बढ़ावा देने की वचनबद्धता

• ऑनलाइन मौलिक स्‍वतंत्रता, मानवाधिकारों के प्रति आदर और इन्‍हें बढ़ावा देने के प्रति वचनबद्धता

• महत्‍वपूर्ण सूचना तंत्र की सुरक्षा और इसके लचीलेपन को मजबूत करने में सहयोग का इरादा। इन साझा सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में दोनों पक्षों के बीच सहयोग के मुख्‍य क्षेत्रों में निम्‍नलिखित अपेक्षित हैं: -साइबर सुरक्षा की सर्वश्रेष्‍ठ कार्यकुशलता की पहचान, सहयोग,साझा करना तथा इनका क्रियान्‍वयन

-दुर्भावनापूर्ण साइबर सुरक्षा के खतरे, आक्रमण की गतिविधियों के समय जब मौजूदा द्विपक्षीय व्‍यवस्‍था को दृढ़ता से लागू करना हो तो वास्‍तविक समय या इसके आसपास की सूचना को साझा करना तथा सूचना के आदान-प्रदान में सुधार के लिए समुचित तंत्र की स्‍थापना करना

-आईसीटी संरचनाओं तथा अंतर्राष्‍ट्रीय एवं घरेलू कानूनों के तहत इन संरचनाओं की सूचनाओं के प्रति दृढ़ता की सुरक्षा और साइबर खतरे को कम करने तथा व्‍यावहारिक सहयोग के लिए संयुक्‍त तंत्र का विकास करना

-साइबर सुरक्षा से संबंधित शोध एवं विकास, साइबर सुरक्षा मानक और मान्‍यता देने की प्रक्रिया सहित सुरक्षा जांच संबंधी ऐसे विषयों पर आगे की सलाह –मशविरा करने सहित साइबर सुरक्षा उत्‍पादों के विकास के क्षेत्र में बढ़ावा देने में सहयोग करना

-पारस्‍परिक एवं स्‍वैच्छिक आधार पर आईसीटी संरचनाओं की सुरक्षा में योगदान देने वाले व्‍यावहारिक उपायों का क्रियान्‍वयन तथा इनकी विस्‍तृत चर्चा

• साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को निरंतर बढ़ाना। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं,वार्तालाप,कार्यविधि और कार्यप्रणाली में बढ़ोतरी करना और आवश्यकता होने पर परामर्श करना सम्मिलित हैं

• संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता में वृद्धि करना। इसमें अमेरिका और भारत के संबंधित कानूनों और नियमों के अनुरूप इलेक्ट्रॉनिक सबूतों हेतु उचित अनुरोध के लिए मसौदा तैयार करना भी सम्मिलित है

• साइबर सुरक्षा,साइबर अपराधों पर रोकथाम संबंधी प्रयासों,डिजिटल न्यायिक और कानूनी रूपरेखा के क्षेत्र में संयुक्त रूप से कौशल विकास और क्षमता विकास कार्यक्रमों की शुरुआत करना

• साइबरस्पेस में राष्ट्रों के मार्गदर्शन के लिए अंर्तराष्ट्रीय कानूनों की प्रासंगिकता को प्रोत्साहन प्रदान करना और साइबरस्पेस में राष्ट्रों पर इसे लागू करने की ओर खोज करना

• शांतिकाल में राष्ट्रों के उत्तरदायी व्यवहार के लिए स्वैच्छिक मानकों को प्रोत्साहन प्रदान करना। इसमें अंर्तराष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में सूचना और दूरसंचार के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के सरकारी विशेषज्ञ दल द्वारा चिन्हित किए गए मानक भी सम्मिलित हैं।

स्वैच्छिक नियमों के प्रति प्रतिबद्धता जिसके अंतर्गत

• दोनों राष्ट्र किसी भी ऐसी ऑनलाइन गतिविधि का संचालन या जानबूझकर समर्थन नहीं करेंगे जिससे जानबूझकर महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचे को नुकसान पहुंचे या अन्य किसी रूप में नागरिकों को सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचे के उपयोग में नुकसान पहुंचे

• दोनों राष्ट्र साइबर घटनाओं की प्रतिक्रिया में राष्ट्रीय सीएसआईआरटी को रोकने संबंधी किसी भी गतिविधि का संचालन या जानबूझकर सहयोग गतिविधि नहीं करेंगे। दोनों राष्ट्र हानिकारक ऑनलाइन गतिविधि के लिए सीएसआईआरटी का उपयोग भी नहीं करेंगे

• दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के क्षेत्र से साइबर अपराधों की जांच, इलेक्ट्रॅानिक सबूतों को एकत्र करने और एक- दूसरे के क्षेत्र से होने वाली दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि की गंभीरता को कम करने में सहयोग के अनुरोध पर एक-दूसरे के साथ अपने घरेलू अधिनियमों और अंर्तराष्ट्रीय अनुग्रहों के अनुरूप आपसी सहयोग करेंगे

• दोनों राष्ट्र बौद्धिक संपदा की आईसीटी आधारित चोरी का संचालन या जानबूझकर सहयोग नहीं करेंगे। इसमें कंपनियों या व्यावसायिक क्षेत्र को प्रतिर्स्पधात्मक लाभ देने के उद्देश्य से व्यापारिक राज और अन्य गोपनीय व्यापारिक सूचना आदि सम्मिलित हैं

• कंपनियों की आधिकारिक मान्यता सहित दूरसंचार सुरक्षा संबंधी मुद्दों जैसे दूरसंचार उपकरण सुरक्षा मानकों और परीक्षण में पारस्परिक सहयोग करना

• अंतर्राष्ट्रीय साइबर स्थिरता और साइबर गतिविधि को अस्थिर करने में साझा और सहभागी तालमेल का विकास करना

• आईसीटी उत्पादों और सेवाओं की सुरक्षा में प्रयोगकर्ता के विश्वास में वृद्धि के लिए आपूर्ति श्रृंखला के एकीकरण को समर्थन देने के लिए रणनीति पर विचार-विमर्श करना और साझा करना

• घटना पर प्रतिक्रिया संबंधी सर्वश्रेष्‍ठ अभ्‍यास पर वार्ता को बढ़ावा देने का क्रम जारी रखना

• विशिष्‍ट सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए साइबर सुरक्षा के परिदृश्‍य की प्राथमिकता को शामिल करते हुए संयुक्‍त टेबलटॉप अभ्‍यास की सुविधा मुहैया कराना

• इंटरनेट संचालन प्रणाली के बहु हितधारकों वाले मॉडल को समर्थन देना

• आईसीएएनएन, आईजीएफ और अन्‍य संस्‍थाओं सहित इंटरनेट संचालन प्रणाली मंचों से हमारी वार्ता और उनकी सहभागिता तथा दोनों देशों के इन मंचों की सक्रिय भागीदारी को समर्थन देना

• अंतर्राष्‍ट्रीय साइबर अपराध के क्षेत्र में प्रभावी सहयोग के लिए परामर्श करना तथा कदम उठाना

• भारत में महत्‍वपूर्ण इंटरनेट संरचनाओं को मजबूत करना

• दोनों देशों द्वारा नियंत्रण की चाहत वाली तकनीक के दोहरे उपयोग सहित तकनीक पहुंच नीति की साझा समझ सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय उच्‍च तकनीक सहयोग समूह के माध्‍यम से काम करना

• भारत-अमेरिका साइबर संबंध की पूर्ण रूपरेखा पर 60 दिनों के भीतर हस्‍ताक्षर होने की उम्‍मीद है।