श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में एएनआई को दिये साक्षात्कार में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के महत्व और व्यापक नीति पर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया जो कि देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दे।
भाजपा द्वारा ‘मस्क्यलर विदेश नीति’ (muscular foreign policy) अपनाने की संभावना के बारे में सवाल के जवाब में मोदी ने कहा, ‘‘मैं ‘‘मस्क्यलर विदेश नीति’’ का मतलब नहीं समझता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कभी ऐसा शब्द नहीं सुना है। अंतरराष्ट्रीय संबंध पारस्परिक समझ और पारस्परिक सहयोग पर आधारित हैं और मैं नहीं समझता कि दुनिया में किसी भी जगह और खासकर इस 21वीं सदी में ‘मस्क्यलर राजनीति’ चल सकती है। भले यह देशों के बीच हो या किसी लोकतंत्र में मस्क्यलर राजनीति का कोई स्थान नहीं है। जहां तक भारत का सवाल है तो हमारी वशुधैव कुटम्बकम- पूरा संसार एक परिवार है- की सांस्कृतिक विरासत रही है और हम इस विचार का समर्थन नहीं करते। मेरा दृढ़ विश्वास है कि भविष्य में सिर्फ सहयोग ही कारगर हो सकता है जहां हम मानवीय उद्देश्य के लिए कार्य करें और गरीब की मदद के लिए प्रयास करें। पूरी दुनिया में प्रत्येक का मोटो आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता होना चाहिए।’’
‘पूर्वोन्मुखी नीति’ पर जोर देने के बारे में पूछे जाने पर श्री मोदी ने कहा कि ‘पूर्व की ओर देखने’ का मतलब ‘पश्चिम को नजरंदाज करना’ नहीं है। ‘‘पूरी दुनिया यह स्वीकार चुकी है कि 21वीं सदी एशिया की होगी और दुनिया के पूर्वी भाग के प्रति सक्रिय नीति रखना प्रत्येक देश का कर्तव्य है। यह हकीकत है कि भविष्य दुनिया के पूर्वी भाग के देशों के साथ है। अगर मेरा विजन भविष्य पर केंद्रित है तो इसका मतलब यह नहीं कि मुझे पश्चिम की उपेक्षा करनी पड़े। मैं दुनिया के छोटे से छोटे देश को भी कैसे नजरंदाज कर सकता हूं। मेरा मानना है कि भविष्य में दुनियाभर में भारत के प्रति रुख काफी ऊंचा होगा।’’
श्री मोदी ने सिंगापुर सरकार खासकर सिंगापुर के वरिष्ठ नेता श्री गोह चोक तोंग के साथ नजदीकी रिश्तों का जिक्र भी किया और बताया कि किस तरह सिंगापुर ने वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन में साझेदारी की। श्री मोदी ने कहा, ‘‘हम न सिर्फ सिंगापुर के लोगों के बेहद निकट हैं बल्कि सिंगापुर के सरकारी तंत्र और अधिकारियों के साथ भी निकट से जुड़े हैं और मुझे भरोसा है कि सिंगापुर और भारत साथ मिलकर कई चीजें कर सकते हैं। अगर हम अपने देश में शहरी विकास करना चाहते हैं तो सिंगापुर हमारे लिए एक मॉडल हो सकता है।’’