वैश्विक व्यापार में मंदी प्रमुख चिंता का विषय है। वैश्विक आर्थिक विकास में तेजी लाने के प्रयास से व्यापार में मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री
वैश्विक मूल्य श्रृंखला में छोटे और मध्यम उद्यमों की भूमिका बढ़ाने से वैश्विक रोजगार को विस्तृत करने में मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री मोदी
ऊर्जा, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था परस्पर जुड़े हुए हैं। भारत उर्जा की अपनी ज़रूरतों को हर संभव स्थायी तरीके से पूरा करेगा: प्रधानमंत्री
हमने 2022 तक 175 गीगावॉट अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया है: प्रधानमंत्री मोदी
हमने 2030 तक 40% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन के माध्यम से उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है: प्रधानमंत्री मोदी

महामहिम,

वैश्विक व्यापार में मंदी चिंता का एक प्रमुख कारण है। मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिवेश में व्यापार की गति में सुधार की संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं। वैश्विक आर्थिक वृद्धि को तेज करने के प्रयासों से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक पारदर्शी, न्यायसंगत, भेदभाव रहित और नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली आवश्यक है।

दोहा विकास दौर के लक्ष्यों को हासिल किया जाना बहुत जरूरी है। बाली पैकेज के सभी तत्वों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। हम दिसंबर में नैरोबी बैठक में एक सफल परिणाम के लिए तत्पर हैं।

क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को वैश्विक व्यापार प्रणाली के विखंडन का कारण नहीं बनना चाहिए और एक अधिक उदार बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करना चाहिए।

वैश्विक मूल्यांकन श्रृंखला में छोटे और मध्यम उद्यमों की भूमिका बढ़ाने से वैश्विक रोजगार का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

संतुलित और निरंतर वैश्विक आर्थिक विकास के लिए भी श्रम गतिशीलता और कौशल पोर्टेबिलिटी में वृद्धि करने की जरूरत है।

ऊर्जा को महत्व देने के साथ ही, तीन बुनियादी चुनौतियों भी हैं: विकासशील देशों में बिजली के विकास के लिए ऊर्जा, बिजली के बिना रहने वाले लाखों करोड़ों लोगों की जरूरतों को पूरा करना और स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि।

ऊर्जा, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था गहराई से एक-दूसरे से जुड़े हैं।

यही वजह है कि भारत जितना संभव हो सके अपनी विशाल और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को स्थायी तरीके से पूरा करने का इरादा रखता है।

भारत ने अक्ष्य ऊर्जा के उत्पादन में अतिरिक्त 175 गीगावॉट का लक्ष्य रखा है। जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की है और कोयले पर कार्बन उपकर लगाया है। हम स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं। हमारी परमाणु ऊर्जा के लिए एक महत्वाकांक्षी विस्तार योजना है। हमने 2030 तक अपनी ऊर्जा का 40 प्रतिशत गैर जीवाश्म ईंधन के माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।

अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और सहयोग हम इस लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होंगे।

जी 20 के रूप में हमें कई उपायों को बढ़ावा देने की जरूरत है:

• स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि। इसकी लागत में कमी लाना और इसे सभी के लिए सस्ती और सुलभ बनाना।

• स्वच्छ ऊर्जा के लिए वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में विस्तार कर इसके उपयोग और गति में वृद्धि करना।

• स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और कोयला से गैस में परिवर्तन के अनुसंधान के प्रयासों पर ध्यान देना।

• प्रसार प्रतिरोधी परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी का विकास करना।

• ऊर्जा दक्षता और नियंत्रित ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि करना।

• एकीकृत वैश्विक गैस बाजार को बढ़ावा देना।

• ऊर्जा के लिए वैश्विक शासन संरचना में प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को बात रखने का ज्यादा अवसर देना।

ये हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे। जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार होंगे और बड़ी संख्या में आर्थिक अवसर पैदा करेंगे।