"कॉंग्रेस ने १०० दिनों में महँगाई पर नियंत्रण का वादा किया था, लेकिन क्या उन्होंने अपने वादों को पूरा किया? जनता के विश्वायस को चकनाचूर करने वालों पर भरोसा मत कीजिए

अगर वाजपेयी जी और मोरारजी देसाई की सरकारों ने महँगाई पर लगाम कसी, तो हम क्यों नहीं कस सकते? २०१४ में भाजपा की सरकार ज़रूर ऐसा कर दिखाएगी, यह मेरा आश्वायसन है!’’

- नरेन्द्र मोदी

कॉंग्रेस के नेतृत्व की यूपीए सरकार के कार्यकाल में भारत भारी महँगाई से जूझ रहा है. इसका मुख्य कारण है गलत नीतियॉं अपनाना और बढ़ती कीमतों की चुनौती का सामना करने की ओर उचित योजनाओं का अभाव. पिछले १० वर्षों में महँगाई ने सभी पुराने रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन यूपीए सरकार बढ़ती कीमतों से राहत दिलाने में नाकाम रही है.

महँगाई की समस्या का सामना करने का प्रयास करने की जगह, कॉंग्रेस के नेताओं हमेशा बढ़ती महँगाई को लेकर गरीबों का मज़ाक उड़ाया है.

देखिए नरेन्द्र मोदी को बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर भारत की आवाज़ बुलन्द करते हुए:

हालांकि मौजूदा हालात में महँगाई की समस्या अटल दिखाई देती है, फिर भी इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने बढ़ती महँगाई के दौर में भी सफलतापूर्वक महँगाई की समस्या का सामना किया था और इसे काफी हद तक नियंत्रित रखा था. नीचे दर्शायी गयी उपभोक्ता मूल्य सूची की वक्र रेखा इस बात की गवाही देती है:

It's time to defeat inflation, It's time to defeat Congress

इस स्थिति से जुड़ी एक और समस्या है खाने की चीज़ों की लगातार बढ़ती कीमतें. २००३-०४ में एनडीए सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर खाद्य सामग्री की महँगाई ४% थी, जो २०१३-१४ में बढ़कर ९.५% हो गयी है.

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कई बार इन आँकड़ों से भी आम आदमी के गले पर महँगाई के फंदे की तकलीफ पूरी तरह उजागर नहीं हो पाती. पिछले दस वर्षों में महत्वपूर्ण चीज़ों की कीमतें लगातार कई गुना बढ़ी हैं, और आम आदमी के लिए गुज़ारा कर पाना मुश्किल होता जा रहा है.

पिछले १० वर्षों के दौरान पेट्रोल की कीमतों में ११५%, डीज़ल की कीमतों में १५५% की वृद्धि हुई है जबकि एलपीजी सिलिंडरों की कीमत ४१४% बढ़ गयी है. इसी प्रकार पिछले १० वर्षों में करेला २४८% और भिंडी २७४% ज़्यादा महँगी हो गयी है.

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बढ़ती कीमतों के हाहाकार का सामना करने के लिए प्रधान मंत्री ने उपभोक्ता कार्यक्षेत्र में एक कार्यकारी मंडल का गठन किया, जिसने २०११ में अपनी रिपोर्ट जमा की. इस समिति का नेतृत्व गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों द्वारा किया गया.

श्री मोदी के नेतृत्व में इस समिति ने बाज़ार में संतुलन बनाए रखने, महँगाई दर को नियंत्रित रखने और किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए ६४ कार्यकारी मुद्दों के साथ २० सुझाव प्रस्तुत किए.

इस रिपोर्ट में दिए गए मुख्य मुद्दे इस प्रकार थे:

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लेकिन दुर्भाग्यवश महँगाई पर नियंत्रण की इच्छा के अभाव में यह रिपोर्ट आज भी काग़ज़ के पुलिंदे के रूप में ही पड़ी है.

महत्वपूर्ण उपयोगी वस्तुओं की अधिप्राप्ति और वितरण प्रणाली में एफसीआइ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए नरेन्द्र मोदी ने हमेशा अधिप्राप्ति, भंडारण और वितरण के कार्यों के लिए एफसीआइ की प्रक्रियाओं को अलग करने का सुझाव दिया है.

नरेन्द्र मोदी ने अक्सर बढ़ती कीमतों के रूप में उभर कर आने वाली अभाव की समस्या पर नियंत्रण के लिए उत्पादन और आपूर्ति पर वास्तविक समय में देख-रेख का भी सुझाव दिया है.

देखिए कि १०० दिनों में बढ़ती कीमतों से छुटकारा दिलाने का वादा करके कॉंग्रेस ने कैसे देश को धोखा दिया है:

इसलिए, स्पष्ट है कि महँगाई कम करने के मुद्दे पर कॉंग्रेस पर अब और भरोसा नहीं किया जा सकता. आइए नरेन्द्र मोदी को एक मौका दें, क्योंकि सिर्फ उन्हीं के पास है महँगाई कम करने की योजना, नज़रिया और सबसे महत्वपूर्ण, महँगाई कम करने की इच्छा.

इसलिए, अबकी बार, मोदी सरकार.