मोदी और कैमरन ने भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़ते और मजबूत होते संबंधों एवं इसकी व्यापकता पर जोर दिया
ब्रिटेन और भारत साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री स्तर के द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन कराने के लिए सहमत
भारत और ब्रिटेन एक नए रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी पर सहमत
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता के लिए ब्रिटेन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की
भारत और ब्रिटेन ने सभी प्रकार के आतंकवाद और इससे जुड़ी अभिव्यक्तियों की निंदा की
प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने 2015 भारत-ब्रिटेन साइबर वार्ता में हुई प्रगति की सराहना की
भारत और ब्रिटेन अपने तकनीकी, कानून प्रवर्तन, साइबर अनुसंधान एवं विकास, साइबर सुरक्षा मानकों में सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत
भारत और ब्रिटेन साइबर सुरक्षा के सभी पहलुओं का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सहमत
ब्रिटेन और भारत व्यापार और निवेश के अवसरों को पर्याप्त रूप से बढ़ाने के लिए एक साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का स्वागत किया
भारत और ब्रिटेन ने 9 अरब पाउंड के समझौते किये
दोनों प्रधानमंत्री ने भारत के शहरी विकास लक्ष्यों के समर्थन हेतु इंदौर, पुणे और अमरावती के साथ 3 ब्रिटेन-भारत शहरी भागीदारी की घोषणा की
नई ब्रिटेन-भारत कौशल संकल्प के तहत ब्रिटेन की 11 कंपनियां भारत में कौशल विकास का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध
2016 शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार की दृष्टि से ब्रिटेन और भारत का वर्ष होगा

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरन की 12-13 नवंबर को लंदन में भेंट हुई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और यूके के बीच संबंधों के और प्रगाढ़ एवं सुदृढ़ होने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने जोर दिया कि ब्रिटिश और भारतीय लोगों की समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत और यूके के बीच मजबूत संबंधों की अहम भूमिका है। भारत की आर्थिक प्रगति और इसका विश्व शक्ति के रूप में उभरना इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने का बेहतर मौका उपलब्ध कराता है जिससे आर्थिक प्रगति, सबके विकास के लक्ष्य, सिद्धान्तों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को विकसित और सशक्त बनाने और वैश्विक खतरों का सामना करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस अवसर पर एक विज़न स्टेटमेंट की भी पुष्टि की जो उन मौलिक सिद्धांतों की रूपरेखा तय करता है जिन पर भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच साझेदारी आधारित है साथ ही ये द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने की योजना को भी रेखांकित करता है। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच एक नयी रक्षा और विश्व सुरक्षा सहभागिता पर भी सहमति बनी जो रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और आगे ले जायेगी इसमें साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला और नौवहन सुरक्षा के क्षेत्र भी शामिल हैं। 

जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिये किफायती, सुरक्षित और सतत आपूर्ति वाली ऊर्जा को बढ़ावा देना भारत और यूनाइटेड किंगडम के लिये अहम प्राथमिकता है इस बात को ध्यान में रखते हुये दोनों देश ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर एक संयुक्त वक्तव्य को समर्थन देने पर भी राजी हुये।

दोनों प्रधानमंत्री द्विपक्षीय सहयोग को और विकसित कर "अन्य देशों में सहयोग के आशय के एक वक्तव्य" के जरिये विकास के लिये एक विश्व भागीदारी विकसित करने पर भी सहमत हुये ताकि अन्य देशों के विकास की चुनौतियों में उनकी मदद कर सकें जो कि पूरी तरह से उन देशों की मांग पर आधारित होगी।

एक वैश्विक सहभागिता

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात का भी जिक्र किया कि एक बेहद जटिल और तकनीक से जुड़े विश्व में अहम मुद्दों पर मौजूदा साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाना समृद्धि और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से बेहद अहम है।

वे इस बात पर भी सहमत हुए कि मौजूदा समृद्धि और सुरक्षा एक ऐसी नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर निर्भर है जिसे व्यापक मान्यता मिली हुई है और जिसे सदैव लागू किया जाता रहा है। साथ ही इस बात पर भी कि 70 साल पहले बनायी गयी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ने रूपान्तकारी विकास के लिये स्थान बनाने में अहम भूमिका निभायी है। 

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिलाने के लिये उसके सुधार और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भारत को अहम भूमिका दिलवाने के लिये उनके देश की प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने उनके लिये जी20 समूह की अहमियत पर भी जोर दिया। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के एक अहम मंच के तौर पर जी20 समूह की पूर्ण संभावनाओं को साकार करने और समूह के शिखर सम्मेलनों को सफल बनाने के लिये दोनों देशों ने आपस में और अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने पर भी सहमति जतायी।

एशिया और हिंद महासागर में स्थिरता और समृद्धि में यूनाइटेड किंगडम और भारत के साझा हित हैं।  विश्व में भारत की रणनीतिक स्थिति और दक्षिण एशिया में उसके हित को देखते हुये दोनों प्रधानमंत्रियों ने वरिष्ठ अधिकारियों के दक्षिण एशिया के लिये एक वार्षिक वार्तालाप के जरिये मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ और व्यापक बनाने का फैसला लिया, इस वार्तालाप में आतंकवाद, संपर्क, और नौवहन जैसे मुद्दों को भी शामिल किया जायेगा।

दोनों नेताओं ने सभी तरह के आतंकवाद की भर्त्सना करते हुये अपने अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों पर नियमित और गहन संवाद बनाये रखने का निर्देश दिया। उन्होंने पाकिस्तान से नवंबर 2008 में मुंबई पर हुये आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिये जाने की अपनी अपील को दोहराया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने नेपाल में एक ऐसे स्थायी और सभी को साथ लेकर चलने वाले संवैधानिक हल के महत्व पर जोर दिया जिससे राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के साथ मौजूदा चिंताओं का भी समाधान हो।

उन्होंने आशा जतायी कि नेपाल में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्राधिकरण शीघ्र काम करना आरंभ करेगा जिससे भूकंप से हुये नुकसान के बाद नेपाल का पुनर्निमाण किया जा सके। उन्होंने यह भी आशा जतायी कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ताजा प्रस्ताव के बाद श्री लंका अपने सभी नागरिकों को स्थायी शांति और समृद्धि उपलब्ध करा सकेगा साथ ही उन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये श्री लंका सरकार के साथ मिलकर काम करने के अपने संकल्प पर भी जोर दिया। उन्होंने मालदीव में एक स्थिर और सबको साथ लेकर चलने वाले लोकतंत्र और स्वतंत्र न्यायपालिका के महत्व पर भी जोर दिया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और संयुक्त अफ़ग़ानिस्तान के सफल और सुरक्षित भविष्य के दोनों देशों के साझा संकल्प और समर्थन पर भी बल दिया। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के लिये एक ऐसी स्थायी और समावेशी राजनीतिक व्यवस्था के महत्व पर बल दिया जो पिछले दशक की उपलब्धियों को मजबूत बनाने के साथ ही इस प्रगति को पलटना असंभव बना सके।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इराक और सीरिया में समावेशी राजनीतिक हल की आवश्यकता पर बल देने के साथ ही ऐसे नृशंस संघर्ष से पीड़ित लोगों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया। उन्होंने पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व के लिये वरिष्ठ अधिकारियों की नियमित बातचीत पर सहमति जताते हुये इसे दोनों देशों की प्राथमिकता बताया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ऐतिहासिक समझौते का स्वागत करते हुये इसे तत्काल और पूर्ण रूप से लागू करने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प का जिक्र किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर भी सहमति जतायी कि पूर्वी यूक्रेन में संकट को हल करने का एकमात्र तरीका सभी पक्षों द्वारा मिंस्क समझौते का पूरी तरह से पालन करना ही है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2015 के बाद के विकास एजेण्डे 'अपनी दुनिया को बदलना': 2030 के लिये स्थायी विकास के एजेण्डे को अपनाये जाने का स्वागत किया और साथ ही इसे लागू करने के लिये अपना समर्थन दिया। उन्होंने माना कि 2030 के लिये नये एजेण्डे और स्थायी विकास के लक्ष्यों का सबसे अहम उद्देश्य गरीबी उन्मूलन ही है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-यूके साइबर वार्तालाप 2015 में हुई प्रगति पर संतोष जताया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा सूचना आधारित समाज के विश्व शिखर सम्मेलन में जारी समीक्षा का स्वागत करते हुये एक स्वतंत्र, समावेशी, पारदर्शी और बहु-पक्षीय व्यवस्था पर आधारित इंटरनेट नियमन व्यवस्था का समर्थन किया। उन्होंने साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध से मुकाबले और साइबर जगत में अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लागू करने और देशों द्वारा जिम्मेदारी भरे आचरण को सुनिश्चित करने के लिये उन्नत एवं स्वैच्छिक नियमों के निर्माण के लिये मिलकर काम करने की योजना भी बनायी।

उन्होंने दोनों देशों के तकनीकी, कानून प्रवर्तन, साइबर शोध, साइबर सुरक्षा मानक एवं परीक्षण और क्षमता निर्माण करने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति जतायी। उन्होंने इसके लिये साइबर सुरक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने पर भी दोनों प्रधानमंत्री सहमत हुये। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र के सरकारी विशेषज्ञों की वर्ष 2015 की रिपोर्ट का स्वागत किया और साथ ही साइबर जगत में राष्ट्रों के आचरण के सिद्धान्तों पर आम सहमति की भी मांग की। उन्होंने भारत और यूके के बीच इन क्षेत्रों में भविष्य में सहयोग बढ़ाये जाने की जरूरत का जिक्र किया। 

दोनों प्रधानमंत्रियों ने राष्ट्रमण्डल की प्रासंगिकता बनाये रखने, इसकी संभावनाओं को हासिल करने और इसे अपने नागरिकों की समृद्धि, विकास और उनके लिये इस संस्था को प्रासंगिक बनाये रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने पर्यावरण संरक्षण और विविधतापूर्ण पारिस्थिकीय तंत्र को बनाये रखने के महत्व पर बल दिया, साथ ही उन्होंने माना कि वन्य जीव जंतुओं के अवैध व्यापार में लिप्त अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। उन्होंने वन्य जीव जंतुओं के अवैध व्यापार से संयुक्त रूप से लड़ने और एशिया के जंगली और पालतू हाथियों की सुरक्षा बढ़ाने का संकल्प लिया। भारत ने वन्य जीव जंतुओं के अवैध व्यापार पर लंदन घोषणा और कासाने वक्तव्य को अपना समर्थन दिया।

आर्थिक विकास और वित्त

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और यूके में आर्थिक परिदृश्य के मजबूत होने का स्वागत किया लेकिन इस बात पर भी चिंता जतायी कि वैश्विक आर्थिक विकास अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रहा है और विश्व आर्थिक परिदृश्य को खतरे बढ़े हैं।

वे सशक्त, स्थायी और संतुलित विकास को हासिल करने के लिये मिलकर काम करने पर भी सहमत हुये साथ ही जीवन स्तर सुधारने के लिये ढांचागत सुधार और भरोसा बढ़ाने वाली वाली वित्तीय नीतियों को लागू करने के लिये भी।

उन्होंने भारत और यूके के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों की प्रशंसा की। यूके में भारत का निवेश यूरोपीय संघ में भारत के सकल निवेश से भी ज्यादा है और भारत में निवेश करने वाले जी20 देशों में यूके सबसे बड़ा निवेशक है।

दोनों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों के जरिये आर्थिक संबंधों को और सशक्त बनाने के लिये प्रतिबद्धता दर्शायी साथ ही ये भी तय किया कि भारत के वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली और यूके के चॉन्सलर ऑफ एक्सचेकर श्री जॉर्ज ओसबोर्न इन संबंधों को भविष्य में होने वाले आर्थिक और वित्तीय बातचीत के जरिये और आगे ले जायेंगे।

यूके और भारत व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने के लिये साथ मिलकर काम करने के लिये प्रतिबद्ध है। दोनों सरकारों ने यूके और भारत में विकास और समृद्धि को बढ़ाने में सूचना तकनीक और डिजिटल उद्योगों के योगदान और विशेष महत्व पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने वस्तु और सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को और प्रगाढ़ और सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता जतायी। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में कुशल कामगारों के योगदान को मानते हुये दोनों पक्ष मान्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप कुशल कामगारों के अल्पकालिक प्रवजन को सरल बनाने पर भी सहमत हुये।

दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर भी सहमत हुये लंदन सिटी भारत के आधारभूत ढांचा क्षेत्र, जिसमें रेलवेज भी शामिल है, में निवेश बढ़ाने में अहम भूमिका निभायेगी साथ ही एक ऐसी रणनीतिक साझेदारी की बुनियाद भी रखेगी जिससे भारत के निरंतर तीव्र विकास में वित्तीय संसाधनों के प्रयोग में लंदन सिटी की विशेषज्ञता का प्रयोग किया जा सके। इस संबंध में उन्होंने एचडीएफसी, भारती एयरटेल, भारतीय स्टेट बैंक और यस बैंक की लंदन सिटी के जरिये पूंजी जुटाने की घोषणा का स्वागत किया जो भारत के निजी क्षेत्र को निवेश और विकास के अवसर उपलब्ध करायेगी।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत के अहम आधारभूत ढांचा निर्माण कार्यक्रम - राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा निवेश फण्ड (NIIF) - के लिये भारत और यूके के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी का स्वागत किया और NIIF के तहत भारत-यूके साझेदारी फण्ड की स्थापना की घोषणा की। इस सहयोग से भारत के तीव्र विकास के लिये सिटी ऑफ लंदन के जरिये भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने में दोनों देशों के उद्योगपतियों की भूमिका का स्वागत किया। उन्होंने आशा जतायी कि दोनों देशों की वित्तीय सेवाओं के बीच साझेदारी बढ़ाने के नये प्रस्ताव आगे आयेंगे। कैरियर के बीच में उच्च शिक्षा के लिये यूके में पढ़ने की इच्छा रखने वाले प्रोफेशनल्स के लिये स्टैण्डर्ड एवं चॉर्टर्ड द्वारा प्रायोजित एक नये शेवनिंग वित्तीय सेवा कोर्स के निर्माण का दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वागत किया। दोनों देशों में आर्थिक नीतियों के निर्धारण में सहयोग के लिये दोनों देशों की वित्तीय सेवाओं के बीच पहले आदान-प्रदान कार्यक्रम की घोषणा का भी उन्होंने स्वागत किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि आर्थिक और समावेशी विकास के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि न केवल भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिये अहम है बल्कि दुनिया के लिये प्रेरणादायक और विश्व लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने माना कि विकास से संबंधित विचारों के क्षेत्र में दोनों देश नेतृत्वकारी भूमिका रखते हैं, साथ ही दोनों प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच अधिकारी स्तर की वार्ता को विकास पर द्विवर्षीय मंत्रिस्तरीय वार्ता में बदलने पर भी राजी हुये।  

दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्थायी विकास के लिये बुनियादी ढांचा क्षेत्र के महत्व को स्वीकारते हुये भारतीय स्टेट बैंक और यूके के अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग के संयुक्त निवेश से भारत की सर्वप्रथम कम आय वाले राज्यों के लिये आधारभूत पूंजी साझेदारी की घोषणा की। इसका उद्देश्य जल, स्वच्छता, स्वच्छ ऊर्जा और शहरी बुनियादी ढांचे की छोटी योजनाओं के लिये पूंजी उपलब्ध कराना है।

भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत में व्यापार करना सरल बनाने में दोनों देशों के बीच साझेदारी की भूमिका का जिक्र किया। निवेश को बढ़ावा देने के लिये उन्होंने एक नयी व्यापार सरलीकरण साझेदारी की घोषणा भी की जिसमें कई नये क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने पुनर्गठित इंडिया-यूके सीईओ फोरम की पहली बैठक का भी स्वागत किया। सीईओ फोरम दोनों प्रधानमंत्रियों को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों पर परामर्श देगी। यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने यूके-इंडिया व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिये डीआईपीपी की नयी त्वरित व्यवस्था का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि दोनों देशों के पेटेंट, ट्रेडमॉर्क और डिजायन आफिसों के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यूके द्वारा रेलवे क्षेत्र में परियोजना प्रबंधन और संचालन में की गयी प्रगति की सराहना की। दोनों नेताओं ने रेलवे क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों की पहचान करते हुये इस क्षेत्र में तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिये सहमति पत्र का स्वागत किया। दोनों पक्षों में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों के विकल्प विकसित करने, ज्ञान और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान और शोध को बढ़ावा देने के लिये दोनों देशों की संस्थाओं को प्रेरित करने पर भी सहमति बनी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत भारत के पहले रुपया आधारित बंधपत्र को लंदन में जारी करने की भारत सरकार के इरादे की भी घोषणा की।

दोनों नेताओं ने ऑटोमोटिव क्षेत्र में आविष्कार आधारित विकास को बढ़ावा देने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने  वाहनों के परीक्षण के लिये प्रबंधन और परीक्षण प्रणाली और शोध और विकास में तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान में सहयोग बढ़ाने की जरूरत को भी माना। भारत और यूके इन क्षेत्रों में ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के इच्छुक हैं। इसके लिये दोनों देशों की सरकारी एजेंसियों और विभागों के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये जायेंगे।

यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन और भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बहुपक्षीय और नियम आधारित व्यापार प्रणाली के महत्व को स्वीकार किया साथ ही दोहा डेवलपमेंट एजेंडे के प्रावधानों के तहत दिसंबर में नैरोबी में होने वाली मंत्रिस्तरीय वार्ता की सफलता सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करना भी तय किया।

भारत और यूनाइटेड किंगडम ने माना कि मौजूदा समय में भ्रष्टाचार प्रगति का सबसे बड़ा शत्रु है। दोनों पक्ष भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संस्थाओं जैसे यूएनसीएसी और जी20 में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुये ताकि भ्रष्टाचार के विरुद्ध वैश्विक संघर्ष को सशक्त बनाया जा सके, इसमें कानून लागू करने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाना, चोरी की गयी संपत्तियों की पहचान और वापसी के नियमों को सशक्त बनाना और कंपनियों के वास्तविक स्वामियों की पहचान में पारदर्शिता लाने जैसे उपाय शामिल हैं।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूरोपीय संघ और भारत के बीच BTIA को शीघ्र पूरा किये जाने के लिये प्रतिबद्धता दर्शायी। इसके लिये भारत और यूके मिलकर करीब से काम करने को तैयार हैं।

मेक इन इंडिया

यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल ‘मेक इन इंडिया’ का स्वागत किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत और यूके के निवेश और साझेदारी में इस तरह के सहयोग का मॉडल पहले से ही मौजूद है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों पक्षों द्वारा रक्षा क्षेत्र में तकनीकी और औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के लिये उठाये कदमों का स्वागत किया।

व्यापार

प्रधानमंत्री श्री कैमरन और श्री मोदी ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और लाभकारी व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुये इस यात्रा के दौरान संपन्न हुये 9.2 अरब पॉउण्ड के व्यवसायिक समझौतों का स्वागत किया जिसकी सूची संलग्नक में दी गयी है। पिछले 15 सालों में भारत में हुये सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में यूके की हिस्सेदारी 8.56% हैं और भारतीय कंपनियों ने यूके में 110,000 लोगों को रोजगार मुहैया कराया है।

यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने भारत के बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाये जाने का जिक्र किया। भारत की विशाल जनसंख्या को बीमा के दायरे में लाने के लिये भारत सरकार ने बीमा और पेंशन क्षेत्र में एफडीआई निवेश की सीमा बढ़ाकर 49% कर दी है।

इसके परिणाम स्वरूप यूके की इंश्योरेंस कंपनियों ने भारत के बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने के लिये कई संयुक्त उपक्रमों की घोषणा की है। जिसके तहत नियामक की अनुमति मिलने के बाद पहले चरण में 238 मिलियन पॉउण्ड का निवेश भारत के बीमा क्षेत्र में होगा। जिससे भारत के इंश्योरेंस और रि-इंश्योरेंस सेक्टर के विकास में मदद मिलेगी जो कि स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिये अहम है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने एचएसबीसी के 'स्किल्स फॉर लॉइफ' अभियान का स्वागत किया जिसके तहत 5 वर्षों में 10 मिलियन पाउण्ड के खर्च से 75,000 निर्धन लोगों और बच्चों को कुशल बनाया जायेगा।

स्मार्ट शहर और शहरी नवीनीकरण 

दोनों प्रधानमंत्रियों ने तीन शहरों - इंदौर, पुणे और अमरावती - के लिये भारत-यूके साझेदारी की घोषणा भी की जिसके तहत तकनीकी सहायता, विशेषज्ञता के आदान-प्रदान और व्यापारिक संबंधों के जरिये शहरों के विकास के भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को सहयोग मिलेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत के शहरी विकास मंत्रालय और यूके के अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग के बीच तकनीकी साझेदारी का भी स्वागत किया जिसके जरिये स्मार्ट शहरों के विकास के लिये राष्ट्रीय और राज्य आधारित सहयोग जुटाया जा सके जो कि समावेशी विकास और रोजगार सृजन के लिये अहम है। 

दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वस्थ नदी प्रणालियों के विकास के लिये एक नयी थेम्स/गंगा साझेदारी की घोषणा की। जिसके अन्तर्गत गंगा बेसिन में जल संसाधनों के प्रबंधन के लिये शोध और यूके वॉटर पॉर्टनरशिप के समर्थन से 2016 में नीति बनाने वाले विशेषज्ञों का आदान-प्रदान किया जायेगा।

शिक्षा, कौशल, विज्ञान एवं शोध

यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी की युवा भारतीयों को 21वीं सदी के लक्ष्यों को हासिल करने के लिये तैयार करने की योजना का समर्थन किया। नये यूके-इंडिया कौशल संकल्प के जरिये यूके की 11 कंपनियों ने भारत में कुशलता के विकास के लिये संकल्प लिया। यूके सरकार और वहां के उद्योग मिलकर अहम क्षेत्रों में भारत में नये 'उत्कृष्टता केंद्रों' की स्थापना करेंगे। पहला केंद्र पुणे में ऑटोमोटिव और अभियांत्रिकी क्षेत्र के लिये स्थापित किया जायेगा। यूनाइटेड किंगडम डिजिटल डिलीवरी, महिलाओं, वंचितों और अशक्तों में कौशल और उद्यमिता के विकास के लिये नये पाठ्यक्रम विकसित करने में भारत सरकार के कौशल और उद्यम विकास मंत्रालय की मदद करेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने कहा कि 2016 यूके-इंडिया के लिये शिक्षा, शोध और नवाचार का वर्ष होगा। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों की शक्ति को सामने लाना, भविष्य में सहयोग को बढ़ावा देना है जिसमें डिजिटल तकनीक पर आधारित शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल हैं ताकि दोनों देश शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में साझेदार के तौर 21वीं सदी में विश्व के लिये प्रासंगिक एक नये ढांचे को तैयार कर सकें।

दोनों प्रधानमंत्रियों में इस बात पर भी सहमति बनी कि विद्यालय स्तर पर एक वर्चुअल साझेदारी को विकसित किया जाये जिससे दोनों देशों के युवा एक-दूसरे की स्कूल प्रणाली को अनुभव कर सकें जो कि वहां की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक जीवन और परिवार व्यवस्था को समझने के लिये जरूरी है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात की भी घोषणा कि 2016 में दिल्ली में होने वाले तकनीक शिखर सम्मेलन में यूके सहभागी देश होगा। संयुक्त शोध को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध दोनों प्रधानमंत्रियों ने एकेडमिक क्षेत्र में भावी आदान-प्रदान पर भी संतोष जताया जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को रदरफोर्ड स्थित न्यूट्रॉन प्रयोगशाला और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एप्पलटन प्रयोगशाला में काम करने का मौका मिलेगा।

उन्होंने संयुक्त शोध, क्षमता विकास और अनुवाद के लिये न्यूटन-भाभा कोष की स्थापना का स्वागत किया, साथ ही इस बात का जिक्र किया कि कैसे शोध के क्षेत्र में भारत-यूके का संयुक्त निवेश जो 2008 में 1 मिलियन पॉउण्ड था वर्तमान में बढ़कर 200 मिलियन पॉउण्ड को पार कर गया है।

नये निवेश का बड़ा हिस्सा भारत और यूके के ऐसे वर्चुअल केंद्रों की स्थापना पर भी खर्च हुआ है जिनका कार्यक्षेत्र स्वच्छ ऊर्जा, जल सुरक्षा और कृषि में प्रयुक्त होने वाली नाइट्रोजन के क्षेत्र में काम करना है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने नये संयुक्त शोध और नवाचार कार्यक्रमों का स्वागत किया जिनमें जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य और पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और ड्रग का दुरुपयोग, शहरीकरण और धरोहर, भोजन, ऊर्जा और पारिस्थितिकी सेवाओं के लिये स्थायी जल संसाधन, वायुमण्डलीय प्रदूषण, भारतीय महानगरों में मानव स्वास्थ्य, जलतंत्र और दक्षिण एशियाई मॉनसून के अध्ययन के लिये भारत-यूके का संयुक्त अभियान जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इनोवेट यूके, विज्ञान एवं तकनीक विभाग और वैश्विक नवाचार और तकनीक संगठन (GITA) के सहयोगात्मक औद्योगिक शोध एवं विकास के तीसरे चरण का स्वागत किया जो स्वच्छ ऊर्जा, सस्ती हेल्थकेयर और इनसे संबंधित सूचना तकनीक के क्षेत्र में अनोखे औद्योगिक हल ढूंढ़ने के लिये 3.5 मिलियन पॉउण्ड की राशि उपलब्ध करायेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि जलवायु परिवर्तन और कृषि पर इसका प्रभाव विश्व के लिये गंभीर चुनौती है। उन्होंने फसल विज्ञान में संयुक्त शोध के लिये भारत-यूके सहयोग का स्वागत किया जो यूके के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों जैसे कैंब्रिज विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय कृषि वनस्पति संस्थान, जॉन इन्स सेंटर, रोथमस्टेड रिसर्च एवं यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऐंग्लिया, जो कि यूके सरकार की बॉयोटेक्नोलॉजी और बॉयोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च कॉउंसिल (BBSRC), और भारत के जैव तकनीक विभाग (DBT) के साथ मिलकर वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक शोध करेंगे जिसका उद्देश्य उपज बढ़ाना और सूखे और रोग का मुकाबला करने वाली किस्में तैयार करना है ताकि शोध कार्यों को दीर्घकालिक कृषि में इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने भारत में एक संयुक्त यूके-इंडिया वनस्पति विज्ञान केंद्र की स्थापना का भी स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने ग्लोबन इनीशियेटिव फॉर एकेडमिक्स नेटवर्क (GIAN) के तहत अगले दो वर्षों में यूके द्वारा भारत में 100 शिक्षाविदों को भारत भेजने और यूके-भारत पीढ़ी अभियान के तहत 2020 तक यूके के 25,000 छात्रों को भारत भेजने साथ ही 2020 तक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में यूके के 1000 लोगों को इंटर्नशिप कराने की योजना का भी स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके-इंडिया शिक्षा और शोध पहल के तीसरे चरण का भी स्वागत किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और यूके की डिग्रियों को परस्पर मान्यता देने की प्रतिबद्धता का भी स्वागत किया।

स्वास्थ्य

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत के जैव तकनीक विभाग और यूके की रिसर्च कॉउंसिल्स के बीच भारत-यूके संयुक्त टीका विकास सहयोग कार्यक्रम की प्रसन्नतापूर्वक घोषणा की। जैव तकनीक विभाग यूके की शोध परिषदों के साथ मिलकर एक ऐसे रणनीतिक समूह की स्थापना करेगा जो कि नये ड्रग्स और रोगों की पहचान के तरीकों के विकास की गति तेज करने के लिये ऐसे प्रमाण तैयार करेगा जो कि जीन्स के स्तर पर होने वाले सूक्ष्म जीव प्रतिरोध और रोगी और रोगाणु के अंत:संबंध से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में मदद करेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एंटी माइक्रोबायल प्रतिरोध (AMR) से निपटने के संयुक्त संकल्प पर जोर दिया क्योंकि यह दोनों देशों के जन स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिये गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि इसके लिये विश्व स्तर पर एकजुट प्रयास की आवश्यकता है जिसे जुटाने के लिये उन्होंने 2016 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र आम सभा में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाये जाने पर भी जोर दिया। भारत और यूके ने भारत के जैव तकनीक विभाग और यूके की रिसर्च कॉउन्सिल्स के तत्वाधान में लंदन में 2016 में इस विषय पर होने वाले सम्मेलन में वैज्ञानिक योगदान देने का भी निर्णय लिया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग का स्वागत किया जिसमें पहले से चल रहा सहमति पत्र भी शामिल हैं जिसके तहत दोनों देश चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण, सबके लिये स्वास्थ्य सेवा, एंटी मॉइक्रोबॉयल प्रतिरोध क्षमता (AMR) पर रोक लगाने के साथ-साथ सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले और कारगर ड्रग्स के जरिये मरीजों के उपचार के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं इसमें यूके के नाइस इंटरनेशनल और भारत सरकार के स्वास्थ्य शोध विभाग के बीच चिकित्सा तकनीक के आंकलन के क्षेत्र में सहयोग भी सम्मिलित है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वास्थ्य और इससे संबंधित क्षेत्रों में निवेश और सहयोग बढ़ाये जाने की संभावनाओं पर बल दिया। यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन ने भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जरिये निवेश बढ़ाने के भारत सरकार के निर्णय का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने किंग्स कॉलेज हॉस्पिटल एनएचएस फॉउण्डेशन ट्रस्ट और इंडो-यूके हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से चण्डीगढ़ में किंग्स कॉलेज अस्पताल खोलने के समझौते पर हस्ताक्षर का भी स्वागत किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत सरकार के आयुष विभाग और एकीकृत चिकित्सा के लिये यूके के एक अग्रणी संस्थान के बीच सहमति पत्र को अंतिम रूप दिये जाने का भी स्वागत किया जिसके जरिये इस क्षेत्र में शोध और चिकित्सा में सहयोग को और विकसित और सशक्त बनाया जायेगा।

संस्कृति

दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों और भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 2017 को यूके-इंडिया संस्कृति वर्ष के रूप में मनाये जाने की घोषणा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटिश लाइब्रेरी और नेशनल ऑर्काइव्स ऑफ इंडिया में संग्रहीत जानकारी को डिजिटल स्वरूप में परिवर्तित करने की योजना का समर्थन किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने श्यामजी कृष्ण वर्मा को मरणोपरान्त बॉर में शामिल किये जाने के निर्णय का स्वागत किया साथ ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका और भावी पीढ़ियों को उनके द्वारा दी गयी प्रेरणा का भी जिक्र किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय और यूके के संस्कृति, मीडिया और खेल विभाग के बीच दोनों देशों के मध्य सुरक्षित और अविरल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने की योजना का भी स्वागत किया। 

अपराध

यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री श्री कैमरन और भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने माना कि लगातार जटिल होते और परस्पर संबद्ध विश्व में सीमापार स्थित अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही में सहयोग बढ़ाना दोनों देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दृष्टि से बेहद अहम है। उन्होंने दोनों देशों को नुकसान पहुंचाने वाले मादक द्रव्यों के प्रवाह को बाधित करने, आपराधिक रिकॉर्ड के आदान-प्रदान के लिये समझौते का रास्ता खोलने और दोनों देशों की कानून लागू करने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के लिये मिलकर काम करना तय किया। 

यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन और भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आपराधिक मामलों, विशेष कर के आतंकवाद से जुड़े मामलों में परस्पर कानूनी सहायता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के अपने संकल्प को दोहराया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने चोरी की गयी शिल्पकृतियों और प्राचीन सामग्री की तस्करी रोकने के लिये सहयोग बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।

उपसंहार

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यूके के प्रधानमंत्री श्री कैमरन को उनके और भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के गर्मजोशी भरे स्वागत के लिये धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री श्री कैमरन को 2016 में भारत यात्रा के लिये निमंत्रित किया। दोनों नेताओं ने भारत और यूके के बीच भविष्योन्मुख साझेदारी की अपनी परिकल्पना को दोहराया जो कि दोनों देशों के नागरिकों के आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सुरक्षा की दृष्टि से अपरिहार्य है। उन्होंने दोनों देशों और विश्व की बेहतरी के लिये साथ मिलकर ऐसी सुविकसित और रूपान्तकारी सहभागिता के निर्माण का अपना संकल्प दोहराया।