जब हम खादी खरीदते हैं तो हम उन लाखों बुनकरों की ज़िंदगियों में रोशनी
भरने का काम करते हैं जोकि दिन-रात कठिन परिश्रम करते हैः पीएम मोदी

महात्मा गांधी की अमिट छवियों में एक तस्वीर वह है, जिसमें प्यारे बापू एक चरखे के साथ बैठे हैं और कताई में पूरी तरह मगन हैं।

चरखा एक शक्तिशाली प्रतीक था, जिसका महात्मा गांधी ने उपनिवेशवाद और अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई के दौरान उपयोग किया। इसका मकसद आत्मनिर्भरता और गरीबी के खिलाफ लड़ाई था। महात्मा गांधी ने खादी का सामान इस्तेमाल करने का अत्यधिक समर्थन किया था।

पिछले कुछ वर्षों को दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने खादी को लोकप्रिय बनाने और इसे एक जन आंदोलन का रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनका आग्रह है कि सभी लोग खादी के सामान खरीदें, खासतौर से गांधी जयंती के दिन।

प्रधानमंत्री खुद भी नियमित रूप से खादी पहनते हैं और वो ऐसा बेहद शुरुआती दिनों से कर रहे हैं, जब वो आरएसएस तथा भाजपा संगठन के लिए काम कर रहे थे।

श्री मोदी ने एक मंत्र दिया - ‘खादी देश के लिए, खादी फैशन के लिए’ - इसके पीछे विचार ये है कि खादी राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बने, साथ ही एक फैशन स्टेटमेंट भी बने, जो युवाओं के बीच लोकप्रिय हो सके।

उन्होंने कई बार कहा है, “जब हम एक खादी खरीदते हैं, तो हम उन लाखों बुनकरों के जीवन में उजाला कर रहे हैं, जो दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। खादी का एक सामान खरीदना किसी बुनकर के घर में दीवाली लाने जैसा है।”

श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के अच्छे नतीजे सामने आए। जब प्रधानमंत्री ने 3 अक्टूबर 2014 को अपने सबसे पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में खादी खरीदने का आह्वान किया तो खादी की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। खासतौर से नई दिल्ली स्थित खादी ग्राम उद्योग भवन के प्रमुख स्टोर में।

 

आज निश्चित रूप से खादी को लेकर कहीं अधिक जागरुकता है और ये गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाने का शक्तिशाली साधन बन सकता है।