प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाले केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) क इसके अहम और लचीले घटकों के साथ शुभारम्भ करने की अनुमति प्रदान कर दी। 

प्रस्तावित मिशन के तहत आयुष स्वास्थ्य सेवाओं/शिक्षा के जरिये देश में विशेष रूप से कमजोर और दूर दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के बीच की खाई को कम करने के राज्य/केन्द्र शासित सरकारों के प्रयासों को मदद दी जायेगी। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य इस तरह के क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति करना और उनकी वार्षिक योजनाओं में ज्यादा संसाधनों का आवंटन करना होगा। मिशन से निम्नलिखित मदद मिलेगी: 

1. उन्नत शिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि के माध्यम से आयुष शिक्षा में सुधार। 

2. आयुष अस्पतालों और औषधालयों की संख्या में वृद्धि के माध्यम से आयुष सेवाओं तक ज्यादा लोगों की पहुंच, दवाओं और श्रमबल की उपलब्धता। 

3. आयुष दवा प्रणालियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल को निरंतर उपलब्ध कराना। 

4.फार्मेसियों, दवा प्रयोगशालाओं की संख्या में वृद्धि और एएसयू व एच दवाओं के बेहतर उपयोग से उच्च गुणवत्ता वाली आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू व एच) दवाओं की उपलब्धता बढ़ाना। 

पृष्ठभूमि :
भारत को आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की अतुलनीय विरासत प्राप्त है, जिनमें रोगों की रोकथाम तथा उपचार के लिए ज्ञान का अथाह भंडार है। भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्रमुख विशेषताओं की बात करें तो इसमें काफी विविधता है, ये काफी लचकदार है तथा इलाज आसानी से और वाजिब कीमत में उपलब्ध है। आम जनता में इनकी स्वीकार्यता काफी अधिक है। तुलनात्मक रूप से कम लागत और बढ़ते आर्थिक मूल्यों के चलते इन चिकित्सा पद्धतियों में इस बात की पूरी क्षमता है कि ये बड़ी संख्या में हमारे लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं।