मित्रो,
गुजरात की प्राथमिक शाला परिवार के स्वजनों को मैने एक पत्र लिखा है. आप तक यह भावना पहुंचाने के लिये ब्लोग पर रख रहा हूँ ।
आभार
शाला परिवार के सभी स्वजनों,
नमस्कार...
सन 2010-11, गुजरात की स्वर्णिम जयंती का वर्ष अनेक तरह से सफल रहा. गुजरात के विकास की अनुभूति देश और दुनिया को हो रही है. चारों ओर छः करोड गुजराती भाईओं और बहनों की क्षमता और पुरुषार्थ को सहर्ष पहचान मिल रही है. विकास के इस यात्रा में हमारी प्राथमिकता है मानव-विकास. हमें सिर्फ़ आज की चिंता करके रुकना नहीं है, हमें गुजरात के कल को सवाँरना है.
शिक्षक की तरह, विद्यार्थी के पालक की तरह आप सब गुजरात के भविष्य के निर्माता हैं. गरीब से गरीब परिवार का बालक भी शिक्षण और संस्कार से वंचित न रहे यह् हमारी सब की सामूहिक जिम्मेदारी है. उसके लिए हम शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणि (शिक्षण) को सफल बनाने के लिए सतत प्रयास करते रहे और उसके सुखद परिणाम भी मिले हैं. उसके साथ-साथ हज़ारों शिक्षकों की भरती हो, शाला के हज़ारों कमरों का निर्माण हो, शाला हेतु आवश्यक आधुनिक सुविधाएं हो, व्यवस्थांए हो उन सभी बातों को भी प्राथमिकता दि है और राज्य सरकार ने पर्याप्त धन और खर्च की ज़िम्मेदारी उठाई है.
शाला आरोग्य परीक्षण और गुणोत्सव के जरिए बालक के तंदुरुस्त तन और तंदुरुस्त मन का भी ध्यान रखा है. यह पूरा दशक दूरवर्ती गरीब से गरीब परिवार के घर में ज्ञान का सूर्योदय हो इसके लिए ‘प्रयास-यज्ञ’ रहा है.
इस पवित्र कार्य में उमंग और उत्साह से साथ-सहकार देने वाले सबको मैं हार्दिक रूप से अभिनंदन देता हुँ.
मुझे आप सब के उपर पूरा भरोसा है. आप कभी भी गुजरात के कल को निर्मित करने के इस पवित्र कार्य में कोई भी कमी नही रखोगे.
गुजरात में प्रत्येक गाँव में एक मंत्र गूँज उठे कि, प्रत्येक परिवार की और प्रत्येक गाँव की प्राथमिकता का केन्द्र-बिंदु बालक हो. बालक का शिक्षण, बालक के संस्कार, बालक का आरोग्य, बालक का विकास, बालक में उमंग.... यह हमारे सब के जीवन का प्रेरणां स्त्रोत बने.
मुझे इस स्तर पर एक बात का आनंद भी व्यक्त करना है. हमने देखा है कि, हमारे राज्य में बेटीयों की अपार शक्ति के दर्शन हो रहे हैं. हर एक क्षेत्र में छोटी छोटी बालिकायें भी उत्तम प्रदर्शन कर रही हैं. कन्या शिक्षण में खास करके गुजरात की माताओं की जागृति सार्थक हुई है. बेटीयों के विकास में सक्रिय सारी माताओं को मैं वंदन करता हुँ.
आओ, संकल्प करें;
हमारी शाला श्रेष्ठतम शिक्षण की शाला बने उसके लिए एक शिक्षक के रूप में, आचार्य के रूप में हमारी उत्तम से उत्तम शक्ति प्रदान करें. गाँव में एक भी बेटी या बेटा शाला में अभ्यास पूरा करे बग़ैर ना रहे ऐसा समाज में प्रभाव खडा करें. उत्साहपूर्वक बालक शाला में पढे-खेले और खिले उनका उत्तम विकास हो ऐसा बीड़ा उठायें.
व्यक्तिगत रूप से सोचना, सामूहिक चिंतन करना. शायद ज्यादा परिश्रम करना पडे लेकिन, बालको के जीवन में एक सुसंस्कृत नागरिक के निर्माण के लिए आपका यह परिश्रम अवश्य सार्थक होगा. आपकी शाला उत्तम शाला का गौरव प्राप्त करेगी तो आपका गाँव में और समाज में आदरभाव बढेगा ही. शाला के सारे परिवारजनों, आप में सरकार और समाज ने जो भरोसा रखा है, बालक की जो श्रद्धा है उसे सार्थक करने में आप कोई भी कमी नहीं रखोगे ऐसे विश्वास के साथ,
आप सबका,
नरेन्द्र मोदी