एनसीटीसी का आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लो : मुख्यमंत्री

एनसीटीसी का आदेश भारतीय संविधान के संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ : राज्यों के अधिकार छीनने का केन्द्र सरकार का एक और दुष्कृत्य

गांधीनगर, शुक्रवार: गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के संबंध में भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश पर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध जताया है। श्री मोदी ने स्पष्ट तौर पर मांग करते हुए कहा कि, भारतीय संविधान के संघीय ढांचे की व्यवस्थाओं का उल्लंघन करने वाले और राज्य के अधिकारों पर हस्तक्षेप करने वाले इस आदेश का अमल तत्काल खारिज किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में श्री मोदी ने कहा कि एनसीटीसी के अमल से राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखने के अधिकारों पर विपरीत असर पड़ेगा। श्री मोदी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय ने 3 फरवरी, 2012 को संविधान के आर्टिकल-73 की व्यवस्था के नाम पर ऑफिस मेमोरेंडम III 11011/67/05-IS.IV  के माध्यम से आदेश जारी कर तमाम प्रकार की इंटेलिजेंस एजेंसियों को एनसीटीसी के तहत कर देने का निर्णय किया है। इस नोटिफिकेशन के अंतर्गत तो देश के राज्यों की और देश के बाहर की तमाम इंटेलिजेंस और जांच एजेंसियों को एनसीटीसी की सहायक भूमिका में ही कार्य करना पड़ेगा।

इसके साथ ही एनसीटीसी को अनलॉफूल एक्टिविटी (प्रिवेन्शन एक्ट) के तहत गिरफ्तारी (अरेस्ट) और सर्च (शोध) के अधिकार भी दिए गए हैं। वास्तव में, भारतीय संविधान में कानून और व्यवस्था का विषय राज्य सरकार की सूची में रखा गया है। कानून व्यवस्था और पुलिस तथा अपराधों की जांच राज्य सरकार के अधिकारों का विषय है। इस सन्दर्भ में एनसीटीसी के अमल से राज्य सरकारों के अधिकारों पर सीधा हमला किया गया है। इतना ही नहीं, इस प्रकार के आदेश का अमल करने के लिए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों से परामर्श करने की आवश्यकता तक नहीं समझी, जो संविधान के संघीय ढांचे के सिद्घांतों की भावना का सीधा उल्लंघन है।

श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद और नक्सलवाद जैसे देश के लिए गंभीर संकटों को परास्त करने के लिए एक सूत्रीय राजनैतिक इच्छाशक्ति की रणनीति के लिए सभी राज्यों को विश्वास में लेने के बजाय केंद्र सरकार इस आदेश की आड़ में राज्यों के अधिकार छिन रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह आदेश तत्काल वापस लेकर राज्य सरकारों के साथ परामर्श करना चाहिए।