दलितों के साथ श्री नरेन्द्र मोदी के जीवन के अनुभवों के एक प्रेरणादायक वृतान्त के रूप गुजराती और हिंदी में प्रकाशित पुस्तक 'सामाजिक समरसता' मुख्यतः जाति , समुदाय और लिंग की बाधाओं से ऊपर उठकर पूर्ण सामाजिक समग्रता प्राप्त करने पर श्री मोदी के विचारों, लेखों और भाषणों का संकलन है। यह पुस्तक भारत के दलितों की सामाजिक स्वतंत्रता पर डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों और आगे ले जाती है।
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किशोर मकवाना द्वारा संपादित पुस्तक, दलितों के साथ श्री नरेन्द्र मोदी की बातचीत की अनछुई घटनाओं को अपने में समेटे हुए है, ये बातचीत वंचितों की सेवा करने के लिए श्री मोदी के इच्छा को स्पष्ट रूप से सामने रखती है। सामाजिक सद्भाव और इसके दूरगामी प्रभाव तथा दलितों के उत्थान और पिछड़े वर्ग के लिए डॉ. अम्बेडकर की दृष्टि को विविध आयामों के साथ सामने रखते हुए विस्तार से चर्चा की गई है।
सामाजिक सद्भाव की ओर से श्री मोदी की प्रतिबद्धता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हुए इस पुस्तक में दलितों की पीड़ा और शोषितों की दुर्दशा को समाज के सामने रखने का एक विनम्र प्रयास है। यह पुस्तक सामाजिक सद्भाव की भावना को जगाने और इसके द्वारा समाज सुधार लाने पर केंद्रित है। पुस्तक मे डॉ. अम्बेडकर, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे महान पुरुषों के जीवन की घटनाओं के माध्यम से, भारत के जाति के आधार पर वर्गीकृत समाज को संबोधित किया गया है जो कई सामाजिक आंदोलनों के बावजूद अभी भी वैसा ही है।
शोषितों के प्रति श्री नरेन्द्र मोदी के दयाभाव को इस पुस्तक में अच्छी तरह से उकेरा गया है। इस पुस्तक में सामाजिक सद्भावना बनाए रखने के लिए अनिवार्य तत्वों को भी समाहित किया गया है। सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने से लेकर ग्राम विकास और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर चर्चा करने तक तथा स्वास्थ्य लाभ, रोजगार के अवसरों के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को सशक्त बनाने से लेकर, एक समान और सशक्त समाज तक, पुस्तक में श्री मोदी के सामाजिक समरसता के विजन का एक स्पष्टवादी संकलन इस पुस्तक में है जो सामाजिक सद्भाव की भावना को जगाने के उनके प्रयासों का एक प्रतिबिंब है।