प्रिय मित्रों,
नील आर्मस्ट्रांग के निधन से एक समग्र युग का अंत हो गया है! जब मैंने उनकी मृत्यु का दु:खद समाचार पढ़ा तब मेरे मन में बरसों पूर्व की वे यादें ताजा हो गई, जब मैं अमेरिका की यात्रा पर गया था। यूं तो मैं कई लोगों से मिलना चाहता था, लेकिन खास तौर पर चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले दुनिया के सर्वप्रथम व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग से मुलाकात को मैं अत्यंत उत्सुक था।
सौभाग्य से मैं उनसे मिल सका। उनके साथ मेरी मुलाकात काफी यादगार रही। उन्होंने मेरे साथ गर्मजोशी से बातचीत की। इस दौरान मैंने उनसे पूछा कि, उनकी चंद्रयात्रा के अनुभव का वर्णन यदि दो वाक्यों में करना हो तो वे क्या कहेंगे? और उनका जवाब आज भी मेरे स्मृति पटल पर अंकित है। उन्होंने कहा, “जब मैं चंद्रमा पर गया था तब एक अंतरिक्षयात्री के तौर पर गया था, लेकिन जब वापस लौटा तो एक मानव बन कर वापस आया हूं। यही मेरा अनुभव है।“
मित्रों, नील आर्मस्ट्रांग के एक छोटे-से कदम ने मानवजाति के लिए एक नए विश्व का निर्माण कर दिया। उनके निधन के बाद उनके परिवार की ओर से जारी एक निवेदन में नील आर्मस्ट्रांग के जीवन का सार अत्यंत खूबसूरती के साथ उजागर होता है – “जो लोग यह पूछते हैं कि नील के सम्मान में हम क्या करें, उनसे हमारी एक ही विनती है। नील ने सेवावृत्ति, उपलब्धि और नम्रता की जो नजीर पेश की, उसे आदर देते हुए उनका अनुसरण करें। और अब जब कभी आप रात्रि के दरम्यान खूले आकाश के तले चहलकदमी करने निकलें और चंद्रमा आपकी ओर तकते हुए मुस्काए तब नील को याद कर अपनी पलक झपका लीजिएगा।“
आपका,
नरेन्द्र मोदी