प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज महान कवि रामधारी सिंह दिनकर का स्‍मरण करते हुए जाति आधारित राजनीति समाप्‍त करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर भारत को तरक्‍की करनी है तो बिहार समेत पूर्वी भारत के लिए विकास करना और भारत के पश्चिमी भाग के समतुल्‍य आना अनिवार्य है। वह दिनकर की दो महान कृतियों 'संस्‍कृति के चार अध्‍याय' और 'परशुराम की प्रतीक्षा' की स्‍वर्ण जयंती के अवसर पर नई दिल्‍ली में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने 1961 में श्री रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखे एक पत्र का स्‍मरण किया जिसमें दिनकर ने जोर देकर कहा था कि उनके जन्‍म स्‍थान बिहार को अनिवार्य रूप से जाति आधारित मतभेदों को भूल जाना चाहिए और एक प्रतिभा आधारित समाज की दिशा में काम करना चाहिए। अपने पत्र में दिनकर ने यह भी कहा था कि अगर बिहार के लोग जाति से ऊपर नहीं उठते तो राज्‍य में सार्वजनिक जीवन नष्‍ट हो जाएगा।



प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्र कवि 'दिनकर को एक महान भविष्‍यदृष्‍टा बताया। उन्‍होंने कहा कि एक समय हजारों लोगों ने दिनकर की कविताओं को कंठस्‍थ कर रखा था जिनमें भारत की विरासत और संस्‍कृति समावेशित थी और जो भारत के सारतत्‍व को समझने का सर्वश्रेष्‍ठ तरीका था।



श्री नरेन्‍द्र मोदी ने यह भी कहा कि बहुत कम कृतियां दिनकर की लेखनी की तरह समय की कसौटी पर खरा उतर पाती हैं। उन्‍होंने कहा कि दिनकर अपनी लेखनी के जरिए मार्ग को प्रज्‍जवलित करना चाहते थे और समाज को आगे बढ़ने का रास्‍ता दिखाना चाहते थे।



प्रधानमंत्री ने कहा कि दिनकर की कृतियां भारतीयों की कई पीढि़यों को विकास और तरक्‍की के लिए प्रेरणा देती रही हैं।

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