प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कहा कि नीति आयोग को ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन की गति में तेजी लाने के लिए अंत:विभागीय एवं केंद्र–राज्‍य मुद्दों के त्वरित निपटान पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। वह ढांचागत क्षेत्रों पर एक उच्‍च स्‍तरीय बैठक की अध्‍यक्षता कर रहे थे। नीति आयोग ने बिजली, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाहों एवं तटीय विकास, सड़कों तथा रेलवे समेत विभिन्‍न ढांचागत क्षेत्रों पर प्रस्‍तुतियां पेश कीं।
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प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वे एक स्‍पष्‍ट और निश्चित समय –सीमा के भीतर बिजली की सुविधा से वंचित रहे 20,000 गांवों में वि‍द्युतीकरण के लक्ष्‍य को अर्जित करने के लिए मिशन मोड में काम करें। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा, नजदीक के रेल ढांचा के जरिये बिजली संपर्क तथा ऑफ–ग्रिड सॉल्‍यूशंस समेत कुल ग्रामीण्‍विद्युतीकरण सुनिश्चित करने के लिए अभिनव समाधानों की खोज करें।

प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई कि वर्तमान बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति से संबंधित मुद्दों का समाधान कर लिया गया है और अब एक भी बिजली संयंत्र में कोयले की कमी नहीं है। प्रधानमंत्री ने देश में सौर बिजली उत्‍पादन क्षमता संवर्धन योजनाओं की समीक्षा की। उदाहरण के रूप में प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि बीसीसीआई को देश के सभी बड़े क्रिकेट स्‍टेडियमों के बिजली उपभोग को पारंपरिक ऊर्जा से सौर ऊर्जा में तब्‍दील करने के प्रयासों में जोड़ा जा सकता है।

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प्रधानमंत्री ने तटीय विकास में प्रगति की समीक्षा करते हुए सागरमाला परियोजना के जरिये नीली क्रांति, तटीय जहाजरानी का एकीकरण, पर्यटन और क्षेत्रीय विकास के प्रति अपनी अपील दोहराई।

प्रधानमंत्री ने रेलवे स्‍टेशनों के पुनर्विकास और रेलवे गलियारों, जो देश के बड़े नगरों से होकर गुजरते हैं, के समीप के क्षेत्रों के विकास की दिशा में दृष्टिकोण में एक बुनियादी बदलाव लाने की अपील की।

अपने कथन का सार प्रस्‍तुत करते हुए प्रधानमंत्री ने हाल के ब्‍लैकरॉक इंडिया इंवेस्‍टर समिट के दौरान शीर्ष अंतर्राष्‍ट्रीय निवेशकों के साथ उनकी मुलाकात का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि फंड अब ढांचागत क्षेत्र के लिए कोई बाधा नहीं हैं। उन्‍होंने सरकार के सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे एक समग्र संरचना और वातावरण के सृजन की दिशा में काम करें, जो निवेश के लिए अनुकूल हो।

इस बैठक में ढांचागत क्षेत्र से संबंधित सभी मंत्रालयों, प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग के शीर्ष सरकारी अधिकारी उपस्थित थे।