"PM to graduating students: This is not the end of learning
""India needs to step up medical research to keep pace with a changing world""

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स) के 42वें दीक्षांत समारोह में चिकित्‍सा स्‍नातकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह आपके सीखने का अंत नहीं है और अब आप बंद कक्षा से एक खुली कक्षा की तरफ जा रहे हैं।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को अपनी सोच के तरीकों को हमेशा जीवंत रखना चाहिए ताकि वे अपने व्‍यवसाय की अधिकतम उचाइयों को छू सके। उन्‍होंने चिकित्‍सा स्‍नातकों से आग्रह किया कि चिकित्‍सा के क्षेत्र में बुलंदियां हासिल करने वाले जिन मशहूर चिकित्‍सकों को आज जीवन पर्यन्‍त उपलब्धि पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया वे उनसे कुछ सीख लें। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों के सोचने के तरीके जीवनभर उन्‍हें ऊर्जावान बनाये रखते हैं।

1 (16)-684 1 (18)-684 प्रधानमंत्री ने छात्रों के जीवन में दीक्षांत समारोह के महत्‍व का उल्‍लेख करते हुए कहा कि दीक्षांत शब्‍द का प्रथम उल्‍लेख तैत्रिया उपनिषद में मिलता है। उन्‍होंने कहा कि एक डॉक्‍टर की एक छोटी सी गतिविधि या फिर मरीज के साथ एक अल्‍पकालीन संवाद उस व्‍यक्ति को जिन्‍दगी दे सकता है क्‍योंकि समाज डॉक्‍टरों पर बहुत अधिक भरोसा करता है।

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उन्‍होंने छात्रों से इस विचार को अपने प्रतिदिन के कार्यों के दौरान प्रयुक्‍त करने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि कुछ डॉक्‍टर इसलिए प्रसिद्ध हो जाते हैं क्‍योंकि वे अपने मरीजों के साथ एक प्रकार का रिश्‍ता बनाकर रखते हैं, जिससे मरीजों को आत्‍मविश्‍वास मिलता है तथा रोगों से लड़ने में उन्‍हें आंतरिक शक्ति मिलती है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को कई उदाहरण दिये जिनमें ऐसे लोगों या समाज के बारे में बताया गया जिन्‍होंने डॉक्‍टर बनने के लिए विभिन्‍न तरह के त्‍याग किये।

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उन्‍होंने इन चिकित्‍सा स्‍नातकों से कहा कि वे भविष्‍य में अपने मरीजों के साथ इस प्रकार की भावना से काम करें ताकि मरीज एक प्रकार से उनपर अपना हक जता सकें। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि चिकित्‍सकों के काम से समाज को फायदा होगा और एक स्‍वस्‍थ भारत के सपने को हासिल किया जा सकेगा।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अनेक डॉक्‍टरों ने अपने उल्‍लेखनीय कार्यों से विश्‍व में अपनी पहचान बनाई है और बदलते वैश्विक परिदृश्‍य के साथ चलने के लिए भारत को अपने चिकित्‍सा शोध के क्षेत्र में और अधिक प्रयास करने की जरूरत है इसलिए उन्‍होंने इन युवा डॉक्‍टरों से आग्रह किया कि कई विशेष क्षेत्रों में वे मरीजों से जुड़ी केस हिस्‍ट्री के रिकॉर्ड को संभाल कर रखें ताकि भविष्‍य में यह उनके पेशे में काम आये।

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उन्‍होंने यह आग्रह भी किया कि वे वैज्ञानिक शोध पत्रिकाओं में अपने अधिक से अधिक लेख भेजने अथवा उन्‍हें प्रकाशित करने की दिशा में भी कार्य करें।

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प्रधानमंत्री ने युवा डॉक्‍टरों से कहा कि वे जीवन के प्रति एक सकारात्‍मक और जीवंत नज़रिया रखें क्‍योंकि उन्‍हें सभी तरह की परिस्थितियों में डॉक्‍टरों और पेशेवर चिकित्‍सकों के रूप में अपनी जिम्‍मेदारियां निभानी पड़ती हैं।

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प्रधानमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि इस तरह के दीक्षांत कार्यक्रमों में आसपास के स्‍कूलों के गरीब छात्रों को मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जा सकता है और इस तरह के आयोजनों से उनमें एक विशिष्‍ट प्रोत्‍साहन की भावना का विकास हो सकेगा।

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प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर चिकित्‍सा क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान देने वाले कई चिकित्‍सकों को जीवन पर्यन्‍त उपलब्धि पुरस्‍कारों से नवाजा तथा प्रतिभावान छात्रों को सम्‍मानित किया।