प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीओपी-21 से पहले समान विचारधारा वाले विकासशील देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ बातचीत की
विश्व जलवायु परिवर्तन के प्रति सजग है और अब प्रकृति के साथ न्याय के सिद्धांत के बारे में जागरूक किए जाने की जरूरत: प्रधानमंत्री
विश्व को आश्वस्त करने की जरुरत है कि विकासशील देश पर्यावरण के दुश्मन नहीं हैं: प्रधानमंत्री मोदी
विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों के साथ स्वच्छ प्रौद्योगिकी को साझा, वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन करने की बात कही
जलवायु संबंधी मुद्दों पर समान विचारधारा वाले विकासशील देशों के साथ भारत कंधे से कंधे मिलाकर खड़ा है: प्रधानमंत्री

पेरिस में इस वर्ष बाद में आयोजित होने वाले संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन (सीओपी-21) के क्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में समान विचार वाले विकासशील देशों (एलएमडीसी) के प्रतिनिधिमण्‍डल प्रमुखों से मुलाकात की। भारत ने पिछले दो दिनों से इन देशों की एक बैठक आयोजित की है।

प्रतिनिधियों से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विश्‍व आज जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से भली-भांति अवगत है और जलवायु आधारित न्‍याय के सिद्धांत के बारे में उन्‍हें अवगत कराने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि हमें उस माहौल का विरोध करना है, जिसे विकासशील देशों सहित खास समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है कि विकास और वृद्धि पर्यावरण के शत्रु हैं तथा इस प्रकार विकास और वृद्धि का काम करने वाले सभी देश दोषी हैं। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व को इस बात से राजी किया जाना चाहिए कि विकासशील देश पर्यावरण के शत्रु नहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि विश्‍व भर में विकसित और विकासशील देशों में पर्यावरण से जुड़े विषयों पर साझा स्‍कूल पाठ्यक्रम होना चाहिए ताकि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष में साझा लक्ष्‍यों के साथ युवा पीढ़ी का विकास हो।

प्रधानमंत्री ने विकसित देशों के लिए अपने न्‍यायसंगत विकास की आकांक्षाओं पूरा करने के क्रम में स्‍वच्‍छ प्रौद्योगिकी में हिस्‍सेदारी करने और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए विकासशील देशों की वित्तीय सहायता प्रदान करने से जुड़ी उनकी प्रतिबद्धता को पूरा करने की जरूरत पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि जबकि विकसित देशों के सामने उत्‍सर्जन से जुड़ी कटौतियों का लक्ष्‍य होना चाहिए, विकासशील देशों को अक्षय ऊर्जा और हरित भवनों जैसे पहलों की ओर प्रोत्‍साहन देने के लक्ष्‍यों पर काम करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने ऊर्जा का उपभोग घटाने के लिए रहन-सहन में बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दे पर एलएमडीसी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हैं।

बातचीत के दौरान केन्‍द्रीय पर्यावरण और वन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर उपस्थित थे।