मंगलवार, 8 सितम्बर 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “हाल की वैश्विक आर्थिक घटनाओं – भारत के लिए अवसर” के विषय पर प्रमुख अर्थशास्त्रियों, बैंकिंग क्षेत्र और उद्योग जगत के शीर्ष प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।
प्रतिनिधियों ने इस बात पर बल दिया कि आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में उगते सूर्य के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने बुनियादी सुविधाओं, रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करने, कारोबार के माहौल को और बेहतर बनाने; हाल में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहल, जैसे – मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, जन-धन योजना और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी); विभिन्न क्षेत्रों, जैसे - कृषि, कृषि संबंधी बुनियादी सुविधाओं, खाद्य प्रसंस्करण, औषधीय (फार्मास्यूटिकल्स), अक्षय ऊर्जा आदि विषयों के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने उपयुक्त नीतिगत हस्तक्षेप के माध्यम से दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा वैश्विक माहौल का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक के प्रतिभागियों ने स्टार्ट-अप और स्व-रोजगार के पूर्ण विकास के लिए एक व्यवहार्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की जरूरत पर बल दिया।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकला कि मौजूदा स्थिति भारत के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है जिसका सदुपयोग किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों के बीच सकारात्मक माहौल और उनके उत्साह की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जब व्यापक विचार-विमर्श के लिए इस तरह के सत्र का आयोजन किया गया। यह वर्तमान स्थिति में हमारे अपने रोडमैप पर विचार-विमर्श करने का एक अवसर है। इससे सरकार को नीति बनाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि, सागरीय अर्थव्यवस्था और अंतरिक्ष ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिनमें भारत के लिए जबर्दस्त आर्थिक क्षमता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत में अपार संभावनाएं है।
प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था में स्टार्ट-अप के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, जैसे – मुद्रा बैंक की स्थापना आदि का उल्लेख किया। उन्होंने 30 वर्ष से कम उम्र वाली 65 प्रतिशत आबादी के लिए कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों पर भी बल दिया।
प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत के दिग्गजों से आग्रह किया कि वे ज्यादा-से-ज्यादा “नवाचार और कौशल केन्द्रों” की स्थापना करें जिससे उनके व्यापार से संबंधित क्षेत्रों में स्टार्ट-अप को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे जोखिम लेते हुए भारत में निवेश बढ़ाएं एवं घरेलू निवेश में अपना अधिक से अधिक योगदान दें।