दुनिया में असम की अगर कोई विशेष पहचान है तो उसका एक कारण है – असम के लोगों की मेहनत और परिश्रम: प्रधानमंत्री
असम में एक ऐसी सरकार चाहिए जो असम के गरीबों की सुने, यहाँ के गरीबों के लिए जिये और यहाँ के आम लोगों के जीवन में बदलाव लाए: पीएम मोदी
असम के नागरिकों का गौरव, उनका भविष्य, असम के माताओं और बहनों की सुरक्षा, ये हमारी प्राथमिकता: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना - किसान को सुरक्षा देने, संकट के समय में उनकी मदद और उनकी स्थिति को और मज़बूत करने की दिशा में एक अहम पहल 
प्रधानमंत्री मोदी ने असम के किसानों से आग्रह किया कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का समुचित लाभ उठाएं
चाहे हेल्थ हो, शिक्षा हो या इंफ्रास्ट्रक्चर, हमारी सरकार असम के चौतरफा विकास के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री मोदी

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों और बहनों।

आज मैं डिब्रूगढ़ में पेट्रोलियम से जुड़े हुए एक बहुत बड़े कार्यक्रम का उद्घाटन करके आ रहा हूँ और यहाँ से फिर श्रीमत शंकरदेव के सम्मान में जो समारोह चल रहा है, उसमें शरीक होने का मुझे सौभाग्य मिलेगा और इस बीच मैं चाय बागान के हमारे साथियों से मिलने आ गया हूँ। आज अगर दुनिया में असम की अगर कोई विशेष पहचान है तो उसका एक कारण आप लोगों की मेहनत और आपकी परिश्रम है। इस बागान में 100 साल से भी ज्यादा समय से चार-पांच पीढ़ियाँ खप गई हैं और इस चाय में यहाँ की मिट्टी की महक और आपकी मेहनत ने ऐसा रंग भर दिया कि आज पूरी दुनिया में असम की चाय मशहूर है। हिन्दुस्तान के अलग-अलग भूभाग से आकर इस बागान में परिश्रम करके हिन्दुस्तान का नाम रौशन किया है।

दुनिया को तो आपने असम की पहचान दे दी लेकिन असम के चाय के मजदूरों को क्या मिला; मुझे ये स्थिति बदलनी है। असम में एक ऐसी सरकार चाहिए जो असम के गरीबों की सुने, यहाँ के गरीबों के लिए जिये और यहाँ के सामान्य मानविकी के जीवन में बदलाव लाए। आपके जीवन में आनंद और असम में सर्वानंद लाना है। सारी सरकारें वादें करके चली गई लेकिन एक भी सरकार ने असम के गरीबों को किए वादे पूरे नहीं किये। हम वो वादे पूरा करना चाहते हैं और आप हमें अवसर दीजिए। आपने सब प्रकार की सरकारें देख ली हैं और आपको पता है क्या अच्छा है, क्या बुरा है। एक मौका भाजपा को दीजिए, हम असम को नंबर 1 बनाएंगे। हमें अपनी सेवा करने का एक मौका दीजिए। 

भारत सरकार का एक कानून है जिसे हम यहाँ लागू करना चाहते हैं और इसके लिए असम में एक ऐसी सरकार होनी चाहए जो दिल्ली की केंद्र सरकार को सुने। यहाँ की सरकार केंद्र सरकार से मदद तो लेती है लेकिन बाद में मीडिया के सामने केंद्र सरकार को कोसती है। मैं मानता हूँ कि कोई भी सरकार हो, केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना चाहिए। लोगों की भलाई करने में राजनीति बीच में नहीं आनी चाहिए। दिल्ली सरकार जो दे रही है, वो असम के हक का है और हम हमारी जिम्मवारी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

हमारे असम के नागरिकों का गौरव, उनका भविष्य, असम के माताओं और बहनों की सुरक्षा, ये हमारी प्राथमिकता है। हम असम को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। हमने देश में मजदूरों के लिए अनेक नए कानून बनाए हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी कि जब मैं आया था तो देश के मजदूरों के 27 हज़ार करोड़ रुपये सरकार के खजाने में ऐसे ही पड़े थे और जब मैंने पूछा कि ये पैसे क्यों पड़े हैं तो उन्होंने कहा कि उनके पैसे नौकरी के समय कटते हैं लेकिन जब वे नौकरी छोड़ कर जाते हैं तो वो पैसे वापस नहीं ले जाते क्योंकि उनके आने-जाने का खर्च ही उतना हो जाता है। इस वजह से मजदूरों के वो पैसे (27 हज़ार करोड़ रुपये) पड़े हुए हैं। मैंने कहा कि दिल्ली सरकार को ये पैसे रखने का हक नहीं और इसलिए हमने आकर निर्णय किया कि ऐसे सभी मजदूरों को खोजकर उनके पैसे वापस लौटाए जाने चाहिए। हमने उनके लिए एक नंबर निकाला। असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को एक नंबर दिया जा रहा है जिससे वो किसी भी शहर में काम करे, उसके सारे पैसे उस नंबर की मदद से उसके पास रहेंगे।  

हमारे यहाँ 30 साल पहले मजदूरों को बोनस देने का कानून बना था। हम संसद में कानून लेकर आए कि मजदूरों को बोनस का कानून बदलना चाहिए और जिन गरीब मजदूरों को बोनस नहीं मिलता है, उन्हें बोनस मिलना चाहिए। आपने हमें दो-तिहाई बहुमत देकर लोकसभा भेजा लेकिन जो लोग चुनाव हार गए हैं और 400 में से 40 हो गए हैं, उन्हें लगता है कि मोदी को काम ही नहीं करने देंगे। विरोधी दल इसी षड़यंत्र में हैं कि परेशानी पैदा करो। बहुत दल हैं, बहुत नेता हैं जो सरकार, भाजपा और नरेन्द्र मोदी का विरोध करते हैं लेकिन वो भी कहते हैं कि संसद चलनी चलनी चाहिए, चर्चा होनी चाहिए और संसद में जो भी फैसला हो, वो सबकी सर आँखों पर होना चाहिए। लेकिन एक परिवार अड़ा हुआ है कि हम देश का कोई काम होने नहीं देंगे क्योंकि देश की जनता ने हमें हराया है और हम उसका बदला लेंगे।

ये बोनस का कानून लोकसभा में पास हो गया और राज्यसभा में आगे बढ़ाना है लेकिन वो राज्यसभा चलने ही नहीं दे रहे हैं। 60 साल से यहाँ लोकतंत्र है लेकिन कभी भी गरीबों और मजदूरों के लिए संसद में कभी अड़ंगे नहीं डाले लेकिन आज देश के गरीबों के लिए काम करने नहीं दिया जाता है। हमारी सरकार ने जल परिवहन का कानून बनाया और इसका सबसे बड़ा फायदा असम और नार्थ-ईस्ट को होने वाला है। ब्रह्मपुत्र नदी में व्यापार के, रोजगार के नाव चले, हम इसके लिए कानून लेकर आए हैं। हमारे देश की नदियों में सस्ते से सस्ता माल पहुँचाने का रास्ता है। हम इसे गति देना चाहते हैं और लोकसभा में कानून पास भी हो गया लेकिन एक परिवार ने राज्यसभा नहीं चलने दी और उसके कारण ब्रह्मपुत्र में जल परिवहन का जो काम हम करना चाहते थे, वो काम अटक गया। राजनीति करने वाले कोई भी लोग अगर इस तरह का नकारात्मक विरोध करते हैं तो इससे न उनका भला होने वाला है और न ही देश का भला होने वाला है। नकारात्मकता, अहंकार और अवरोध की राजनीति करने वाले परिवार ने ये तबाही लाकर रख दी है। विपक्ष में कई लोग है जो विरोध तो करते हैं लेकिन देशहित के लिए निर्णय करने में अवरोध पैदा नहीं करते लेकिन एक परिवार है जो निर्णय करने में भी अवरोध पैदा करता है।

किसान पर राजनीति करने वाले तो बहुत लोग हैं लेकिन किसान को सुरक्षा कौन देगा, संकट के समय में उनकी मदद कौन करेगा। प्राकृतिक आपदा आती थी तो किसानों को कुछ मिलता ही नहीं था। उसके नियम ऐसे थे कि किसान उसके बाहर ही रह जाता था ऐसे ही कुछ दिन बीतते थे और नया सीजन शुरू हो जाता था और किसान भी बेचारा फ़िर से मेहनत करने में लग जाता था। हमने इस स्थिति को बदला। प्राकृतिक आपदा में किसानों को मिलने वाली मदद के सारे नियम हमने बदल दिए। पहले से अनेक गुना ज्यादा मदद मिले, जमीन का दायरा भी छोटा स्वीकार कर लिया ताकि किसान के हितों की रक्षा हो।

हम किसानों के लिए प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना लेकर आए। पहले भी फ़सल बीमा योजनाएं थीं लेकिन वो किसानों के लिए नहीं थीं। वो बैंकों से जो लोन लेते थे, वो लोन डूब न जाए, इतनी ही मात्रा में बीमा मिलता था। कहने के लिए तो वो किसानों के लिए फ़सल बीमा था लेकिन हक़ीकत में वो बैंक के ऋण को सुरक्षित करने का तरीका था और वो भी किसान के पैसों से। इस सबके बाद केवल 20 प्रतिशत किसानों के पास ये बीमा था क्योंकि उन्हें पता था कि पैसे जाने वाले हैं लेकिन आने वाले नहीं हैं। पहले 50% तक बीमा का पैसा देना पड़ता था, हमने उसे 2% कर दिया। हमने इसे टेक्नोलॉजी से जोड़ा ताकि बीमा का भुगतान तुरंत हो। मैं चाहूँगा कि असम के छोटे-छोटे किसान प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का लाभ उठाएं।

इस योजना में बहुत कम पैसे लगेंगे और चाहे कोई भी प्राकृतिक आपदा आ जाए तो आप उसमें सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। पहले फ़सल काटने के बाद कुछ हो जाए तो बीमा नहीं मिलता था लेकिन हमने इसे बदल दिया। अब अगर फ़सल काटने के 15 दिन तक कोई आपत्ति आ जाए तो भी उसको बीमा मिलेगा।

हमारे देश के नौजवान हमारे देश का भविष्य बनाने वाले हैं। रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, हम इसके लिए नई-नई योजनाएं बना रहे हैं। आज पूँजी लगाने के लिए विदेशों से एक से बढ़कर एक लोग भारत आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं - पहला तो उन्हें भारत सरकार पर भरोसा है और दूसरा कि वे हिन्दुस्तान के नौजवानों के प्रति आशावान हैं। वे सोचते हैं कि वे पूँजी लगाएंगे और यहाँ का नौजवान काम करेगा और उनका कारखाना चल पड़ेगा और दुनिया में उनका माल बिकेगा, ये विश्वास पैदा हुआ है। ये ताकत देश के साथ-साथ असम के नौजवानों का भी है। असम के नौजवानों को बल मिले, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया है। असम में नए रास्ते बनें, नई रेल लाइन बिछे, रेल लाइन को चौड़ा किया जा सके और पूरे नार्थ-ईस्ट में एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो कि हिन्दुस्तान के लोगों के आना-जाना और व्यापार करना सरल हो जाए और यहाँ के किसान जो पैदा करते हैं, वो बाज़ार में जाए ताकि यहाँ के किसानों को पैसा मिले। हम यहाँ की शिक्षा पर भी बल देना चाहते हैं। हिन्दुस्तान की उत्तम से उत्तम शिक्षा व्यवस्था को हम नार्थ-ईस्ट में लाना चाहते हैं। इस पूरे क्षेत्र के लोगों को उत्तम शिक्षा मिले, इस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। चाहे हेल्थ हो या शिक्षा, चाहे किसान हो या नौजवान, चाहे हमारी माताएं-बहनें हों, हम हर किसी के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।

मैं चाय बागान के अपने मजदूरों से कहना चाहता हूँ कि भारत सरकार के जिस कानून को यहाँ की सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है, जो कानून यहाँ के मजदूरों की भलाई के लिए है, जिसमें उन्हें मकान, पानी, शिक्षा, दवाई आदि सभी चीजें उपलब्ध कराने की व्यवस्था है; जब हमारी सरकार बनेगी तो हम इन सारी चीज़ों को यहाँ लागू करेंगे। हमारा संकल्प यहाँ के जीवन में बदलाव लाने का है। आप सब इतनी भारी संख्या में यहाँ आए और अपने मुझे अपना आशीर्वाद दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ और इस विशाल जनसागर को नमन करता हूँ। असम के उज्जवल भविष्य और आनंद की कामना करता हूँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद!