प्रधानमंत्री मोदी ने सिंहस्थ के सार्वभौमिक संदेश पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन को ‘विचार कुंभ’ की संज्ञा दी 
सिंहस्थ घोषणा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक नई चर्चा की शुरुआत का प्रतीक होगा: प्रधानमंत्री मोदी
‘विचार कुंभ’ वनीकरण और बालिकाओं की शिक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से हर साल आयोजित किया जाना चाहिए: प्रधानमंत्री

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उज्जैन के पास निनौरा में सिंहस्थ के सार्वभौमिक संदेश पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने इंदौर हवाई अड्डे पर श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री मैत्रीपाला सिरिसेना की अगुवानी की। राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इंदौर से साथ-साथ ही आए और दोनों नेता एक साथ ही सम्मेलन स्थल पर पहुंचे।

उपस्थित जनसमूह, जिसे कुंभ मेले से इतर "विचार कुम्भ" के रूप में भी वर्णित किया गया है, को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन का एक नए प्रयास के जन्म के रूप में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह प्राचीन काल में जो घटित होता रहा है उसका एक आधुनिक संस्करण था। प्राचीन काल में समाज के चिंतक नए दृष्टिकोण का चिंतन करने और उसे समाज को उपलब्ध कराने के लिए कुंभ मेला स्थलों पर एकत्र होते थे।


भारतीय परंपराओं और संस्कृति पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भिक्षुक का मंत्र है “जो व्यक्ति भिक्षा दे उसका भी भला और जो न दे उसका भी भला”। प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति को परिभाषित करने वाले मूल्यों और मानवतावाद के अनेक उदाहरण दिए।

सिंहस्थ घोषणा, जो विश्व को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा समर्पित थी, के शुभारंभ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए नई बहस की शुरुआत की प्रतीक होगी।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि वनीकरण और बालिकाओं की शिक्षा जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए 'विचार कुंभ' हर साल आयोजित किया जाना चाहिए।

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