प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज क्वालालंपुर में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।
शिखर सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम आर्थिक अस्थिरता, राजनीतिक अशांति और सुरक्षा को खतरे जैसी कई वैश्विक चुनौतियों के समय बैठक कर रहे हैं।‘
प्रधानमंत्री ने कहा ‘भारत में परिवर्तनों का पैमाना बड़ा है इसलिए भारत में आर्थिक अवसर भी बहुत अधिक हैं और अब हमारे यहां ऐसा वातावरण है जो सबके स्वागत के लिए खुला है। यह, कारोबार करने में सुगमता लाने की विश्व बैंक की रैंकिंग में भारत की स्थिति में उछाल आने से प्रतिबिंबित होता है। हम तेजी और प्रमुखता से हमारे आर्थिक सुधारों को जारी रखेंगे। आसियान की अर्थव्यवस्था गतिशील और ऊर्जा के साथ वृद्धि करती रहेगी। मुझे इसमें कोई शंका नहीं कि हमारे 1.9 बिलियन लोगों की समृद्धि को हम दोबारा सुदृढ़ करेंगे।‘
प्रधानमंत्री ने कहा ‘साझा समृद्धि के लिए संपर्क एक मार्ग है। त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना में अच्छी प्रगति हो रही है और 2018 तक यह पूरी हो जायेगी।‘
प्रधानमंत्री ने कहा ‘हम, आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास कोष को वर्तमान 1 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 5 मिलियन अमरीकी डॉलर करेंगे। हम कम लागत की प्रौद्योगिकियों, तकनीकी हस्तांतरण और सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराने के लिए आसियान-भारत नवाचार मंच का भी गठन करना चाहते हैं।
आसियान शिखर सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री ने चीन के प्रधानमंत्री श्री ली केकियांग से मुलाकात की।
दोनों पक्षों ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में समीक्षा की। चीन के प्रधानमंत्री ने पाया कि भारत ने आर्थिक मंदी के बावजूद अपनी वृद्धि दर बनाये रखी है। दोनों पक्षों ने पेरिस में होने वाले सीओपी-21 सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा भी की। श्री नरेन्द्र मोदी ने सौर गठबंधन पहल के बारे में चीन के प्रधानमंत्री को जानकारी दी और चीन को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना होगा।
उन्होंने द्विपक्षीय स्तर पर व्यापार और निवेश पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर चीन के साथ भारत के भारी व्यापार घाटे पर चिंता जताई। कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा हुई। जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो अबे ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए भोज का आयोजन किया। श्री शिंजो अबे ने एक बार फिर कहा कि विश्व के अन्य द्विपक्षीय संबंधों की तुलना में भारत-जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भारी संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों पर जापान के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को माना और कहा कि वे श्री शिंजो अबे की भारत यात्रा के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान, भारत के साथ परिवर्तनकारी क्षमता की दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) जैसे कई पहलों में भागीदार है। इस दौरान क्षेत्रीय संपर्क, समुद्री सुरक्षा, आगामी सीओपी-21 सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।