प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में पहले नेशनल ट्राइबल कार्निवल का उद्घाटन किया
कई चुनौतियों के बावजूद, जनजातीय समुदायों ने हमें प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने की राह दिखाई है: प्रधानमंत्री
यह आवश्यक है कि विकास प्रक्रिया में जनजातीय समुदायों को भी भागीदार बनाया जाये: प्रधानमंत्री
सरकार विकास के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे जनजातीयों बस्तियों को कम से कम नुकसान हो: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर एक दिलचस्प कार्निवाल परेड का साक्षी बनने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब देश भर के आदिवासी समूह दिवाली के उत्सव के अवसर दिल्ली में हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हो रहे आदिवासी उत्सव में आदिवासी समुदायों की क्षमताओं का प्रदर्शन होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत महान विविधता वाली भूमि है। उन्होंने कहा कि यहां आज के समारोह के दौरान प्रस्तुत की गई कार्निवाल परेड इस विविधता की छोटी सी झांकी भर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदायों का जीवन अत्यधिक संघर्ष का उदाहरण है। आज भी, आदिवासी समुदाय ने सामुदायिक जीवन के आदर्शों को आत्मसात किया हुआ है और वे तमाम परेशानियों के बावजूद हंसी-खुशी से जीवन जीते हैं।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह भाग्यशाली थे कि उन्हें अपनी युवावस्था में आदिवासियों के बीच सामाजिक कार्य करने का अवसर मिला। उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि आदिवासियों के मुंह से किसी चीज की शिकायत सुनना काफी कठिन था। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस संबंध में उनसे प्रेरणा ले सकते हैं। .

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के पास स्थानीय सामग्री से नवीन उत्पाद बनाने का कौशल है, इसकी काफी मांग हो सकती है। अगर इसकी सही तरीके से मार्केटिंग की जाए तो यह एक बड़ा आर्थिक अवसर बन सकता है। प्रधानमंत्री ने कई ऐसे नवाचारों का उदाहरण दिया जिनसे आदिवासी समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ही वह शख्स थे जिन्होंने भारत सरकार में आदिवासी मामलों के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊपर से नीचे का दृष्टिकोण रखकर आदिवासी समुदायों के लिए बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि विकास प्रक्रिया में आदिवासी समुदायों को वास्तविक हिस्सेदार बनाया जाना आवश्यक है। इस संदर्भ में उन्होंने वनबंधु कल्याण योजना का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने वनों के संरक्षण में आदिवासी समुदायों की भूमिका की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा, आदिवासी समुदायों की तरह हमारे ज्यादातर प्राकृतिक स्रोत और जंगल देश के एक समान हिस्सों में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन आदिवासियों के शोषण की अनुमति नहीं दी जा सकती। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले बजट में परिकल्पित जिला खनिज फाउंडेशन से आदिवासी समुदायों के विकास के लिए निधि का उपयोग करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला खनिज संपदा से समृद्ध जिलों के विकास में भारी मात्रा में धन की राह खोलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भूमिगत खनन और कोयले से गैस बनाने जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे आदिवासियों का विस्थापन रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने रूरबन मिशन का भी जिक्र किया, जिसका ध्यान ग्रामीण विकास केंद्रों को विकसित करने पर केंद्रित है।