“महिला – वो शक्ति है, सशक्त है, वो भारत की नारी है, न ज्यादा में, न कम में, वो सबमें बराबर की अधिकारी है।” – नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और उनका विजन नारी शक्ति को लेकर बिल्कुल साफ रहा है। उनका मानना है कि अब ये मुद्दा Women Development का नहीं रह गया, बल्कि Women-Led Development का है, जिसमें आर्थिक विकास से लेकर सामाजिक न्याय तक की परिकल्पना है। महिलाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का ही नतीजा है कि केंद्र सरकार ने हर स्तर पर बराबरी सुनिश्चित करने के मकसद से एक साथ कई पहल किए हैं। इसमें प्रधानमंत्री सुरक्षा बंधन योजना से लेकर सुकन्या समृद्धि योजना हो या बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान या फिर उज्जवला योजना।

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का मकसद लड़कियों की गिरती संख्या को संभालना और उनकी स्थिति समाज में सशक्त करना है। प्रधानमंत्री की पहल के बाद शुरू किए गए इस अभियान के अच्छे नतीजे भी मिलने लगे हैं। हरियाणा जैसे राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी लिंगानुपात में सुधार आया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी कहते हैं,

“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज यह सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा है, यह एक सामाजिक संवेदना का, लोक शिक्षा का अभियान बन गया है।”

बेटियों के भविष्य की चिंता ने सुकन्या समृद्धि योजना को जन्म दिया है, जिसका मकसद लड़कियों को वित्तीय सुरक्षा देना है। बेटी के बड़ी होने पर पढ़ाई से लेकर दूसरी जरूरतों के लिए मां-बाप की दिक्कत को ये योजना आसान बनाती है।

सामाजिक सुरक्षा और जीवन बीमा को लेकर शुरू किया गया प्रधानमंत्री सुरक्षा बंधन योजना का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को मिला है। पर्व-त्योहार के दौरान गिफ्ट देने की बजाए महिलाओं को ये योजना गिफ्ट में देने की प्रधानमंत्री ने खुद अपील की थी। पीएम मोदी का कहना है,

“नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। वैसे अब ये मुद्दा महिला विकास का नहीं रह गया, बल्कि महिलाओँ के नेतृत्व में विकास करने का है।“

केंद्र सरकार की योजनाओं के केंद्र में गरीब रहे हैं और गरीबों में भी महिलाओं को प्राथमिकता दी गयी है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना उन गरीब परिवारों के लिए शुरू की गयी, जिनमें माताएं लकड़ी से चूल्हा जलाकर खाना बनाती रही हैं। इससे उनके शरीर में एक दिन में 400 सिगरेट का धुआं जाया करता था। इसके तहत अब तक पौने दो करोड़ गैस कनेक्शन मुफ्त बांटे जा चुके हैं जबकि कुल 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए जाने का लक्ष्य है।

केंद्र सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि मातृत्व लाभ हर माता को सुलभ हो। इसमें हर माता को नकद 6000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है। इसका मकसद माताओं का कुपोषण रोकना है ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ हो। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान ने मुफ्त स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था कर गर्भवती महिलाओं को बड़ी सहूलियत दी है। हर महीने की 9 तारीख इस जांच के लिए मुकर्रर की गयी है।

रोजगार में महिलाओं को अवसर मिले, कार्यस्थल पर उनके लिए माहौल हो, मातृत्व के दौरान नौकरी छूटे नहीं, उनका योगदान बढ़ता रहे। इस सोच के साथ सरकार ने पहल किए हैं। संकट में रहने की स्थिति में महिलाओं के लिए मोबाइल फोन में पैनिक बटन और स्मार्ट फोन में जीपीएस जैसी सुविधाएं लागू करने की दिशा में भी सरकार कार्य कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं,

“यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।”