प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला सैयद अली-हुसैनी खामनेई को विशेष रूप से तैयार की गई पवित्र कुरान की सातवीं सदी की एक दुर्लभ पांडुलिपि उपहार में दी। यह कूफी लिपि में लिखी गई है और इसका श्रेय चौथे खलीफा हजरत अली को जाता है। यह पांडुलिपि संस्कृति मंत्रालय की नियंत्रणाधीन है और रामपुर रजा लाइब्रेरी में रखी हुई है।
प्रधानमंत्री ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रूहानी को विशेष रूप से तैयार मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब का फारसी भाषा में लिखा संग्रह कुलियात-फारसी-ए-गालिब और सुमेर चंद द्वारा रामायण का पारसी में किया गया अनुवाद भेंट किया।
1863 में पहली बार प्रकाशित कुलियात-फारसी-ए-गालिब, मिर्जा गालिब की 1100 से ज्यादा आयतों का संग्रह है। राष्ट्रपति रूहानी को जो संग्रह भेंट किया गया है वह पुस्तक के 1867 के संस्करण की दुर्लभ प्रति से है जिसमें कुछ गुम हुए पृष्ठ मौलाना आजाद के एक निजी संग्रह में रखे 1872 के एक संस्करण से लेकर जोड़े गए हैं। यह पुस्तक नई दिल्ली में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पुस्तकालय में संरक्षित है।
1715 में अनुदीत और 1826 में कॉपी की गई सुमेर चंद की रामायण संस्कृति मंत्रालय की रामपुर रजा लाइब्रेरी में रखी एक दुर्लभ पांडुलिपि है। इसमें 260 से ज्यादा रेखाचित्र हैं और संभवत: यह संख्या किसी हस्तलिखित रामायण में सर्वाधिक हैं।